Saturday, November 27, 2021

मेरे हिस्से का शून्य

वो जो शून्य है,एक गहरा शून्य है, लाख कोशिश करें पर वो कभी भर नहीं पाता । 

इसमे पीड़ा,बेचैनी,लाचारी,चुप्पी,उदासी,छटपटाहट,तड़प, .....कोई शब्द नहीं समाता,

बस एक मौन ही है जो मरहम का काम करता है।

8 comments:

Onkar said...

सुन्दर

Kamini Sinha said...

सादर नमस्कार ,

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार
(28-11-21) को वृद्धावस्था" ( चर्चा अंक 4262) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा

जिज्ञासा सिंह said...

सटीक अभिव्यक्ति ।

SANDEEP KUMAR SHARMA said...

गहन रचना...

दीपक कुमार भानरे said...

जी हाँ मौन ही है जो मरहम का काम करता है। बहुत बढ़िया ।

Sudha Devrani said...

सही कहा मौन ही शून्य को परिभाषित भी कर सकता है...।अत्यंत सारगर्भित सृजन।

अनीता सैनी said...

लाज़वाब सृजन।
सादर

देवेन्द्र पाण्डेय said...

शून्य को याद करो तो शून्य ही दिखेगा। 💐