न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Sunday, September 26, 2010
प्रिय बेटी,समर्पित ये दिन तुझको
१,२-मै और बेटी,३-माँ के आस-पास दोनो बेटीयाँ (भाभीयाँ)४-निशी-पापा के साथ५-मेरे साथ प्रान्जली(देवेन्द्र) व सुहानी(राजेन्द्र)६-जीतेन्द्र के साथ वैदेही(वैदेही से मिलिये यहाँ )
और बेटीयों को समर्पित ये कविता--(मोबाईल पर मेसेज मिला था)
ओस की बूँद सी होती है बेटियाँ
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटियाँ
रोशन करेगा बेटा तो बस एक ही कुल को
दो-दो कुलों की लाज होती है बेटियाँ
कोई नहीं एक-दूसरे से कम
हीरा है अगर बेटा
तो सच्चा मोती होती है बेटियाँ
काँटों की राह पर ये खुद ही चलती रहेंगी
औरों के लिए फ़ूल बोती है बेटियाँ
विधी का विधान है
यही दुनियाँ की रस्म है
मुट्ठी भर नीर सी होती है बेटियाँ...
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23 comments:
बहुत अच्छा लगा चित्रों को देखकर
बेटियाँ तो बेटियाँ हैं ....
ओस की बूँद सी होती है बेटियाँ
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटियाँ
......बेटियाँ तो बेटियाँ हैं |
डाटर्स डे दिवस की बहुत बधाई....
खूबसूरत अभिव्यक्ति, आज की बेटियां जीवन के हर सोपान पर श्रेष्ठता का परचम लहरा रही है . इस अनुपम पोस्ट के लिए बधाई.
बहुत सुन्दर चित्र लगाये हैं आपने!
--
बिटियों की महिमा अनन्त है।
इन से ही घर में बसन्त है!!
बेटियों को इस विशिष्ट दिवस पर सदा की तरह अनेक आशीष, बधाई एवं शुभकामनाएं.
निशि भी दिख ही गई यहाँ पर. :)
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (27/9/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बड़े सुन्दर हैं सारे चित्र। बहुत अच्छा लगा आपके परिवार से मिलकर।
माँ बेटी का दूसरा फोटो अच्छा लगा ...लगता है दो शरीर और एक जान हैं दोनों ! आपको देखने की इच्छा थी सो धन्यवाद ! परिवार को मेरी हार्दिक शुभकामनायें !
सुन्दर अभिव्यक्ति..
बच्चाराम को मेरी तरफ से भी बेटियों का दिन मुबारक हो.. हर खुशी मिले जो चाहो..
बहुत भावपूर्ण रचना..बधाई
आज क्या कुछ खास है या बिटिया रानी का जन्मदिन है।
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति......
वाह....
हृदयस्पर्शी बहुत ही सुन्दर...
बहुत अच्छा लगा चित्रों को देखकर
बहुत भावपूर्ण रचना..बधाई
बेटियाँ तो बेटियाँ हैं....खूबसूरत अभिव्यक्ति
सुन्दर व भाव पूर्ण काव्य, हम स्त्री को महान बताते नही थकते पर इस बात को अपने चरित्र में क्यों नही उतार पाते है? जो शास्वत सत्य सुन्दर, निर्मल व दैवीय है यानी स्त्री उसे हम क्यों किताबी बनाये हुए हैं....
ओस की बूँद सी होती है बेटियाँ सही कहा बहुत सुन्दर लगी आपकी यह रचना
सुन्दर चित्र...
बढ़िया रचना
भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
चित्र बहुत सुंदर...साथ में प्यारी सी कविता|
बेटियों को शुभाशीष|
सुन्दर चित्र!
मुस्कुराहटें यूँ ही बनी रहे!
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