Wednesday, March 23, 2011

होली की मस्ती रंगों का कमाल....जहां भर की खुशियाँ गीतों का धमाल.....

रंगबिरंगे पर्व पर होली की शुभकामनाओं के साथ कई गीत जगह बना लेते है।
लेकिन मेरे मन को छुआ राकेश खंडेलवाल जी के इस गीत नें----



न बजती बाँसुरी कोई न खनके पांव की पायल
न खेतों में लहरता जै किसी का टेसुआ आँचल्
न  कलियां हैं उमंगों की, औ खाली आज झोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को, आज होली है
हरे नीले गुलाबी कत्थई सब रंग हैं फीके
न मटकी है दही वाली न माखन के कहीं छींके
लपेटे खिन्नियों का आवरण, मिलती निबोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को आज होली है
अलावों पर नहीं भुनते चने के तोतई बूटे
सुनहरे रंग बाली के कहीं खलिहान में छूटे
न ही दरवेश ने कोई कहानी आज बोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को, आज होली है
न गेरू से रंगी पौली, न आटे से पुरा आँगन
पता भी चल नहीं पाया कि कब था आ गया फागुन
न देवर की चुहल है , न ही भाभी की ठिठोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को आज होली है
न कीकर है, न उन पर सूत बांधें उंगलियां कोई
न नौराते के पूजन को किसी ने बालियां बोईं
न अक्षत देहरी बिखरे, न चौखट पर ही रोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को, आज होली है
न ढोलक न मजीरे हैं न तालें हैं मॄदंगों की
न ही दालान से उठती कही भी थाप चंगों की
न रसिये गा रही दिखती कहीं पर कोई टोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को आज होली है
न कालिंदी की लहरें हैं न कुंजों की सघन छाया
सुनाई दे नहीं पाता किसी ने फाग हो गाया
न शिव बूटी किसी ने आज ठंडाई में घोली है
मगर फिर भी दिलासा है ये दिल को आज होली है.

 शुक्रिया राकेश जी का ...
---और राकेश जी का आभार इन दो पंक्तियों के लिए भी ---

यादों की किताब को छूती जब चैती की धूप
तब तब सावन का मिलता भावों को रंग अनूप

9 comments:

Udan Tashtari said...

उम्दा किन्तु थोड़ा स्लो गायन....

संजय कुमार चौरसिया said...

sundar geet,

holi ki shubh-kaamnaayen

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सुन्दर गीत को आपने बहुत मधुर सुर में गाया है!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बिलकुल।

होली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्या ख्याa।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही मधुर।

daanish said...

अलावों पर नहीं भुनते चने के तोतई बूटे
सुनहरे रंग बाली के कहीं खलिहान में छूटे
न ही दरवेश ने कोई कहानी आज बोली है ....

बहुत ही सुन्दर और प्रभावशाली शब्दावली के
बहुत सटीक सदुपयोग करते हुए
एक सुमधुर गीत की रचना करने पर
आदरणीय श्री राकेश जी को नमन कहता हूँ
और
आपने जिस खूबसूरती और सधे हुए स्वरों में
इस गीत को गाया है ....
मानो गीत रचना सार्थक हो गया हो .. वाह
अभिवादन स्वीकारें .

राज भाटिय़ा said...

सुंदर ओर मधुर गीत धन्यवाद

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दर गीत

girish pankaj said...

sundar...rachana aur swar dono..