Tuesday, March 3, 2009

जाने कब????

यहाँ हर एक की अपनी कहानी होती है ,
कभी खुद तो कभी दूसरो की जबानी होती है।
हमे अपने बारे मे सब पता होता है ,
क्या अछ्छा होता है?,क्या बुरा होता है।
अपने फ़ायदे की हर बात, हम मानते है,
और स्वार्थपूर्ती के लिये हर जगह की खाक छानते है।
जिससे हो हमे नुकसान ,ऐसी हर बात टालते है,
और जरा-सी बात पर ही ,दूसरो को मार डालते है।
कुछ लोग जब यहाँ अपनी लाइफ़-स्टोरी गढते है,
तभी कुछ लोग, औरों की लाइफ़-स्टॊरी पढते है।
यहाँ लोग अपने पापो का घडा दूसरो के सर फ़ोडते है,
और दूसरो की चादर खींचकर मुंह तक ओढते है।
जो कुछ हम करते है,या करने वाले होते है ,sss जानते है,
फ़िर भी अपने आप को क्यो??? नही पहचानते है
जाने कब??? वो दिन आयेंगे ,
जब हम अपने आप को बदल पायेंगे!!!!!!!!!!

5 comments:

Himanshu Pandey said...

सुन्दर अभिव्यक्ति. सुन्दर चिंतन. धन्यवाद.

Anshu Mali Rastogi said...

शब्दों की साफगोई।

rachana said...

बहुत अच्छा लिखा है..
** कभी वो दिन भी आयेंगे,
जब हम अपने आप को पहचान पायेंगे! ** :)

उम्मतें said...

कौन है भला वो लोग :)

दीपक बाबा said...

जाने कब ??