बहुत जरूरी है आज मेरा यहाँ लिखना,वरना उसको बचाया नही जा सकेगा । एक और प्रतिभा प्रोत्साहन केअभाव में यहाँ से पलायन कर जाएगी ,और हम उसके उपभोग से वन्चित हो जाएंगे। ज्ञान का प्रकाश फ़ैलतेफ़ैलते रह जाएगा। और फ़िर शुरू होगा चर्चाओं का दौर-------- पहले कारण ढूंढे जाएंगे,फ़िर उनके उपाय ।कुछ लोग कारण पैदा होने के कारण ढूंढेंगे! और अगर कारण ढूंढ लिये जाएंगे, तो एक-दूसरे पर दोषारोपण होंगे। वाद-विवाद होंगे । बहस होगी। बस! और अगर एक पक्का कारण ढूंढ भी लिया तो,तब तक प्रतिभा कही गुमहो जाएगी । आखिर इन्तजार की भी तो कोई सीमा होती है।
अब उपायों की बात करें तो सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। वो स्वयं को कितना फ़ायदा पहुंचाएंगे , ये देखाजाएगा। - समझ में नही आता कि हम लोगों को जो सुविधाएं मिलती है , हम उसका उपभोग अछ्छी तरह से क्यों नहीं कर सकते? मेरा इशारा मूलभूत सुविधाओं की ओर नहीं है ( इसके तो हम आदी हो चुके हैं) जैसे---
बिजली (स्विच बन्द न करना) , पानी ( नल खुले रखना,जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना) , हवा (धूल,धूएं वरंगों से भरना) , सडकें ( बनने के बाद गढ्ढे करना) , मकान (जरूरत से ज्यादा बडे बनवाना),आदि-आदि।उदाहरण तो बहुत हैं , अब आप पढ ही रहे है तो आगे भी जोड लेना।
अब इस ब्लॊगिंग को ही उदाहरण मान लें, तो देखिए घर बैठे कितने विषय पढने को मिलते है ।एक नया ब्लागर बिचारा रोज ही कुछ न कुछ लिखने का सोचते रहता है, कभी-कभी तो पूरा दिन ही सोचने मे बीत जाता है ,और जब लिख देता है तो टिप्प्णियों का इन्तजार करता रहता है ।जब पहली टिप्प्णी मिलती है तोखुश हो जाता और अगर वो भी किसी उंचे ब्लागर की हो तो वारे-न्यारे !!! मगर इसके बाद उसकी नजरटिप्प्णीयों की संख्या पर भी जाती ही है( अब क्रिया पर प्रतिक्रिया होना भी तो जरूरी है न!!) और जब बातहो रही है उसकी "लेखन प्रतिभा के उपभोग" की तो-उसने अछ्छा लिखा , बुरा लिखा,उसे इसका पता तोहोना चाहिए। अब रोज लिखने के चक्कर में उसे समझ नहीं आता कि प्रतिक्रियाओं के लिए कितना वक्त दे ? (उसे ये भी जानकारी नही होती की विकसित ब्लागरों के एक नही तीन-तीन , चार-चार और कभी-कभी तो इससे भी ज्यादा ब्लोग होते हैं, रोज लिखो -- और हर दिन अलग-अलग ब्लोग पर पोस्ट करो, ६-७ दिन में पुनः पहले ब्लोग से दोहराना शुरू !!! प्रतिक्रियाओं की भरमार!!!!!)।
मुझे करीब दो माह हुए है,पहले परिचितों कि प्रतिक्रिया ही मिलती थी। अब थोडे घूमने -फ़िरने वाले भी आनेलगे है । लेकिन मुझे लगता है - जब नई पोस्ट आ जाती है तो पुरानी कोई नहीं पढता!!! क्योंकि वहाँप्रतिक्रियाएँ
आना बन्द हो जाती है।तो अगर आप यहाँ तक पहुँच गये हैं , तो मेरी पिछ्ली पोस्ट पर भी एक नजर डाल लेना।
(बेकार हो तो बेकार ही टिप्प्णी दे देना, कुछ तो प्रतिक्रिया दे देना)।
अब आपको बता दूं कि प्रारंभ मे जिस प्रतिभा के पलायन के बारे मे लिखा है वो मै ही हूँ।
अब समस्या भी सामने है और हल भी , फ़ैसला आपका!!!!!!!!!!
