साँझ की बेला, दूर क्षितिज पर
सूरज ले रहा है विदा,अपनी धूप को सिमटा कर
लालिमा ले बादल ने पहन लिए रंगबिरंगी कपड़े
पंछी खेलते उड़ते,लौट चले अपने नीड़ को काम निपटा कर
पसरते ही छांह,आवाज हो गई मद्धम सबकी
मौन करने लगा तैयारी चीत्कार की
दुख को अपने साथ चिपटा कर
मैने जाते सूरज को देख आवाज लगाई
ये कहते कि कल जब आना नया सबेरा लाना
सुख के साथ तरबतर,लिपटा कर
अर्चना
(जन्मदिन की पूर्व संध्या,(25/10/2021) पर नर्मदा किनारे रिसोर्ट के फोटो)