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Sunday, November 11, 2012

कान्हा...


 ये पेंटिंग बनाई है श्रीमती विजयश्री मिश्रा जी ने जो आकाश मिश्रा  की माताजी हैं....इस पर आकाश ने कविता भी लिखी है जिसे आप उसके ब्लॉग -आकाश के पार पर पढ़ सकते हैं । और आकाश की कविता को सुन सकते हैं यहाँ --

और अब इस पेंटिंग और पॉडकास्ट के साथ सुनिये ये भजन ...जिसे उपलब्ध करवाया  है एक बेहद साधारण पाठक ने ---

Monday, October 8, 2012

सात भाषाएँ,सात गीत और एक मधुर धुन...एक बेहद साधारण पाठक की पसन्द के ...

एक बेहद साधारण  पाठक...  जिसकी अपनी पहचान है ...सबसे जुदा भीड़ में अलग-सा .......फ़िलहाल खुद अध्ययन में व्यस्त ...अभी बिना ब्लॉग वाला ब्लॉगर -क्यों कि उस पर आए प्रश्नों के उत्तर देने का समय नहीं मिलता उसे और बिना उत्तर दिये रह नहीं पाता ..आदत है......(आदत से तो सभी लाचार हैं यहाँ )     :-)
..और  जिसके अनुसार सुबह-सुबह बढ़िया नाश्ता पेट के लिए और संगीत मस्तिष्क के लिए जरूरी ...

जिसकी  यही बात अच्छी लगती है- सबसे अलग हट कर कुछ करने की smile
मुझे ‘दीदी’ कह देने पर उस पर अड़े रहना भी...:-)
तो सुनिए उसकी पसंद के सात गीत सात भाषाओं के
राजस्थानी 



तेलुगु



तमिल



हिंदी



बंगाली



अंग्रेजी


पंजाबी



अंत में आईरिश गीत की बाँसुरी पर धुन