Wednesday, March 28, 2012

सूखा गुलाब !!

--नमस्ते..
--नमस्ते..
-- मैं आपको पसंद करता हूँ...
--??? क्या मतलब? ....कहते हुए चौंक गई मैं (अपनी जन्मतारीख भी याद करने लगी थी...कन्फ़र्म ५० पूरे हो चुके हैं)
--सॉरी........ यानि मैं आपका लिखा पसंद करता हूँ....
--ओह!!!, तब ठीक है .....कातिल मुस्कान (यही कहते हैं सब :-)...)छा गई चेहरे पर मेरे ....आगे कहा -पर मुझे तो लिखना ही नहीं आता ....
-- नहीं ,नहीं आप ऐसा कैसे कह सकती हैं ? मैनें पढ़ा है आपको ,वो SSS..........बुक पर ...और देखा भी है .....
 
और मैं आँखें बन्द कर सोच रही हूँ ---बुक में देखा!!! अरे हाँ याद आया एक सूखा गुलाब ! है तो मेरी बुक में भी ....
साथ में गीत चल रहा है--- पल-पल दिल के पास तुम रहती हो..............



...और जाने कब गीत खतम हो गया ..गुलाब की खुशबू तो अब भी आ रही थी........
अचानक गेट पर किसी के ठकठकाने की आवाज़ आई और आँखें खुली मेरी.......और तभी ...
...... शुरू हो गया अगला गीत - वो शाम कुछ अजीब थी ये शाम भी अजीब है .....

8 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:):) जन्मदिन है तो जन्मदिन की शुभकामनायें ...

गीत दोनों बहुत पसंद हैं ...

प्रवीण पाण्डेय said...

सूखे गुलाब के अरमान सदा गीले रहते हैं।

Girish Kumar Billore said...

बेहद उम्दा पोस्ट

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

:)) सादर.

उन्मुक्त said...

जन्मदिन की शुभकामनायें।

Brijendra Singh said...

shubhkamnayen..

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अरे...गज़ब रचना..

निवेदिता श्रीवास्तव said...

<3