Tuesday, January 25, 2022

बेटियां


(फोटो मोबाइल से एकदम ताजा खींचा भाभियों के बगीचे से मां के आंगन में धूप खाते हुए,और फोटो देख यहीं पंक्तियां लिखी बेटी दिवस पर।)

आम की छांह में,
नागचंपा के आंचल में,
यूं ही गुड़हल सी सुर्ख हो,
हंसती,खेलती,
खिलखिलाती,झूमती रहे
बेटियां
स्वेच्छा से गुलाब का हाथ पकड़,
या गुलाब को परे धकेल
आगे बढ़ आकाश को छू ले बेटियां।
- अर्चना

Monday, January 17, 2022

गाएं गुनगुनाएँ शौक से ग्रुप और उसकी खासियत



एक ग्रुप बनाया था व्हाट्स एप पर 
"गाएं गुनगुनाएं शौक से " नाम से शौकिया गुनगुनाने वाली महिला ब्लॉगर मित्रों के साथ ,बाद में कई मित्रों की मित्र भी जुड़ती हैं ।कई आकर स्वेच्छा से वापस लौट गईं।लेकिन ग्रुप चलता रहा,चल ही रहा है।
कई गतिविधियां अनायास हो जाती हैं इस पर जिसे सहेजने के लिए ग्रुप की सदस्या पूजा अनिल ने एक ब्लॉग इसी नाम से बना दिया।आजकल उसपर बहार आई है आप भी देखें।


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Sunday, January 9, 2022

बचपन और बचपना

हम फिर से बच्चे बन जाएं
आंगन में खेलें गिल्ली -डंडा,
गोल गोल कांच की गोटियां
छुप जाएं कपास की थप्पी में,
खींच कर भागे एक दूसरे की चोटियां
जब खूब थक जाएं तो
बांट कर खा लें आधी आधी रोटियां...

ऐ दोस्त 
दो मिनट के लिए ही सही
पर जरूर मेरे घर आना 
और हां
अपना बचपन साथ लाना...
अर्चना