एक गेम खेलते हैं - चार शब्द दे रही हूँ -
४ या ६ लाईन लिखनी है जिसमें ये चारों शब्द आने चाहिए -- शब्द हैं -
घोड़ा/ मूंछ / सपना /फूल
एक सदस्य ३ एंट्री दे सकता है। ..
पिछले सप्ताह ये खेल ग्रुप- " गाओ गुनगुनाओ शौक से" में खेला गया और नतीजा आपके सामने है - और इसमें से कुछ को बाकायदा धुन बनाकर सस्वर गाया भी गया -
रश्मिप्रभा-
१.
घोड़े की मूंछ नहीं है
लेकिन उसका एक सपना है
फूल भरी वादियों में जाके उसको दौड़ना है
२.
घोड़े ने देखा सपना
पूंछ में लगाके फूल
घोड़े ने देखा सपना
जाऊँगा सिंड्रेला के पास
उसको दूँगा फूल
फिर कैसे जाएगी वो भूल
३.
घोड़े ने ऐंठी मूंछ
और देखा एक सपना
फूलों के गांव से आया कोई अपना
आया कोई अपना
सुंदर सलोना सपना
अर्चना -
१.
घोड़े पर चढ़ आया सवार
नाम था उसका फूलकुमार
घोड़े ने जब फटकारी पूँछ
गिरा सवार और कट गई मूंछ
पास न था कोई उसका अपना
देखा था उसने दिन में सपना
२
अबे! ओ मूँछों वाले
देखी है अपनी मूँछ
मुझे तो लगती है
ये घोड़े की पूँछ
कह भी मत बैठना
"यू आर सो कूल"
सपने में भी लाया फूल
तो चाटेगा यहाँ धूल ...
३
सपने में देखा एक राजकुमार
मूँछें थी काली और घोड़े पे सवार
आंखों ही आँखों में उससे हो गया प्यार
फ़िर पहनाया उसने मुझको फूलों का हार
शिखा-
१.
घोड़े की जो पूंछ न हो
मर्द की जो मूंछ न हो
सपने में जो फूल न हो
तो....ये जीना भी कोई जीना है लल्लू।
२
तुझमें मुझमें है फर्क बड़ा
तू घोड़ा है मैं आलसी मौड़ा हूँ
तू फूल सी पूंछ दबा के दौड़ता है
मैं मूंछ लगा के सपना देखता हूँ। 😁😁
३
जो आदमी की पूंछ होती
वो भी फूल लगाता
मूंछ वाला देखे यह सपना
काश वो भी घोड़ा बन जाता।
रागिनी मिश्रा
१
मूंछ होगी तो पटा लूंगी 😘
पूंछ होगी तो कटा दूंगी 😂
सपना है मेरा ऐसा 🤗
तुझपे हर फूल लुटा दूंगी 🍥
२
बनकर घोड़ा दौडूं सरपट
विद्यालय को पहुंचूं झटपट
पर घोड़े की मूंछ नहीं है
फिर मेरे भी तो पूंछ नहीं है
सिर पर मेरे फूल लगे हैं
देखो कितना कूल लगे है
बन्दर जैसा चेहरा अपना
हाय दइया... ये कैसा सपना?
३
वन्दना अवस्थी दूबे
१
फूलों के बीच घूमते,
सपना देख रहा था घोड़ा,
काश उग सकें उसकी भी
मूंछें अब थोड़ा-थोड़ा
२
घोड़ा आया दौड़ के, अपनी पूंछ दबाय,
खड़ा है दूल्हा कब से अपनी मूंछ खुजाय
फूल सी दुल्हन बैठी है, नैनों में ख़्वाब सजाय!
३
घोड़े की पूंछ
दूल्हे की मूंछ
फूल हैं सच्चे
सपना है झूँठ
उषा किरण
१
राजकुमार की मूँछ हो या हो घोड़े की पूँछ।
रजनीगंधा के फूल हों या अपने देस की धूल
सपना तो फिर सपना है। चाहें किसी से पूँछ
२
मूँछों की लड़ाई
हमको ना भाई
घोड़े सी दुलत्ती
क्यूँ तुमने लगाई
मान सपना सा भूल
दे दो उसको फूल
३
घोड़े के मूँछ
फूलों की पूँछ
सपनों की महिमा
हम से ना पूँछ
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
१
मैंने एक सपना देखा .
घोड़ा यों अपना देखा .
उसकी उग आई थीं मूँछ ,
पर गायब थी उसकी पूँछ ।।
२
मेरा घोड़ा बड़ा निगोड़ा .
पूँछ उठाकर जब भी दौड़ा .
खुद को समझे राजकुमार,
पहनादो फूलों का हार .
सपने देखे बड़े बड़े .
सो लेता है खड़े खड़े .
३
पूले सी मूँछ हो ,
लम्बी सी पूँछ हो .
ऐसा एक घोड़ा हो .
नखरैला थोड़ा हो .
फूलों का बँगला हो .
