न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
वाह! दो श्रेष्ठ जन एक ही पोस्ट में मिल जायें तो यह तो मेरे लिये लॉटरी खुलने जैसी बात हुई!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल और आपका सुर!आनन्द आ गया सुनकर!
दुबई वाले शायर को और आपके स्नेह को शुभकामनायें !!
....बढ़िया ग़ज़ल
बहुत अच्छा लगा आपके स्वर में सुनना
archna ji aur digamber ji - do maharathi ek saath
वाह ... अर्चना जी आपने तो मेरे शब्दों को आवाज़ दे दी ... गज़ल को मायने दे दिए ... बुत बहुत शुक्रिया ...
सोने पे सुहागा...खूबसूरत
वाह जी, आप दोनों के लिए ही बल्ले बल्ले
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी हैकल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकरअवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।http://charchamanch.blogspot.com/
दिगंबर जी की गज़लें अपना एक अलग ही स्थान रखती हैं..और आप तो सबसे अलग खादी हैं ही.. जब मिलकर दोउ एक बरन भए संगीतसरी नाम परयो!!
शब्द और आवाज़ बेहतरीन .... दिगंबर जी की रचनाएँ गहन अभिव्यक्ति लिए होती हैं....आभार आपका इस सुंदर प्रस्तुति के लिए
सुर में ढल कर रचना में और निखार आ जाता है। बधाई।------TOP HINDI BLOGS !
रचना और स्वर .......दोनों लाजवाब
DIGAMBAR NASWA JI BAHUT ACHCHHAALIKHTE HAIN .AAPKEE RESHMEE AAWAAZMEIN UNKEE GAZAL SUNKAR AANANDIT HO GYAA HOON .
Digambar ji ki laajabaab ghazal aur aapki bahut pyari aavaaz maja aa gaya sunkar.aap dono ko dheron badhaai.
अर्चना जी,सुन्दर गायन से गजल की अभिव्यक्ति गजब की लगती है.ऐसा लगता है कि मिश्री सी घुल रही हो कानों में व अनुपम अर्चन हो रहा हो.शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.कृपया,निमंत्रण स्वीकार कीजियेगा.
तब पढ़ने में आनन्द आया था, आज सुनने में।
wah ji .... bahut achcha.... apji awaj aur gazal puchhiye mat.
बहुत ही खूबसूरत गजल...बधाई.
आवाज़ और शब्द दोनो को बधाई ।
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21 comments:
वाह! दो श्रेष्ठ जन एक ही पोस्ट में मिल जायें तो यह तो मेरे लिये लॉटरी खुलने जैसी बात हुई!
बहुत बढ़िया ग़ज़ल और आपका सुर!
आनन्द आ गया सुनकर!
दुबई वाले शायर को और आपके स्नेह को शुभकामनायें !!
....बढ़िया ग़ज़ल
बहुत अच्छा लगा आपके स्वर में सुनना
archna ji aur digamber ji - do maharathi ek saath
वाह ... अर्चना जी आपने तो मेरे शब्दों को आवाज़ दे दी ... गज़ल को मायने दे दिए ... बुत बहुत शुक्रिया ...
सोने पे सुहागा...खूबसूरत
वाह जी, आप दोनों के लिए ही बल्ले बल्ले
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
दिगंबर जी की गज़लें अपना एक अलग ही स्थान रखती हैं..और आप तो सबसे अलग खादी हैं ही.. जब मिलकर दोउ एक बरन भए संगीतसरी नाम परयो!!
शब्द और आवाज़ बेहतरीन .... दिगंबर जी की रचनाएँ गहन अभिव्यक्ति लिए होती हैं....आभार आपका इस सुंदर प्रस्तुति के लिए
सुर में ढल कर रचना में और निखार आ जाता है।
बधाई।
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रचना और स्वर .......दोनों लाजवाब
DIGAMBAR NASWA JI BAHUT ACHCHHAA
LIKHTE HAIN .AAPKEE RESHMEE AAWAAZ
MEIN UNKEE GAZAL SUNKAR AANANDIT
HO GYAA HOON .
Digambar ji ki laajabaab ghazal aur aapki bahut pyari aavaaz maja aa gaya sunkar.aap dono ko dheron badhaai.
अर्चना जी,सुन्दर गायन से गजल की अभिव्यक्ति गजब की लगती है.ऐसा लगता है कि मिश्री सी घुल रही हो कानों में व अनुपम अर्चन हो रहा हो.
शानदार प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.
कृपया,निमंत्रण स्वीकार कीजियेगा.
तब पढ़ने में आनन्द आया था, आज सुनने में।
wah ji ....
bahut achcha....
apji awaj aur gazal puchhiye mat.
बहुत ही खूबसूरत गजल...बधाई.
आवाज़ और शब्द दोनो को बधाई ।
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