सुना था मैंने
वो जो बहती है न!
नदी होती है
लेकिन जाना मैंने
वो जो बहती है न!
जिंदगी होती है...
सुना था मैंने
वो जो कठोर होता है
पत्थर होता है
लेकिन जाना मैंने
वो जो कठोर होता है
ईश्वर होता है
...
सुना था मैंने
वो जो गाती है न!
चिड़िया होती है
लेकिन जाना मैंने
वो जो गाती है
लड़की होती है...
वो जो बहती है न!
नदी होती है
लेकिन जाना मैंने
वो जो बहती है न!
जिंदगी होती है...
सुना था मैंने
वो जो कठोर होता है
पत्थर होता है
लेकिन जाना मैंने
वो जो कठोर होता है
ईश्वर होता है
...
सुना था मैंने
वो जो गाती है न!
चिड़िया होती है
लेकिन जाना मैंने
वो जो गाती है
लड़की होती है...
13 comments:
सही सुना और सच को जाना , हम जिसे जानते हैं वह सच होता कहाँ है खुबसूरत एहसास
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,,,
Recent post: गरीबी रेखा की खोज
लड़कियां चिड़ियों की तरह होती हैं. गाना चाहती हैं. लड़कियाँ दूर गगन में उड़ जाना चाहती हैं :)
बहुत प्यारी कविता है!
सच कहा, अनुभव उत्तर पक्ष को सिद्ध करता सा दीखता है।
मेरी टिप्पणी स्पैम में गयी क्या :(
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
वाह
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-02-2013) के चर्चा मंच-1165 पर भी होगी. सूचनार्थ
बेहद भावुक लेकिन सटीक रचना जैसे यथार्थ लिख दिया हो, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
जिंदगी के खट्टे मीठे अनुभव करवाने के लिए ही ईश्वर को कठोर होना पड़ता है |
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति |
सादर
गाती है , बहती है , लड़की होती है !
चिड़िया सी फुदकती लग रही है प्यारी कविता !
बहुत सुन्दर ... नए बिम्ब परिभाषित कर दिए ...
लाजवाब ...
सच ही सुना है
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