Wednesday, June 9, 2010

सुनिए दिलीप की लिखी एक कविता-------"दो पातीयां"

इस कविता को आप यहाँ पढ सकते हैं............दिल की कलम से ....

बेटी और माँ का एक संवाद............पत्र के माध्यम से......




Get this widget
| Track details | eSnips Social DN

7 comments:

संजय भास्‍कर said...

bahut ho sunder hai..........

संजय भास्‍कर said...

bahut hi sunder hai.......

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना.

दिलीप said...

mere har prayas ko aapse ek alag hi samman milta hai...aap to guru hai maa hai...abhaar aapke sneh ka...

Girish Kumar Billore said...

अदभुत स्वर

Girish Kumar Billore said...

ओह सारी अति सुन्दर रचना है जी

दिगम्बर नासवा said...

एक लाजवाब रचना को बहुत ही मधुर कंठ दिया है आपने ... दिलीप जी बहुत अच्छा लिखते हैं और आप इसे और भी अच्छा बना देती हैं ...