मैराथन पांच किलोमीटर।
इस बार इंदौर मैराथन वर्चुअल हो रही थी,एंट्री देने की तारीख नजदीक थी मगर खुद पर भरोसा नहीं था।सुबह का घूमना कुछ दिन पहले ही शुरू किया था ,तभी एक दिन AIM इंदौर के कुछ सदस्य व्यायाम करते मिले सुबह एक चौराहे पर, ये पूछने कि क्या वे रोज व्यायाम करते हैं ,उन्होंने आग्रह किया जुड़ने का ,और जुड़ गई। वे हफ्ते में चार दिन पांच किलोमीटर दौड़ने के बाद एक घंटे व्यायाम करते हैं,एक दिन पूरे समय व्यायाम और एक बार लंबी दौड़ के लिए आउटिंग किसी प्राकृतिक जगह पर और उसके बाद वाला दिन विश्राम का होता है।
इस तरह इस बार मैराथन के लिए बाहर गए,रविवार होने से मायरा भी साथ हो ली।मुझे दौड़ रिकार्ड करनी थी।मायरा का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था। जब जाकर वापस आए तो आठ किलोमीटर तय कर लिया था हमने चलकर और दौड़कर
इस टी शर्ट और मेडल पर मायरा का हक तो बनता है।
दौड़ना शुरू करने से पहले ब्लॉगर सतीश सक्सेना जी की कई पोस्ट से प्रेरणा मिली।
वजन भी कंट्रोल में रहने लगा।
बचपन में सीखे आसन,प्राणायाम भी अपनी शारीरिक जरूरत के हिसाब से मैनेज कर लेती हूं। कई बार पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द ,गर्दन का दर्द ठीक हो गया है।
स्वस्थ रहें मस्त रहें ।
4 comments:
आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (29-04-2022) को चर्चा मंच "दिनकर उगल रहा है आग" (चर्चा अंक-4415) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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बहुत बढ़िया
वाह! बहुत बहुत बधाई
बहुत अच्छी प्रेरक प्रस्तुति
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