जब भावनाओं के सागर में डूबूं उतरूँ
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
-अर्चना