पूरा ये सपना हो ।
पूजा अनिल
१)
घोड़ा दौड़ा
मूंछ था मोड़ा
फूल पे फिसला
सपने में पगला
२)
फूल रंगीला
घोड़ा नीला
मूँछ को खोजे
सपना हठीला
३)
किसका घोड़ा
सरपट दौड़ा ?
कैसा सपना
तुमने देखा ?
मोर की पूँछ ?
दादा की मूँछ ?
बाग़ का फूल ?
गुलाब का शूल?
सब गये भूल !
हम गये भूल!
संध्या शर्मा
१
घोड़ा शोभे न पूँछ बिना
धणी शोभे न मूँछ बिना
सपना नही अपनों बिना
बाग़ न सोहे फ़ूल बिना
२
घोड़ा आया बाग़ में
फूल कोई खिला गया
सपनों की गली थी
मूँछ वाला जगा गया
३
ए सनम जिसने ये शानदार सी मूँछ दी है
उसी मालिक ने ही तो घोड़े को पूँछ दी है
चाहे बिखरे हो कितने फ़ूल घोड़ा दौड़ेगा
सपने में भी ये मूँछवाला साथ न छोड़ेगा
शीतल माहेश्वरी
१
घोडा करना चाहता था
फूल सी राजकुमारी से शादी
मगर क्या करे वो बेचारा
मूंछ ने कर दी उसके सपनो की बर्बादी
२
घोड़ा बना सपना
पूंछ उसकी नींद
मूंछ सी काली रात में
कर रहे दोनों तक धिना धिन
इतने में चली होले से हवा
फूल सा महका समा हसीन
ऋताशेखर
१
बाबा जी ने मूंछ उमेठी
घोडा ने फटकारी पूँछ
दूर देश में खड़ा था माली
उसने खूब खिलाये फूल
सपनो में देखो जब सपनी
सारी बातें लगती अपनी
शोभना चौरे
१
पूंछ हिलाता आया घोड़ा
उसपे बैठा
मूंछो वाला राजकुमार
राजकुमारी के सपने
हुए साकार
दोनों ने
एक दूसरे
को पहनाए फूलो के हार
वाणी गीत
१
घोड़ा चढ़ के आया जो
सपने में आया वो
मूँछ तो थी उसकी काली
पर फूल लाया गुलाबी
४ या ६ लाईन लिखनी है जिसमें ये चारों शब्द आने चाहिए -- शब्द हैं -
घोड़ा/ मूंछ / सपना /फूल
एक सदस्य ३ एंट्री दे सकता है। ..
पिछले सप्ताह ये खेल ग्रुप- " गाओ गुनगुनाओ शौक से" में खेला गया और नतीजा आपके सामने है - और इसमें से कुछ को बाकायदा धुन बनाकर सस्वर गाया भी गया -
रश्मिप्रभा-
१.
घोड़े की मूंछ नहीं है
लेकिन उसका एक सपना है
फूल भरी वादियों में जाके उसको दौड़ना है
२.
घोड़े ने देखा सपना
पूंछ में लगाके फूल
घोड़े ने देखा सपना
जाऊँगा सिंड्रेला के पास
उसको दूँगा फूल
फिर कैसे जाएगी वो भूल
३.
घोड़े ने ऐंठी मूंछ
और देखा एक सपना
फूलों के गांव से आया कोई अपना
आया कोई अपना
सुंदर सलोना सपना
अर्चना -
१.
घोड़े पर चढ़ आया सवार
नाम था उसका फूलकुमार
घोड़े ने जब फटकारी पूँछ
गिरा सवार और कट गई मूंछ
पास न था कोई उसका अपना
देखा था उसने दिन में सपना
२
अबे! ओ मूँछों वाले
देखी है अपनी मूँछ
मुझे तो लगती है
ये घोड़े की पूँछ
कह भी मत बैठना
"यू आर सो कूल"
सपने में भी लाया फूल
तो चाटेगा यहाँ धूल ...
३
सपने में देखा एक राजकुमार
मूँछें थी काली और घोड़े पे सवार
आंखों ही आँखों में उससे हो गया प्यार
फ़िर पहनाया उसने मुझको फूलों का हार
शिखा-
१.
घोड़े की जो पूंछ न हो
मर्द की जो मूंछ न हो
सपने में जो फूल न हो
तो....ये जीना भी कोई जीना है लल्लू।
२
तुझमें मुझमें है फर्क बड़ा
तू घोड़ा है मैं आलसी मौड़ा हूँ
तू फूल सी पूंछ दबा के दौड़ता है
मैं मूंछ लगा के सपना देखता हूँ। 😁😁
३
जो आदमी की पूंछ होती
वो भी फूल लगाता
मूंछ वाला देखे यह सपना
काश वो भी घोड़ा बन जाता।
रागिनी मिश्रा
१
मूंछ होगी तो पटा लूंगी 😘
पूंछ होगी तो कटा दूंगी 😂
सपना है मेरा ऐसा 🤗
तुझपे हर फूल लुटा दूंगी 🍥
२
बनकर घोड़ा दौडूं सरपट
विद्यालय को पहुंचूं झटपट
पर घोड़े की मूंछ नहीं है
फिर मेरे भी तो पूंछ नहीं है
सिर पर मेरे फूल लगे हैं
देखो कितना कूल लगे है
बन्दर जैसा चेहरा अपना
हाय दइया... ये कैसा सपना?
