Saturday, November 26, 2011

फ़ल और परिवार ...

आज कहीं पढ़ी एक बात याद आ रही है ...फ़लों को लेकर उदाहरण था, तुलना की गई थी परिवार की फ़लों की बनावट के साथ...ठीक से तो याद नहीं शायद पर कुछ नोट कर लिया था वही लिख रही हूँ ..
(शायद आपमें से कई लोगों ने भी पढ़ा हो, जिसे पता हो वे कॄपया "ओरिजनल" की जानकारी देवें)


पारिवारिक संगठन
सेवफ़ल -- एक सुगठित फ़ल, अन्दर की बात बाहर आ जाये तो बदरंग ....

मौसम्बी -- एक विभाजित फ़ल, पर आपसी जुड़ाव बहुत ..

संतरा -- एक विभाजित फ़ल, पर ढीला ..

अंगूर -- सब अलग , कोई फ़र्क नहीं दिखने और स्वाद में एक से..

जामुन -- अलग -अलग पर रंग ऐसा जैसे जलते हों एक-दूसरे से..

बेर -- अलग-अलग और दूर-दूर काँटों से घिरे ..एक को छूने जाओ तो दूसरा काँटा चुभता है ...

और अन्त में ....

सीताफ़ल -- बाहर से भी अलग ,अन्दर से भी अलग पर जुड़ाव -- एक को छेड़ने पर सब बिखरते हैं ..मानसिक और शारिरिक रूप से स्वस्थ..अन्दर से भी बाहर से भी ......

अब आप तय कीजिए .....किस तरह का हो पारिवारिक संगठन ...



11 comments:

Rahul Singh said...

पारिवारिक संगठन हो फलों का राजा 'आम' की तरह, सर्वप्रिय.

रचना. said...

वाह!! :)
हम सब हमेशा ऐसे ही थे,
रहेंगे ऐसे ही कल,
हमारा परिवार.. सीताफ़ल!! :)

केवल राम said...

फल से परिवार की तुलना ....अच्छा है यह भी .....!

मनोज कुमार said...

ऊपर से कठोर, अन्दर से नरम वाला फल कैसा रहेगा?

सदा said...

वाह ...बहुत बढि़या।

Kailash Sharma said...

बहुत खूब!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हम तो फल की कामना करने वालों में से नहीं हैं..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

अच्छा आकलन है!

प्रवीण पाण्डेय said...

वाह, फलों की सुफल विवेचना।

abhi said...

ये अच्छी लगी :) :) :)

संजय भास्‍कर said...

....बहुत बढि़या।