अब उपायों की बात करें तो सुझाव आमंत्रित किए जाएंगे। वो स्वयं को कितना फ़ायदा पहुंचाएंगे , ये देखाजाएगा। - समझ में नही आता कि हम लोगों को जो सुविधाएं मिलती है , हम उसका उपभोग अछ्छी तरह से क्यों नहीं कर सकते? मेरा इशारा मूलभूत सुविधाओं की ओर नहीं है ( इसके तो हम आदी हो चुके हैं) जैसे---
बिजली (स्विच बन्द न करना) , पानी ( नल खुले रखना,जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना) , हवा (धूल,धूएं वरंगों से भरना) , सडकें ( बनने के बाद गढ्ढे करना) , मकान (जरूरत से ज्यादा बडे बनवाना),आदि-आदि।उदाहरण तो बहुत हैं , अब आप पढ ही रहे है तो आगे भी जोड लेना।
अब इस ब्लॊगिंग को ही उदाहरण मान लें, तो देखिए घर बैठे कितने विषय पढने को मिलते है ।एक नया ब्लागर बिचारा रोज ही कुछ न कुछ लिखने का सोचते रहता है, कभी-कभी तो पूरा दिन ही सोचने मे बीत जाता है ,और जब लिख देता है तो टिप्प्णियों का इन्तजार करता रहता है ।जब पहली टिप्प्णी मिलती है तोखुश हो जाता और अगर वो भी किसी उंचे ब्लागर की हो तो वारे-न्यारे !!! मगर इसके बाद उसकी नजरटिप्प्णीयों की संख्या पर भी जाती ही है( अब क्रिया पर प्रतिक्रिया होना भी तो जरूरी है न!!) और जब बातहो रही है उसकी "लेखन प्रतिभा के उपभोग" की तो-उसने अछ्छा लिखा , बुरा लिखा,उसे इसका पता तोहोना चाहिए। अब रोज लिखने के चक्कर में उसे समझ नहीं आता कि प्रतिक्रियाओं के लिए कितना वक्त दे ? (उसे ये भी जानकारी नही होती की विकसित ब्लागरों के एक नही तीन-तीन , चार-चार और कभी-कभी तो इससे भी ज्यादा ब्लोग होते हैं, रोज लिखो -- और हर दिन अलग-अलग ब्लोग पर पोस्ट करो, ६-७ दिन में पुनः पहले ब्लोग से दोहराना शुरू !!! प्रतिक्रियाओं की भरमार!!!!!)।
मुझे करीब दो माह हुए है,पहले परिचितों कि प्रतिक्रिया ही मिलती थी। अब थोडे घूमने -फ़िरने वाले भी आनेलगे है । लेकिन मुझे लगता है - जब नई पोस्ट आ जाती है तो पुरानी कोई नहीं पढता!!! क्योंकि वहाँप्रतिक्रियाएँ
आना बन्द हो जाती है।तो अगर आप यहाँ तक पहुँच गये हैं , तो मेरी पिछ्ली पोस्ट पर भी एक नजर डाल लेना।
(बेकार हो तो बेकार ही टिप्प्णी दे देना, कुछ तो प्रतिक्रिया दे देना)।
अब आपको बता दूं कि प्रारंभ मे जिस प्रतिभा के पलायन के बारे मे लिखा है वो मै ही हूँ।
अब समस्या भी सामने है और हल भी , फ़ैसला आपका!!!!!!!!!!
10 comments:
सोचे कम लिखें ज्यादा।
बहुत खूब...बात भी पसंद आई और बात कहने का अंदाज भी...
:-P...nice one mummy..finally holi vacs are here... so :-) i got time to really read your blog .. good going...
टिप्पणियों की चिन्ता छोड़ें। कितने लोग आपके चिट्ठे को पढ़ते हैं यह तो स्टैट काउंटर जैसी वेबसाइट से पता चल जाता है।
जब आप समय को देख कर चिट्ठी लिखते हैं तो समय बीत जाने के बाद उस चिट्ठी का महत्व समाप्त हो जाता है। जब आप ऐसी चिट्ठी लिखते हैं जिसमें कुछ सूचना होती जिसकी लोगों को जरूरत होती है तब ऐसी चिट्ठी पर लोग सर्च करके आते हैं और बार बार पढ़ते हैं। इसलिये ऐसी चिट्ठी लिखना बेहतर है।
यह भी महत्वपूर्ण है कि अपनी चिट्ठियों पुरानी चिट्ठियों का उल्लेख भी किया जाय ताकि लोगों को उसका स्मरण हो सके।
उनमुक्त जी की बात सौ फीसदी सही है और मैं अपने चिट्ठे पर इसी फिलॉसफी का अनुकरण करता हूँ । मेरा अनुभव यही है कि अगर आप ऍसा कुछ लिखेंगी जिसमें आम पाठकों को रुचि हो तो वो सर्च इंजन के माध्यम से जरूर आएँगे। पर इसके लिए कुछ महिनों का समय लग सकता है जैसा कि मेरे साथ हुआ था। आज मेरे चिट्ठे पर आवाजाही का बड़ा हिस्सा ब्लागिंग के इतर पाठकों से आता है। इसके बारे में मैंने विस्तार से यहाँ चर्चा की थी।
http://ek-shaam-mere-naam.blogspot.com/2009/01/100000.html
शायद इससे आपको अपने प्रश्न का जवाब तलाशने में आसानी हो।
अपनी चिन्ता जाहिर करने का अन्दाज मजेदार लगा!
उन्मुक्त जी और मनीष जी की बातों पर ध्यान दीजिये, वे बहुत अनुभवी ब्लॊगर हैं! और लिखती रहिये मजे से! :)
और वर्डप्रेस वाले ब्लॊगर्स ( जैसे कि मै!) को भी अनुमति दीजिये टिप्पणी करने की!
www.rachanabajaj.wordpress.com
लोगो की अलग-अलग चिंताए है और उसका समाधान भी है । उसी तरह आपकी अलग समस्याए है वैसे आपने अच्छा लिखा है शुक्रिया
आप सभी की सलाह सर आँखों पर --- आभार ।
ब्लोगिंग का उदाहरण सिर्फ़ मजाक के तौर पर लिया था ।उसे छॊडकर अब सिर्फ़ उपर वाला पेरेग्राफ़ पढ कर देखें।
पुनः -- आज ही पढा-- ब्लोग जगत मे वेकेन्सी है। पहले नम्बर पर उन्हे भी टिप्पणीकर्ता ही चाहिए।सबसॆ अधिक वेतनमान पर ।
शुरुआत में सबके साथ ऐसा ही होता है, जब तीन साल पहले हमने लिखना शुरु किया था तब एक तिप्प्णी भी मिल जाती तो दो दिन जमीन से एक इंच उपर चलते थे :)
आज यह हाल है कि पोस्ट करने के बाद इस बात पर ध्यान भी नहीं जाता कि किसने टिप्पणी की है।
उनमुक्त जी और मनीष भाई से सहमत हूं।
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