३
दैय्या रे दैय्या रे चुभ गयी उनकी मुछवा 🤓
लाओ रे लाओ कोई लगाओ ऊपे फुलवा 😁
आके वो चढ़ गया जैसे चढि गये घोड़वा 😂
हाय हाय रे मर गयी कोई उखाड़े ऊकी पुंछवा ☺
चुभ गयी निगोड़ी मुछवा मुछवा
लाओ रे लाओ रे कोई बिछाओ ऊपे फुलवा
वन्दना अवस्थी दूबे
१
फूलों के बीच घूमते,
सपना देख रहा था घोड़ा,
काश उग सकें उसकी भी
मूंछें अब थोड़ा-थोड़ा
२
घोड़ा आया दौड़ के, अपनी पूंछ दबाय,
खड़ा है दूल्हा कब से अपनी मूंछ खुजाय
फूल सी दुल्हन बैठी है, नैनों में ख़्वाब सजाय!
३
घोड़े की पूंछ
दूल्हे की मूंछ
फूल हैं सच्चे
सपना है झूँठ
उषा किरण
१
राजकुमार की मूँछ हो या हो घोड़े की पूँछ।
रजनीगंधा के फूल हों या अपने देस की धूल
सपना तो फिर सपना है। चाहें किसी से पूँछ
२
मूँछों की लड़ाई
हमको ना भाई
घोड़े सी दुलत्ती
क्यूँ तुमने लगाई
मान सपना सा भूल
दे दो उसको फूल
३
घोड़े के मूँछ
फूलों की पूँछ
सपनों की महिमा
हम से ना पूँछ
गिरिजा कुलश्रेष्ठ
१
मैंने एक सपना देखा .
घोड़ा यों अपना देखा .
उसकी उग आई थीं मूँछ ,
पर गायब थी उसकी पूँछ ।।
२
मेरा घोड़ा बड़ा निगोड़ा .
पूँछ उठाकर जब भी दौड़ा .
खुद को समझे राजकुमार,
पहनादो फूलों का हार .
सपने देखे बड़े बड़े .
सो लेता है खड़े खड़े .
३
पूले सी मूँछ हो ,
लम्बी सी पूँछ हो .
ऐसा एक घोड़ा हो .
नखरैला थोड़ा हो .
फूलों का बँगला हो .
पूरा ये सपना हो ।
पूजा अनिल
१)
घोड़ा दौड़ा
मूंछ था मोड़ा
फूल पे फिसला
सपने में पगला
२)
फूल रंगीला
घोड़ा नीला
मूँछ को खोजे
सपना हठीला
३)
किसका घोड़ा
सरपट दौड़ा ?
कैसा सपना
तुमने देखा ?
मोर की पूँछ ?
दादा की मूँछ ?
बाग़ का फूल ?
गुलाब का शूल?
सब गये भूल !
हम गये भूल!
संध्या शर्मा
१
घोड़ा शोभे न पूँछ बिना
धणी शोभे न मूँछ बिना
सपना नही अपनों बिना
बाग़ न सोहे फ़ूल बिना
२
घोड़ा आया बाग़ में
फूल कोई खिला गया
सपनों की गली थी
मूँछ वाला जगा गया
३
ए सनम जिसने ये शानदार सी मूँछ दी है
उसी मालिक ने ही तो घोड़े को पूँछ दी है
चाहे बिखरे हो कितने फ़ूल घोड़ा दौड़ेगा
सपने में भी ये मूँछवाला साथ न छोड़ेगा
शीतल माहेश्वरी
१
घोडा करना चाहता था
फूल सी राजकुमारी से शादी
मगर क्या करे वो बेचारा
मूंछ ने कर दी उसके सपनो की बर्बादी
२
घोड़ा बना सपना
पूंछ उसकी नींद
मूंछ सी काली रात में
कर रहे दोनों तक धिना धिन
इतने में चली होले से हवा
फूल सा महका समा हसीन
१
बाबा जी ने मूंछ उमेठी
घोडा ने फटकारी पूँछ
दूर देश में खड़ा था माली
उसने खूब खिलाये फूल
सपनो में देखो जब सपनी
सारी बातें लगती अपनी
शोभना चौरे
१
पूंछ हिलाता आया घोड़ा
उसपे बैठा
मूंछो वाला राजकुमार
राजकुमारी के सपने
हुए साकार
दोनों ने
एक दूसरे
को पहनाए फूलो के हार
वाणी गीत
१
घोड़ा चढ़ के आया जो
सपने में आया वो
मूँछ तो थी उसकी काली
पर फूल लाया गुलाबी
5 comments:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 10 मई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
सुन्दर रचनायें ,आभार। 'एकलव्य'
मनोरंजक रचना
बहुत सुन्दर.....
रोचक....
गजब
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