सुहाना सा मौसम
गुलाबी स्वेटरऔर तुम्हारी खूशबू!!
चलो कहीं दूर
बातें बनाएं
मैं और तुम!!
क्या खोया तुमने
बचा है कौन
मैं और तुम!!
क्या खोया तुमने
मेरा मन
मिलेगा तुमको फ़िर!!
मिलेगा तुमको फ़िर!!
बचा है कौन
सिर्फ़ मैं
ना जाने क्यों!!
एक तेरी याद
टूटे सपनें
और खामोश हम!!
बिखरे सारे सपनें!!
छोटी सी बात
भीनी खूश्बू
और वो रजनीगंधा!!
आओगे न तुम
नहीं जानती
अभी तो जाउ!!
मेरा चाँद उजला
काली रात
अब न आयेगा!!
कहाँ से चले
बस करो
कहाँ आ गए...
ना जाने क्यों!!
एक तेरी याद
टूटे सपनें
और खामोश हम!!
छिटकी हुई चाँदनी
सूना मनबिखरे सारे सपनें!!
भीनी खूश्बू
और वो रजनीगंधा!!
आओगे न तुम
नहीं जानती
अभी तो जाउ!!
मेरा चाँद उजला
काली रात
अब न आयेगा!!
कहाँ से चले
बस करो
कहाँ आ गए...
10 comments:
सफर सुहाना हो तो जगह का पता ही नहीं लगता है।
वाह बहुत खूब ...शब्द शब्द..सुहाना सा लगता हैं
माफ करना..मुझे हँसी आ रही है!!
बड़ा खूबसूरत सफर .... पढ़ते पढ़ते मुस्कान आ गयी :)
thori si halki si shararat bhari muskurahat mere chehre pe bhi tair gayee archana di:))
gulabi swetar
pchhle saaal se pahna hua
ab tak chhinta hue itar
bina dhule pada hua tha
to basi thi khushboo
mahak rahe the tum:))
नि:शब्द करती कविता
आपने तो कहा था कि
आप से कविता लिखना
नहीं आता
ये क्या
वाह
बिखरी हुई बातें बिखरे से भाव समेटने में थोड़ी मुश्किल .
वाह ...बहुत खूब ।
अर्चना जी
पूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लॉग से कुछ लेख को अपने दैनिक समचार पत्र भास्कर भूमि में प्रकाशित किया है। अखबार की प्रतियां आप तक भेजना चाहते है। आप अपने घर का पता भेजने की कृपा करे.......bhaskar.bhumi.rjn@gmail.comभास्कर भूमि का ई पेपर देखें......
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