न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
Thursday, January 31, 2013
Thursday, January 24, 2013
Saturday, January 19, 2013
शुभकामनाएँ
शादी की प्रथम वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत प्यार
हार्दिक बधाई,शुभकामनाएँ और शुभाशीष- सफ़ल दाम्पत्य जीवन के लिए....
आँखे बोलती है जब तो आवाज नहीं होती
सुनने वाला विरला ही कोई सुन पाता है ...
बुनी जाती हैं सबकी फ़ंदा दर फ़ंदा जिंदगी
पर जिस तरह आँखे बुनती है विरला ही कोई बुन पाता है...
संगीत की लय पर थिरक जाये आत्मा अपनी
ऐसी मधुरतम लय विरला ही कोई गुन पाता है...
और बेमतलब साथ अपने चल सके दूर तक कोई
ऐसा साथी जीवन में विरला ही कोई चुन पाता है ....
एक तोहफ़ा तुम्हारे लिए - नेहा --- यादगार पल
गीत रचना - राजेन्द्र स्वर्णकार
Friday, January 18, 2013
शुभकामनाएँ
१८ जनवरी २०१३
शादी की प्रथम वर्षगाँठ पर ढेर सारा प्यार!
हार्दिक बधाई,शुभकामनाएँ और शुभाशीष- सफ़ल दाम्पत्य जीवन के लिए....

कभी मेरे आँगन उतरते हो तुम
तो कभी तुम्हारे आँगन में मैं
चुगते हैं दाना
चहचहाते हैं खुशी से...
कभी मेरे संग खिलते हो तुम
तो कभी तुम्हारे संग में मैं
महकाते हैं चमन
खो जाते हैं एक -दूजे में...
मैं जो साथ न पाउँ तुम्हारा
या कभी तुम न पाओ मेरा
तो हमेशा अधूरे रहोगे तुम
और तुम्हारे बिना मैं...
आँख से जब मैं कहूँ
दिल से तुम्हें सुनना होगा
एहसासों के तागों से
प्रेम का डोरी बुनना होगा....
एक तोहफ़ा तुम्हारे लिए -
गीत राजेन्द्र स्वर्णकार जी का लिखा है ...
शादी की प्रथम वर्षगाँठ पर ढेर सारा प्यार!
हार्दिक बधाई,शुभकामनाएँ और शुभाशीष- सफ़ल दाम्पत्य जीवन के लिए....

तो कभी तुम्हारे आँगन में मैं
चुगते हैं दाना
चहचहाते हैं खुशी से...
कभी मेरे संग खिलते हो तुम
तो कभी तुम्हारे संग में मैं
महकाते हैं चमन
खो जाते हैं एक -दूजे में...
मैं जो साथ न पाउँ तुम्हारा
या कभी तुम न पाओ मेरा
तो हमेशा अधूरे रहोगे तुम
और तुम्हारे बिना मैं...
आँख से जब मैं कहूँ
दिल से तुम्हें सुनना होगा
एहसासों के तागों से
प्रेम का डोरी बुनना होगा....
एक तोहफ़ा तुम्हारे लिए -
गीत राजेन्द्र स्वर्णकार जी का लिखा है ...
Thursday, January 17, 2013
वर्षगाँठ समारोह प्रारम्भ...
१७ जनवरी
सत्रहवें जन्मदिन की बधाई सुमुख को
कुछ फोटो सोलहवें जन्मदिन के
और अब शुरू होता है संगीत समारोह....
विडियो निर्माण एवं संयोजन :- शिवम मिश्रा "बुरा-भला" वाले ....
Saturday, January 12, 2013
ओ दुनिया के रखवाले ....सुन!!!..
जैसे ही ठंड का मौसम आया
लगा खाने -खिलाने का मौसम आया
गाजर का हलवा और
पोहा-जलेबी तो खूब खाई
और मेथी का पराठा भी भाया
पर मूली कभी न भाई !
काकी की कचोरी की दूकान
ठंड ने खूब याद दिलवाई..
इस हफ़्ते ये कड़ाके की ठंड
सबके मुँह में पानी लाई ...
आते ही होंगे सारे साथी,
सहेलियाँ भी खाती-खाती
पर सब याद रखते हैं
मुझे मूली बिलकुल नहीं भाती...
चलो अब जल्दी ही
भीड़ बढ़ जाएगी
इतना खाएँगे-खिलाएँगे कि
पेट में जगह कम पड़ जाएगी ...
मूँग का हलवा और मुंगोड़े
अभी - अभी ही बनाए हैं
बोलो साथ खाने वालों -
आप क्या -क्या लेकर आए हैं?
खाने के साथ सबको
रबड़ी भी दी जाएगी
मगर सिर्फ़ उन्हें -
जिनको दूध-जलेबी नहीं भाएगी ..
सब कुछ मीठा-मीठा तो
अच्छा नहीं लगता
चलो साथ ही बना लेते हैं-
गरम-गरम कढ़ी और बेंगन का भरता...
मेरे खयाल से-
ये तो सबको चलेगा
लेकिन क्या कहेंगे गर किसी ने पूछा -
पीने को क्या मिलेगा?...
सोचती हूँ हम नसीब वाले हैं
जो इतने नाम जानते हैं
उनका क्या जो माँगकर भी
रोटी नहीं पाते हैं..
क्यूँ न हम उनकी
जीवन की नैया मोड़ दें
और उनके लिए रोज न सही
एक दिन का खाना छोड़ दें..
पेट पर कपड़ा कसकर
काम करते हैं वे सब
याद भी नहीं रखते पिछली बार
क्या खाया था और कब?
उनके लिये रोटी ही
हर मिठाई है
रबड़ी तो क्या, दूध माँगने पर भी
हमेशा माँ पानी ही लाई है..
क्या पसंद और क्या ना पसंद
ये तो कभी सोचा भी न होगा
कच्चे काँदे और मिर्च को ही
बढ़िया पकवान समझा होगा....
तन ढँकने को कपड़ा भी न मिलता होगा
तो क्या ओढ़ते होंगे कभी नर्म रजाई
ये कैसा ठंड का मौसम आया
कि उनकी जान पर बन आई....
Thursday, January 10, 2013
जाड़ा और धूप ...
(चित्र गूगल से साभार)
आज प्रस्तुत है अनूप शुक्ला जी के ब्लॉग "फ़ुरसतिया" से कुछ क्षणिकाएँ-
धूप खिली उजाले के साथ
प्रस्तावना सलिल भैया की मदद से तैयार हुई ....आभार नहीं कर सकती .... :-)
Upload Music - Listen Audio Files - Jada aur Suraj जाड़ा ...
Subscribe to:
Posts (Atom)