Saturday, September 23, 2017

सुनो,समझो,करो!-एक संदेश बच्चों के लिए

जहाँ तक मैंने बालमन को समझा है,वो बड़ों को देखकर ज्यादा और जल्दी सीखता है,वही करने की कोशिश करता है,अगर अपने वाकये,कहानियां,किस्से बताएं जाएं तो वो खुद को उस जगह रखकर सोचने लगता है,उन्हें  ये कहने के बदले- कि ऐसा मत करो ,वैसा मत करो ,अगर कहें कि करके देखना पड़ेगा,नुकसान होगा कि फायदा तो वे अपने तर्क से समझने की कोशिश करेंगे ,तब बस उनके सवालों की बारिश झेलना पड़ेगी हमें 😊👍
आजकल के माहौल को देखते हुए ....
मेरी एक कविता सभी बच्चों के लिए-

मिला कदम से कदम ,
समय की पुकार सुन।
निडर रहकर सामना करने,
हिम्मत की तलवार चुन।
छल-कपट को छोड़कर,
बुद्धि को बना हथियार ।
स्वाभिमान से हो विजयी,
चाहे लक्ष्य हो कितना दुश्वार।

-अर्चना
(चित्र में अनूप शुक्ल जी की पुस्तक के साथ "मायरा")

Tuesday, September 12, 2017

टुकड़ा-टुकड़ा कहानी

1-
"रूको,तुम्हारे जूते में अब भी मेरा पैर नहीं आता ..... हाथ में ले लेने दो .....
.
चलना तो है ही पीछे-पीछे ...शुरू से ही पीछे जो रह गई हूं..... :-("
.
.
. ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...:-(
2-
चलो खींच दो न अब वो ऊपर से अटकी चुनरी....... उचक-उचक थक चुकी ....
दूसरे रंग मैच भी तो नहीं करते इस चणिया चोली से .....
फ़िर कहोगे - ऐसे ही बैठी हो तब से ...?... :-P
.
. ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...:-(

3-
जानबूझ कर इतना ऊपर चढे बैठे हो ....
पहले तो कह्ते थे - समन्दर की गहराई में देखो ... कितने रंग छुपे हैं , और अब न जाने क्यों ,बादलों के पीछे छुपा इन्द्र धनुष ही भाने लगा है तुम्हें ......
जानते हो! कि मुझे मुड़कर देखने की आदत है ... सो लगे चिढाने .... ... आखिर धूप चश्में पर तरस भी तो नहीं खाती .......
ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...

4-
आज संडे तो नहीं है पर छुट्टी जरूर है .... और पहली चाय की बारी तुम्हारी है .....
.
.
. ये कभी भूलते क्यों नहीं तुम ..... और मुझे खाना बनाने में देर हो जाती है ....
उफ़्फ़! ...

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...

5-
...ये खिड़की बन्द नहीं हो रही ... रात भर आवाज करेगी ....
-तुमने कारपेंटर को बुलाया नहीं ?
-नहीं, लगा था कर लूंगी बन्द ...पर नहीं पता था , जो काम मैंने किये नहीं वो मुझसे वाकई नहीं होंगे .....
... अब रात भर चांद दिखते रहेगा झिर्री से ....

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...
6-
बाथरूम के नल से टपकते पानी की बूंद रह-रह कर डरा देती है रात को .... कपड़ा ढूंसना चाहा तो वो पेंचकस नहीं मिला , हरे हत्थे वाला ...
पता नहीं कहां रख दिया मैंने ...उसका डिब्बा तो कब से इधर -उधर हो गया ...
एक अकेला वो बचा था ... वो भी ....:-(
और ये काम भी तो तुम्हारा ही था न ....
गिनूंगी बूंदे ...

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...

7-
याद है ! एक बार तुम्हारे दोस्त ने कहा था-
-
भाभी जी आपने बदल दिया हमारे दोस्त को , एक बार आप बोल देंगी तभी शुरू करेगा फ़िर ..
- अबे यार चुप !... कहकर चुप करा दिया था तुमने उसे
- क्या बन्द किया मैंने ? मैं तो कुछ भी नहीं कहती ...
-हाँ , तभी तो.... आपको पता है ये नॉन्वेज खाता भी था और बनाता भी था ....
-नहीं तो.....
-क्यों बताया नहीं तूने? ... फ़िर वो तो चला गया ...
और मैं बहुत गुस्सा हुई थी , .... बात नहीं की थी तुमसे, चुपचाप खाना बनाया और मुझे भूख नहीं कहकर सोने चल दी थी.....
तब तुमने बताया था कि अपनी सगाई तय होने के समय तुम्हें पता चला था कि मेरा परिवार शुद्ध शाकाहारी है , और उस दिन से तुमने खाना छोड़ दिया था ...वरना शादी नहीं हो पाती अपनी ...
.....
.... तब मैं सोचती थी क्या फ़र्क पड़ जाता शादी नहीं होती तो ......
...
..
.. अब समझी ....... हां बहुत फ़र्क पड़ता ..... :-(

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...

8-
-- इनसे मिलो ये हैं बनर्जी ,साथ ही रहते थे हम पहले एक रूम में
-नमस्ते
-नमस्ते भाभी जी , सुना है आपने लॉ किया है?
- जी
-तो प्रेक्टिस नहीं करेंगी आप ?
- जी, अभी तो एक्ज़ाम ही दी है , और यहाँ आ गई... आगे सोचेंगे जैसा भी होगा
- आप तो फ़िलहाल यहीं कंपनी की स्कूल में अप्लाई कर दीजिये, हिन्दी भी अच्छी है आपकी..
- जी नहीं, मुझे टीचर नहीं बनना..
-क्यों?
- किसी के अन्डर में काम करना पसन्द नहीं,मतलब वही पुराना सा तय सिलेबस सिखाओ ,
जो खुद से सिखाना चाहूं वो सिखा पाउं तो हो सकता है... कभी बन भी जाउं .... :-)

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...

9-
एक बात फ़िर याद हो आई आज,
जब तुमने कहा था-
-सुनों याद है न कल बिटिया के एडमिशन के लिए जाना है
-हाँ याद है, पर मम्मी-पापा को क्या पूछेंगे , मैं तो हिन्दी में ही जबाब दूंगी अंग्रेजी में देना हो तो आप बोलना
-लेकिन अगर इसी बात पर एडमिशन नहीं हुआ तो ?
- ऐसा हो सकता है?
-हाँ हो सकता है,
- तब देखी जाएगी ,मैं बात कर लूंगी पर आप न बोलना फ़िर
- ओके
.....
.....
और इसके बाद आठ दिन का समय मांग लिया था मैंने प्रिसिपल मैडम से ... और पूरे हफ़्ते मेरे अंग्रेजी में बोले बिना आपने मेरी बात का जबाब नहीं दिया था ...खूब हँसे थे उस पूरे हफ़्ते हम 
और आठ दिन बाद बिटिया का एडमिशन हो गया था .....
...
...
लेकिन उसके बाद कभी अंग्रेजी बोली नही गई मुझसे .....

ऐसे ही किसी टुकड़ा कहानी से - जो न जाने कब पूरी होगी ...