Tuesday, March 8, 2011

तीन गीत...गुनगुनाने के लिए...

मेरी पसन्द--
मिलती है जिन्दगी में मोहब्बत कभी-कभी..


दिल का दिया जला के गया..


एक फ़रमाईश..


12 comments:

Girish Billore Mukul said...

shubhprat:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर और सशक्त प्रस्तुति!
महिला दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
--
केशर-क्यारी को सदा, स्नेह सुधा से सींच।
पुरुष न होता उच्च है, नारि न होती नीच।।
नारि न होती नीच, पुरुष की खान यही है।
है विडम्बना फिर भी इसका मान नहीं है।।
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।

Satish Saxena said...

दिल का दिया ....
मन पसंद गीत सुनवाने के लिए आभार आपका ! बहुत प्यारी आवाज ...
शुभकामनायें !

संजय कुमार चौरसिया said...

सर्वप्रथम महिला - दिवस पर आपको शत - शत नमन

Unknown said...

Badiya..

केवल राम said...

गजब

प्रवीण पाण्डेय said...

तीनों पसन्द के गीत आपकी आवाज में और अच्छे लग रहे हैं।

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही सुंदर ओर मधुर

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर /सार्थक प्रस्तुति /बधाई और शुभकामनाएं

Satish Chandra Satyarthi said...

बड़ी मधुर आवाज है आपकी....
बिना पृष्ठ संगीत के गाना बड़ा मुश्किल होता है फिर भी आपने खूबसूरती से गाया है..
"दिल का दीया.." गाना बहुत सुन्दर बन पड़ा है..

vandana gupta said...

तीनो गीत शानदार मनभावन्।

दिगम्बर नासवा said...

मन पसंद गीत सुनवाने के लिए आभार ...