कहाँ तकदीर लिखती है, उजाला सबके हिस्से में,
कहाँ खुशियाँ नज़र आती हैं, अक्सर अपने किस्से में.
मगर मेहनत कड़ी कर लें, खुशी तब मुस्कराती है.
अगर हम ठान लें मन में, सफलता पास आती है...
ये पंक्तियाँ है गिरीश पंकज जी के के गीत की उनके ब्लॉग सद्भावना दर्पण से.....
सुनिये उनके इसी ब्लॉग से ये गीत----(एडिट किया है पद्मसिंह जी ने )
5 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
साझा करने के लिए धन्यवाद।
वाह !!! बहुत सुंदर साझा करने के लिए आभार ,,,
RECENT POST : पाँच( दोहे )
गिरीश पंकज जी के शब्दों में आपने प्राण फूंक दिए जीवंत हो उठे बधाई
बहुत सुंदर, शुभकामनाएं.
रामराम.
बहुत बढ़िया - और मैं ये हमेशा कहता हूँ। :)
Post a Comment