न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Tuesday, April 6, 2010
जिसको इसका काम पड़ता है उसे पता हो जाता है .....
पिछले हफ्ते करवाई------- मोम से सिकाई ----------बहुत उत्सुकता थी जानने की............
एक बॉक्स जो बिजली से गरम होता है उसमे मोम कों पूरी तरह पिघला लिया जाता है फिर एक टब में पिघला हुआ मोम डालकर उसे ब्रश से हिलाकर थोडा ठंडा (जितना गरम मरीज सह सके कर लेते है )--------इस पिघले मोम में शरीर के जिस हिस्से का उपचार करना होता है उसे रखकर उस हिस्से पर ब्रश से मोम की गरम-गरम सतह चढ़ाई जाती है,त्वचा के संपर्क में आते ही मोम जमने लगता है -----करीब आधा इंच मोटी सतह जमने के तुरंत बाद इस हिस्से कों प्लास्टिक के टुकडे से ढँक देते है ---उसके ऊपर एक मोटे कपडे से ढँक देते है जिससे मोम जल्दी ठंडा नहीं होता गर्मी बनी रहती है ------करीब १५-२० मिनट बाद जब मोम पुरी तरह ठंडा हो जाता है तब कपड़ा और प्लास्टिक हटाकर , उंगलियों और पंजे कों आगे पीछे हिलाते /चलाते हुए (पैर के के उअपचार में )मोम की सतह कों तोड़कर शरीर से अलग कर दिया जाता है ............. इसमे जो मोम उपयोग में लिया जाता है उसमे कुछ केमिकल मिले होते है जो त्वचा कों नरम बनाये रखते है ,और सतह से काफी अन्दर तक उतक कों गर्मी पहुचाते है (ऐसा डॉक्टर ने बताया ,पर केमिकल का नाम नहीं बताया --कहा medicated wax होता है ) सिकाई के बाद बहुत ही आराम महसूस होता है त्वचा का रंग लाल हो जाता है लगता है खून उतर आया हो फिर उपकरणों से आवश्यक कसरते करवाई जाती है----मुझे ९ दिन करवाने में ही बहुत आराम हुआ है .................जब पहले दिन डॉक्टर के पास गई थी तो पूछा था आखिर ये होता क्या है ?पहले कभी नहीं सुना या किसी कों भी पता नहीं है हर कोई पूछता है ये क्या है ?---उनके मुखड़े पर मुस्कान छा गई हंसकर बोले जिसको इसका काम पड़ता है उसे पता हो जाता है ................. बस बाकी ठीक .......कल से स्कूल जाना शुरू कर दिया है ........लकड़ी टिकाकर ...............शायद ८-१० दिनों में बिना सहारे के चलने लगूँ... ........................
(सभी चित्र गूगल से साभार )
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6 comments:
शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएं!
चलिये अब जल्दी जल्दी स्वस्थ्य हो जाये, ढेर सारी शुभकामनाये
chalo acha he kosis karte he
bahut khub
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
चलिये, मुख्य मुद्दा है आराम लग गया. शुभकामनाएँ.
इलाज का तरीका चाहे जो हो, लाभ ही मायने रखता है, और ये सही है कि प्यासे को ढूढ़ने से कुआँ मिल ही जाता है.
रत्नेश त्रिपाठी
आशा है कि पैर जल्दी ठीक होगा।
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