|
(मैने व रचना ने गाया है )
"भला किसी का कर न सको तो , बुरा किसी का मत करना,
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम , काँटे बनकर मत रहना ।
बन न सको भगवान अगर तुम , कम से कम इंसान बनो,
नही कभी शैतान बनो तुम , नही कभी हैवान बनो,
सदाचार अपना न सको तो पापों मे पग न धरना ,
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम , काँटे बनकर मत रहना ।
भला किसी का कर न सको तो ............
सत्य वचन न बोल सको तो, झूठ कभी भी मत बोलो,
मौन रहो तो भी अच्छा है , कम से कम विष मत घोलो,
बोल यदि पहले तुम तोलो, फ़िर मुँह को खोला करना ,
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम , काँटे बनकर मत रहना ।
भला किसी का कर न सको तो ............
घर न किसी का बसा सको तो , झोपडियाँ न ढहा देना,
मरहम -पट्टी कर न सको तो , क्षार-नमक न लगा देना,
दीपक बनकर जल न सको तो , अँधियारा भी मत करना,
पुष्प नहीं बन सकते तो तुम , काँटे बनकर मत रहना ।
भला किसी का कर न सको तो ............ "
9 comments:
sahi kaha....kabhi pyaase ko paani pilaya nahi..baad amrit pilaane se kya faayda...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com
दोहराने से कहीं ज्यादा अमल में लाने की है
@ M.VERMA जी ...आप बिल्कुल सही कह रहे हैं,अमल करना जरूरी है । सुधार कर दिया है....
अरे रचना जी आज कल कहां हैं। आशा है अच्छी होंगी।
आभार इसे प्रस्तुत करने का.
इसे तो हमने रचना और निशि की आवाज में सामने सामने सुना था नासिक में. :)
बहुत अच्छा गाया है,
लेकिन रचना बजाज जी को कहियेगा कि वे लिखें, उनकी कमी महसूस होती है
उसकी जगह इस पंक्ति को गुनगुनाकर देखें...शायद मैं गलत हूँ।
अगर पुष्प नहीं हो सकते तुम, फिर काँटे भी मत बनना
बहुत बढ़िया बहुत पसंद आया यह इसको सुनवाने के लिए शुक्रिया
Post a Comment