इस बार स्कूल में कक्षा १२ वी के बच्चो के विदाई समारोह में मै शामिल नहीं हो पाऊँगी |इस बार जो बच्चे स्कूल छोड़कर जाने वाले है वे पहली कक्षा में थे , जब मैंने स्कूल ज्वाइन किया था इसलिए कुछ ज्यादा ही याद आ रहे है वे बच्चे ..............................स्कूल छोड़ते समय बच्चे बहुत खुश भी होते है और अपने साथियों से बिछड़ने का गम भी होता है उन्हें ...................जहा टीचर की डांट और होमवर्क से छुटकारा मिलने की ख़ुशी उनके चेहरों पर साफ़ देखी जा सकती है वही टीचर के माथे पर उनके उज्जवल भविष्य के लिए चिंता की लकीर देखी जा सकती है .......................मै ऐसा मानती हू कि यहाँ से इन बच्चो का नया सफ़र शुरू होता है .................अब उन्हें अपने आप से भी लड़ना होगा ........................मै इन बच्चो के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए अपने दिल की बात कुछ इस तरह कहना चाहती हूँ ..........................प्रिय बच्चो ,आज आप सबकी स्कूल से बिदाई है ,बड़ी भावुकता पूर्ण ये जुदाई है ,
हर एक पल तुम्हे याद आ रहा होगा ,जिसमे कुछ खट्टा या मीठा स्वाद रहा होगा ,
हम नहीं जानते की यहाँ से निकलकर तुम कहा जाओगे ?मगर इतना बता सकते है की हमें बहुत याद आओगे |
यहाँ पाए घावों कों सदा याद रखना ,क्योकि तभी तुम्हे याद आएगा -हमारा उन पर मरहम लगाना |
जिस तरह एक छोटी गलती या भूल भी -बड़ी सीख देकर जाती है ----उसी तरह अगर मौके का फायदा न उठाओ तो -----जिन्दगी बदल जाती है |
मुझे तुमसे ये भी है कहना ---कि झूठ की डोर पकड़कर कभी ऊपर मत चढ़ना,क्योकि झूठ कि डोर होती है कच्ची------कभी भी टूट जाएगी ,जबकि सच्चाई कि डोर होती है पक्की -------हमेशा ऊपर तक ही पहुचाएगी |
साथ चलने का शौक हो तो ---अपनो कों साथ लेना,तनहा भी चलना हो तो ---- सपनों कों साथ लेना |
हिम्मत से अपनी बाँध लेना मुठ्ठी में पवन कों ,और हौसलों से महका देना मरुथल में चमन कों |
अधिकार के लिए जब लड़ो----- तो न भूलो कर्तव्यो कों,
अपने उसूलो के लिए लड़ो -----तब रोक लो समय कों |
एक वक्त ही तो है जो किसी का साथ नहीं देता ,भगवान भी कभी किसी से ऋण नहीं लेता |
एक पल की जिंदगी भी होती है बहुत बड़ी ,क्योकि जीवन की डोर तो है, बस एक सांस पर अड़ी |
याद सदा रखना ---औरो के नमक कों ,और नमक अदा करने क़ बाद ----देखना अपनी आँखों चमक कों |
निकल पड़े हो जो राह में तो भटकना न कभी तुम ,भटके जो कभी राह तो --हो जाओगे यूं ही गुम |
अच्छाई और बुराई का जिसने फर्क समझ लिया ----उसने हर मुश्किल का हल चुटकी में झटक लिया |
भविष्य तुम्हे बुला रहा है ---,आस से निहार रहा है ,ईश्वर से यही प्रार्थना है ---समय तुम्हे निखारे..............हर कोई ----प्रेम से दुलारे .........
और मंजिल तुम्हे पुकारे ...............क्योकि तुम --- उर्जा का पुंज हो ..........बस यही चाहती हूँ -----चारो दिशाओ में तुम्हारी ही गूंज हो .........................
