Saturday, May 1, 2010

है किसी के पास.......................दिलीप की ...............इस नन्ही परी के सवाल का जबाब ???????





Get this widget | Track details | eSnips Social DNA






इसे आप यहाँ पर पढ सकते हैं...............दिल की कलम से

6 comments:

राज भाटिय़ा said...

"है किसी के पास इस नन्ही परी के सवाल का जबाब ?? अरे है ना..... उन्ही से पूछॊ जो ऎसा करते है, या इन का राज छुपाते है, या कुछ पेसो के लिये इन के बच्चे को मारते है.... इन सब के पास इस न्न्ही परी के सवालो का जबाब है. बहुत सुंदर लगी आप की यह रचना मधुर आवाज मै

दिलीप said...

Archana ji aap ne to meri rachna ko jeevan diya hai...bahut abhaar...

दीपक 'मशाल' said...

बहुत मार्मिक कविता और उतनी ही संवेदनशीलता के साथ गया गया.. आभार..
ऐसे ही कुछ साल पहले मैंने अपने एक स्टेज प्ले में इस कविता का इस्तेमाल किया था गौर कीजियेगा..

'मैं बहुत खुश थी अम्मा.. बहुत खुश
तेरे खाए हुए आम की खटास मुझ तक पहुँचती थी अम्मा
मैं बहुत खुश थी अम्मा.. बहुत खुश
मेरी आँखों में भी सपने आने लगे थे
रंगीन दुनिया सजाने लगे थे

मुझे अपने हिस्से का आसमाँ देखना था
मुझे अपने हिस्से के चाँद-तारे देखने थे अम्मा
मैं बहुत खुश थी अम्मा.. बहुत खुश

मुझे अपने हिस्से के अब्बू देखने थे अम्मा
मुझे अपने हिस्से के बाबा देखने थे

पर एक दिन लगा कि मेरे सपनों का बोझ
तेरी हकीकत पर भारी पड़ने लगा था अम्मा
फिर अचानक मैं मचली
जैसे जल बिन मछली
ऐसे लगा कि तू चल नहीं घिसट रही है अम्मा
घिसट रही है

बहुत बड़ा ओपरेशन था अम्मा
बहुत बड़ा
बड़े-बड़े डॉक्टर तेरे ऊपर झुके हुए थे
बड़े-बड़े डॉक्टर तेरे ऊपर झुके हुए थे अम्मा
उनके हाथों में तीन नेजों वाले नश्तर थे
कैंची थी.. खंज़र थे अम्मा
मैं चीखी लेकिन मेरी आवाज़ कहीं तेरे गले में घुट कर रह गई

फिर मुझे तेरे पेट की मखमली चादर से
बाहर निकाल दिया गया अम्मा
और अब मैं बाहर इस आग में जल रही हूँ
मैं अजन्मी बच्ची
मैं अजन्मी बच्ची...'

संगीता पुरी said...

काश लोग सुन पाते .. इस नन्‍हीं परी की आवाज को !!

Archana Chaoji said...

राज जी, दिलीप और दीपक धन्यवाद !!
@ दीपक आपकी कविता भी एक अलग भाव छुपाए हुए है .........अपने तरीके से बताने की कोशिश करूँगी .........शायद आपको पसंद आए ।

Archana Chaoji said...

दीपक जी आपकी कविता का पोड्कास्ट तैयार कर लिया है मेलID नही है ........