आज अपने काम में बहुत व्यस्त रही, अभी सबको शुभकामनाएं महिला दिवस की।
आप सभी सदा अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीती रहें,
चलती रहें अपने बनाए पथ पर
और देती रहें अपनी संस्कृती अपने हाथों अपनी संतानों को
रास्ते के रोड़े हटाती रहें
अपनी ठोकरों से,
अपनी विनम्रता में छुपाए रखें
अपनी अग्नि जिसमें भस्म कर सकें
तमाम भस्मासुरों को
मुस्कुराहट में छुपाए रखें अपनी दया,करुणा और ममता
सहजता से राज करें इस और उस पूरी दुनिया पर 👍👍👍
अर्चना (आज का टास्क)
10 comments:
आपको भी महिला दिवस की शुभकामनाएँ दीदी।
धन्यवाद
बेहतरीन
अर्चना जी, दया, करुणा, ममता और विनम्रता ही क्यों? स्त्री के जीवन के साथ, उसके गुणों में, त्याग और बलिदान भी जोड़ दीजिए.
गुणों का लैंगिक भी विभाजन हो तो स्त्री-पुरुष की समानता का तो स्वप्न देखना भी बेमानी होगा.
महिला दिवस पर सुंदर सृजन
सुंदर सृजन।
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
नारी का द्वंद्व अगर नारी से हो तो किस की शर्तें मान्य होगी।
कौन सही कौन गलत कैसे सिद्ध होगी???
बहुत ही बढ़िया टास्क।
बहुत अच्छी रचना।
सादर।
महिला दिवस पर सराहनीय रचना ।
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