आज मै बहुत खुश हो गई ....जब मेरी पोस्ट " दोनो में कौन बडा " मेरी बेटी सुन रही थी.............बाद मे उसने उस पर आई टिप्पणी पढना शुरू किया , और पहली ही पढकर वो हँसने लगी...........मैने पूछा क्या हुआ ?.............तो बस पेट पकड कर हँसती ही रही...................बोली आपकी पोस्ट से इस टिप्पणी का क्या लेना-देना?...........चूंकि वो कभी ब्लॉग पोस्ट नही पढती ......इसलिए उसका ये सवाल वाजिब था............तब मेरे दिमाग मे एक बात आई ...सोचा भविष्य मे ये बच्चे जो कुछ भी पढेंगे वो ज्यादातर इंटरनेट पर ही उपलब्ध होगा ..........उसके प्रश्न का उत्तर तो देना ही था ..... कहा-- जब मै दादी-नानी बनूँगी तो मेरे नाती-पोते तो हिन्दी इतना भी नहीं जानेंगे जितना तुम जानती हो........तब मै उन्हे ऐसे उदाहरण देकर मुहावरे समझाया करूंगी ................मेरे न होने पर तुम्हारे लिए भी आसान होगा ...............
वो भला कैसे???उसका प्रश्न था
तब वो तुमसे कहानी सुनाने को कहेंगे तो मेरी पोस्ट से सुनवा देना ,साथ ही ऐसी टिप्पणी पढकर मुहावरा कहना इसे कहते हैं " बे-सिर-पैर की बातें करना "यानि जिसका वास्तविकता से कुछ लेना-देना न हो ऐसी बात कहना ... .......... ---
7 comments:
बहुत खूब 'बेसिर पैर की बातें' सही पर 'रंग चोखा' जमाया
sahi kaha...main infosys me hun..wahan bhi ek blog pe likhta hun..jyadatar comments me shabdo ka matlab hi poochte hain...hindi ka bhavishya khatre me hai...
बहुत बढ़िया आईडिया है। :)
सही है.. :)
बहुत खूभ उत्तर दिया आपने ।
सच बात कही है आपने!
अच्छा लगा पढ़ कर मैम पर पिछली पोस्ट पढ़ने पर ज्यादा हंस पाऊंगा.. अब पीछे जाता हूँ.. :)
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