अपने हाथों से संवारा है अपनी इस प्यारी सी रंग बिरंगी दुनिया को और बनाई है अपनी एक अलग पहचान.. गौर से देखोगे तो दिखेंगे मेरे और बस मेरे ऊँगलियों के निशान....
*~*
सब बदल जाता है!!
बस, नहीं बदलते और जिन्दगी को दिला जाते हैं एक अलग पहचान... ये तुम्हारे अँगुठे के निशान!!!
*~*
नोट: ऊँगलियों और अँगुठे के निशान कर्म इंगित करते हैं.
4 comments:
मछली का घरोंदा
'अपनी किस्मत आप लिखूँ
रंग से भरी इक छाप लिखूँ '
अपने
हाथों से संवारा है
अपनी
इस प्यारी सी
रंग बिरंगी
दुनिया को
और
बनाई है
अपनी एक अलग पहचान..
गौर से देखोगे तो
दिखेंगे
मेरे और बस मेरे
ऊँगलियों के निशान....
*~*
सब बदल जाता है!!
बस, नहीं बदलते
और
जिन्दगी को
दिला जाते हैं
एक अलग पहचान...
ये
तुम्हारे
अँगुठे के निशान!!!
*~*
नोट: ऊँगलियों और अँगुठे के निशान कर्म इंगित करते हैं.
" मुंह अपना किनारे को मोड,
मछली चली भंवर को छोड!! " :)
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