यूं ही फेसबुक पर स्टेटस ,स्टेटस घूमते हुए इस पेज को देखा......"रक्त अर्चना" नाम ने ही रोक लिया फिर आगे पढ़ा, तो ये समझ आया की ये ग्रुप दान देने वालों का है जो वक्त जरूरत पर खून देते हैं .......
मैं कई दिनों से ए-निगेटिव ब्लड डोनर की तलाश में थी,इस पेज पर मेसेज लिखा की क्या मुझे मदद मिल सकती है.....5-10 मिनट में रिप्लाय में एक फोन नंबर के साथ मेसेज मिला -इस नंबर पर रिक्वायरमेंट शेअर कर दीजिए ....
मैंने नाम पूछा रिप्लाय देने वाले का ,जबाब मिला -सचिन जायसवाल
और समय मिलते ही मैंने उन्हें फोन किया-
-हैलो,मैं अर्चना,सुबह आपसे फेसबुक पर चेट हुई थी
-जी,जी मेडम, आपको मिल जाएगा ब्लड, कब चाहिए....
......
......
....
और सारी जानकारी के बाद मैंने थैंक्स कहकर फोन रखना चाहा,तुरंत सुनाई दिया-मेम आप आज शाम को फ्री हैं एक घंटा?
-हाँ,कहिए....-
वो....हम लोग एक थियेटर ग्रुप"अनवरत" से भी जुड़े है,और आज शाम एक नाटक का मंचन करने वाले है,आप आएंगी तो बहुत अच्छा लगेगा ,और आपसे मिलना भी हो जाएगा...
-ठीक है,मैं कोशिश करूंगी.....लेकिन पास वास कैसे और कहाँ से मिलेगा?
-मेम, आप आ जाईयेगा,वो मैं अरेंज कर दूंगा.....
.
.
.
दिन बीता .......सोचती रही ....और जाना तय किया ...ये पहला मौका था जब कोई प्ले देखने जा रही थी.....
...पहुँच कर फोन किया -मैं अर्चना ....यहाँ पहुँच गयी हूँ मेन गेट पर ....
-ओके मेम आप रूकिये मैं आता हूँ लेने .....
और दो मिनट में ही एक ठिगने कद का नौजवान मेरे सामने था चश्मा लगाए.....(जाने क्यों चश्में वाले बच्चों की शक्ल वत्सल सी लगती है मुझे हमेशा)...:P
...आप अर्चना जी
-ह्म्म्म!
-आईये.....दीदी एक पास देना ......
और एंट्री पास मेरे हाथ में था .....तभी मुझे मिलवाया "रक्त अर्चना"के कर्ता-धर्ता उज्जवल लाड से......दुबला पतला सफ़ेद कुर्ते पायजामें में पर आँखों में गज़ब की चमक लिए युवा.......
नमस्कार व सामान्य बातचीत के बाद मैं अन्दर हॉल में दाखिल हुई......काफी सीट भरते जा रही थी लोग आ रहे थे ....मैंने कोने की सीट ली....
बस फिर अतिथी सत्कार के साथ नाटक की लेखिका बिशना चौहान जी से परिचय करवाया गया और 5मिनट में ही नाटक शुरू......
पात्रो नें पूरे समय बांधे रखा .....
नाटक था -"मरासिम" यानी रिश्ता .......
तीन लड़कियों की कहानी थी,किर्ती,सहज और मानसी....... अपनों के द्वारा अपनाए न जाने के कारण होस्टल में भेज दी गयी थीं ।एक की माँ ने पिता के देहांत के बाद दूसरी शादी कर ली तो दूसरे के पिता ने..तीसरी के माता-पिता न होने पर दादा ने मजबूरी में क्योंकि चाचा चाची .......
और वे यहीं रिश्तेदार बन गयी........
समय बीता सब अपने फील्ड में आगे बढ़कर अलग हो गयी .......आज आपस में सालों बाद एक दूसरे से मिलती है और अपनी अपनी कहानी साझा करती है.....
तीनों के जीवन में पुरूष पात्रों का परिचय होता है और तीनों अलग अलग तरह से धोखे का शिकार होकर एकाकी रह जाती हैं..... एक गर्भवती है
......
.
समाज से सवाल पूछा जाता है -दोषी कौन? क्या बच्चे को जन्म दे या न दे?
बहुत सशक्त प्रस्तुति रही ....सहज का अभिनय करने वाली अभिनेत्री दीक्षा की संवाद अदायगी काबिले तारीफ़ रही,और अविनाश का पात्र जीवंत हुआ दर्पण के अभिनय से...नितेश उपाध्याय ने हर पात्र पर पकड़ बनाए रखी, सूत्रधार का प्रयोग दर्शक को पात्रों से जोड़े रखने में कामयाब रहा ..पार्श्व गीत का चयन प्रभावी था
एक मनचले पात्र के किरदार की एंट्री पर गाया गया - तेरी नज़र ...मजेदार लगा
गायक को बधाई!!!!
हर एक कलाकार का अभिनन्दन! एक यादगार शाम संजोने के लिए ....और जिस तरह से पहली ही मुलाकात ने दिल में घर कर लिया ....कोई शक नहीं कि सफ़र सुहाना न होगा.......
शुभकामनाएं.........
9 comments:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (30-03-2014) को "कितने एहसास, कितने ख़याल": चर्चा मंच: चर्चा अंक 1567 पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ऐसे सुखद अहसास आज के युग में कम ही देखने को मिलते हैं ...
वाह क्या बात है. सैल्यूट.
बहुत प्यारी पोस्ट है दी....
मन को तसल्ली सी हुई..कुछ भला भला सा लगा पढ़ कर.
सादर
अनु
Archana mam, bahot bahot dhanyawaad aapka, tahe dil se aapka shukra gujar hun..
Umeed karunga ki mei aur hamari team Anvaratt aage bhi darshako ko aise hi shows dikhane ke liye pratibadh hai aur rahenge.
Regards,
Anuruddh Sanyal
as in Dev Malhotra in Marasim
Archana mam, bahot bahot dhanyawaad aapka, tahe dil se aapka shukra gujar hun..
Umeed karunga ki mei aur hamari team Anvaratt aage bhi darshako ko aise hi shows dikhane ke liye pratibadh hai aur rahenge.
Regards,
Anuruddh Sanyal
as in Dev Malhotra in Marasim Play
समाज के शाश्वत प्रश्न, संबंधों की जटिल गूढ़ता।
Koi link hai you tube par apka stage show hume bhi dekhna hai :)
Koi link hai you tube par apka stage show hume bhi dekhna hai :)
Post a Comment