न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
तुम न जाने..बहुत सुन्दर!
मस्त जी
आपने आज बहुत ही मार्मिक गीत अपने मधुर स्वर में गाया है!
मज़ा आ गया सुनकर...
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तुम न जाने..बहुत सुन्दर!
मस्त जी
आपने आज बहुत ही मार्मिक गीत
अपने मधुर स्वर में गाया है!
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