Thursday, May 10, 2012

कहाँ से चले .....कहाँ आ गए...


सुहाना सा मौसम
गुलाबी स्वेटर
और तुम्हारी खूशबू!! 



चलो कहीं दूर
बातें बनाएं
मैं और तुम!!


क्या खोया तुमने
मेरा मन
मिलेगा तुमको फ़िर!! 


बचा है कौन
सिर्फ़ मैं
ना जाने क्यों!! 


एक तेरी याद
टूटे सपनें
और खामोश हम!!



छिटकी हुई चाँदनी
सूना मन
बिखरे सारे सपनें!!
 

छोटी सी बात
भीनी खूश्बू
और वो रजनीगंधा!!


आओगे न तुम
नहीं जानती
अभी तो जाउ!!

मेरा चाँद उजला
काली रात
अब न आयेगा!!



कहाँ से चले
बस करो
कहाँ आ गए...






10 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

सफर सुहाना हो तो जगह का पता ही नहीं लगता है।

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह बहुत खूब ...शब्द शब्द..सुहाना सा लगता हैं

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

माफ करना..मुझे हँसी आ रही है!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बड़ा खूबसूरत सफर .... पढ़ते पढ़ते मुस्कान आ गयी :)

मुकेश कुमार सिन्हा said...

thori si halki si shararat bhari muskurahat mere chehre pe bhi tair gayee archana di:))

मुकेश कुमार सिन्हा said...

gulabi swetar
pchhle saaal se pahna hua
ab tak chhinta hue itar
bina dhule pada hua tha
to basi thi khushboo
mahak rahe the tum:))

Girish Kumar Billore said...

नि:शब्द करती कविता
आपने तो कहा था कि
आप से कविता लिखना
नहीं आता
ये क्या
वाह

Ramakant Singh said...

बिखरी हुई बातें बिखरे से भाव समेटने में थोड़ी मुश्किल .

सदा said...

वाह ...बहुत खूब ।

bkaskar bhumi said...

अर्चना जी
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