न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
माँ तो माँ है....उससे बड़ी कोई पूँजी नहीं.
:-)achhi rachna hai
बहुत सही।अच्छी रचना है।
समीर जी,प्रशांत जी,बाली जी धन्यवाद टिप्पणी के लिये।
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5 comments:
माँ तो माँ है....उससे बड़ी कोई पूँजी नहीं.
:-)
achhi rachna hai
बहुत सही।अच्छी रचना है।
समीर जी,प्रशांत जी,बाली जी धन्यवाद टिप्पणी के लिये।
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