बारिश की वजह से सबने आज एक छुट्टी पाई
समय आसानी से बीतता नही देता दिखाई
मौसम ने फ़िर से बरसों पुरानी याद है दिलाई
आज फ़िर वही यादें क्यूँ दिल के करीब आई
शायद फ़िर आ रही है वो २४ जुलाई
रोक नहीं पा रही मेरी आँख फ़िर भर आई
सालों पहले ये तारीख एक मनहूस खबर थी लाई
जिसको सुनकर मेरी तो बस जान पर बन आई..........
किसी को दोष नही देती, चाहती कोई नाम ना
दिल की बात कह रही हूँ , चाहती कोई दाम ना
कर्तव्य सब पूरे हुए,करती हूँ अब ये प्रार्थना
छूट गया था जो हाथ ,फ़िर वही है थामना
तीरथ सारे घूम चुकी , बाकी कोई धाम ना
बाकी रहा अब मेरे बस का कोई काम ना
"तेरा" डटकर करना चाहती हूँ सामना
जब भी आये मुझसे हँसकर मिले , बस यही है कामना...........
8 comments:
हमारे कलेंन्डर से हमने २४ जुलाई हटा दिया है..
२३ के बाद सीधे २५ आती है.
मगर फिर भी न जाने क्यूँ,
दिल को रुला जाती है!!!
यही हल ३१ मई का है///
२४ जुलाई को एक भाई सा दोस्त खोया
kuchh ghaav kabhi bharte nahin
kuchh yaaden kabhi mitti nahin
sahan hi mkarna padta hai......
dusra koi upay hi nahin
मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति !
कुछ तारीखें जख्मों की होती हैं.....
KUCHH CHIJE ISE HI DIL KE KARIB HOTE HAI .......MAN KO SRABOR KAR GAEE
यह तो जीवन का सच है। महत्वपूर्ण है कि जीवन कैसे जिया। आपने बच्चों को संभाला - यह हिम्मत का काम है।
मित्र
अब ये पीर सीधे सीधे आंखें नम कर रही है
Post a Comment