हर एक पल तुम्हे याद आ रहा होगा ,जिसमे कुछ खट्टा या मीठा स्वाद रहा होगा ,
हम नहीं जानते की यहाँ से निकलकर तुम कहा जाओगे ?मगर इतना बता सकते है की हमें बहुत याद आओगे |
यहाँ पाए घावों कों सदा याद रखना ,क्योकि तभी तुम्हे याद आएगा -हमारा उन पर मरहम लगाना |
जिस तरह एक छोटी गलती या भूल भी -बड़ी सीख देकर जाती है ----उसी तरह अगर मौके का फायदा न उठाओ तो -----जिन्दगी बदल जाती है |
मुझे तुमसे ये भी है कहना ---कि झूठ की डोर पकड़कर कभी ऊपर मत चढ़ना,क्योकि झूठ कि डोर होती है कच्ची------कभी भी टूट जाएगी ,जबकि सच्चाई कि डोर होती है पक्की -------हमेशा ऊपर तक ही पहुचाएगी |
साथ चलने का शौक हो तो ---अपनो कों साथ लेना,तनहा भी चलना हो तो ---- सपनों कों साथ लेना |
हिम्मत से अपनी बाँध लेना मुठ्ठी में पवन कों ,और हौसलों से महका देना मरुथल में चमन कों |
अधिकार के लिए जब लड़ो----- तो न भूलो कर्तव्यो कों,
अपने उसूलो के लिए लड़ो -----तब रोक लो समय कों |
एक वक्त ही तो है जो किसी का साथ नहीं देता ,भगवान भी कभी किसी से ऋण नहीं लेता |
एक पल की जिंदगी भी होती है बहुत बड़ी ,क्योकि जीवन की डोर तो है, बस एक सांस पर अड़ी |
याद सदा रखना ---औरो के नमक कों ,और नमक अदा करने क़ बाद ----देखना अपनी आँखों चमक कों |
निकल पड़े हो जो राह में तो भटकना न कभी तुम ,भटके जो कभी राह तो --हो जाओगे यूं ही गुम |
अच्छाई और बुराई का जिसने फर्क समझ लिया ----उसने हर मुश्किल का हल चुटकी में झटक लिया |
भविष्य तुम्हे बुला रहा है ---,आस से निहार रहा है ,ईश्वर से यही प्रार्थना है ---समय तुम्हे निखारे..............हर कोई ----प्रेम से दुलारे .........
और मंजिल तुम्हे पुकारे ...............क्योकि तुम --- उर्जा का पुंज हो ..........बस यही चाहती हूँ -----चारो दिशाओ में तुम्हारी ही गूंज हो .........................
8 comments:
बारह साल के साथ के बाद बच्चों का जाना उदास तो करेगा ही. कविता अच्छी है. शीघ्र स्वास्थ्य लाब्ब की कामना!
बहुत सुंदर रचना, अब जल्दी से ठीक हो जाये
दुख तो होता है.
बहुत उम्दा कामना की है.
सुन्दर रचना है....शीघ्र स्वास्थ हो शुभकामनाएं।
खो गई है
मेरी कविता
पिछले दो दशको से.
वह देखने में, जनपक्षीय है
कंटीला चेहरा है उसका
जो चुभता है,
शोषको को.
गठीला बदन,
हैसियत रखता है
प्रतिरोध की.
उसका रंग लाल है
वह गई थी मांगने हक़,
गरीबों का.
फिर वापस नहीं लौटी,
आज तक.
मुझे शक है प्रकाशकों के ऊपर,
शायद,
हत्या करवाया गया है
सुपारी देकर.
या फिर पूंजीपतियो द्वारा
सामूहिक वलात्कार कर,
झोक दी गई है
लोहा गलाने की
भट्ठी में.
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा उसे
शहर में....
गावों में...
खेतों में..
और वादिओं में.....
ऐसा लगता है मुझे
मिटा दिया गया है,
उसका बजूद
समाज के ठीकेदारों द्वारा
अपने हित में.
फिर भी विश्वास है
लौटेगी एक दिन
मेरी खोई हुई
कविता.
क्योंकि नहीं मिला है
हक़.....
गरीबों का.
हाँ देखना तुम
वह लौटेगी वापस एक दिन,
लाल झंडे के निचे
संगठित मजदूरों के बिच,
दिलाने के लिए
उनका हक़.
बहुत उम्दा अच्छा लगा पर ये सुमन जी गज़ब हैं भाई किविता गुम हुई इनकी समीर लाल जी ज़रा मदद करिये इनकी
बेहद भावपूर्ण काव्यमय विदाई... इससे अच्छी विदाई और क्या हो सकती है... आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं
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