गिरिजा दी से इस बार फिर मुलाकात हुई बंगलौर में ,इस बार रश्मिप्रभा दी के घर हम मिले।ऋता शेखर भी साथ थी, गिरिजा दी और रश्मिप्रभा दी पहली बार एक -दूसरे से मिल रही थी, और फिर जो दिन भर बातों में बीता पता ही नहीं चला शाम के 6 बजे पहली बार घड़ी देखी और फिर देर हो गई,देर हो गई करते करते 7 बज गए ।बहुत आत्मीय रही मुलाकात सबकी,बहुत अच्छा लगा ,खास बात ये की चारों ब्लॉग लिखती हैं।
वहीं ऋता जी ने भी अपनी कुंडलियों का और गिरिजा दी ने अपना गीत संग्रह - "कुछ ठहर ले और मेरी जिंदगी"भेंट दिया , आज उसी संग्रह से एक गीत - "सर्वव्यापक" गाने का प्रयास किया है आप सब भी सुनियेगा -
वहीं ऋता जी ने भी अपनी कुंडलियों का और गिरिजा दी ने अपना गीत संग्रह - "कुछ ठहर ले और मेरी जिंदगी"भेंट दिया , आज उसी संग्रह से एक गीत - "सर्वव्यापक" गाने का प्रयास किया है आप सब भी सुनियेगा -
(प्लेयर को सक्रिय करें, एक बार में न हो तो पुनः करें)
6 comments:
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अच्छी लगी यह मुलाकात।
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😊बरसों बाद फिर एक ब्लॉगर का कमेंट मिला , ब्लॉग पर लौटने की शुरुआत में ।धन्यवाद।
यह आनन्द फेसबुक में कहाँ!
गीत तो है ही बेजोड़, तुमने जान दाल दी ... कुछ ख़ास तो हो ही तुम
अर्चना ,तुम कमाल हो सचमुच . तुम्हारे साथ कुछ समय बिताना है .
पढ़ना लिखना होता रहता है लेकिन दर्ज नहीं हुआ , आज मित्रों के मधुर मिलन की ख़ूबसूरत दास्तान पढ़ना और सुनना बहुत अच्छा लगा ! सोचा एक और कोशिश की जाए सक्रिय होने की !
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