न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"
आपने राकेश खंडेलवाल जी के फूलों के पांखुर से को बड़े ही मनोयोग से खूबसूरती से गाया ,सुन्दर शब्दों का संयोजन और भाव .
kal sure sununga:)
सुन्दर प्रयास...
सुंदर चयन।
जितनी सुंदर कविता उतनी ही सुंदर प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर आवाज़ ....और भावपूर्ण भी ....दिल को छूती हुई ....
Post a Comment
6 comments:
आपने राकेश खंडेलवाल जी के फूलों के पांखुर से को बड़े ही मनोयोग से खूबसूरती से गाया ,
सुन्दर शब्दों का संयोजन और भाव .
kal sure sununga:)
सुन्दर प्रयास...
सुंदर चयन।
जितनी सुंदर कविता उतनी ही सुंदर प्रस्तुति ।
बहुत सुंदर आवाज़ ....और भावपूर्ण भी ....
दिल को छूती हुई ....
Post a Comment