Saturday, May 26, 2012

नगरी-नगरी ...द्वारे -द्वारे ...

जब भावनाओं के सागर में डूबूं उतरूँ
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ

क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?

क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?

-अर्चना 

Thursday, May 24, 2012

सपना मेरा ...



किसी अपने का सपना हो तो अच्छा लगता है 


कोई सपने वाला अपना हो तो भी अच्छा लगता है 


किसी सपने का अपना हो जाना जिंदगी बना देता है 

और किसी अपने का सपना हो जाना जिन्दगी मिटा देता है ....




Sunday, May 20, 2012

खामोश पल !!

तुम जो कुछ पल मेरे साथ रहें 
कुछ चुप-चुप से , बिना कहे 
अब वो बाते दोहराती हूँ 
खुद को  सुनती हूँ
समझाती हूँ ..
खुद ही चुप हो जाती हूँ ...
बिन बोले सब कुछ सुन पाती हूँ...

-अर्चना

Friday, May 18, 2012

आँखों की जबां...

ये सच है कि आँखें बोल देती हैं,
गर इश्क की जबाँ न हुई तो क्या हुआ ...

मिले हैं राहों में दोस्त सुकूं के लिए
गर जो हमारा कोई  न हुआ तो क्या हुआ...

निभा तो जाएंगे रस्में सारी हम
गर जमाने का दस्तूर न हुआ तो क्या हुआ....

Thursday, May 10, 2012

कहाँ से चले .....कहाँ आ गए...


सुहाना सा मौसम
गुलाबी स्वेटर
और तुम्हारी खूशबू!! 



चलो कहीं दूर
बातें बनाएं
मैं और तुम!!


क्या खोया तुमने
मेरा मन
मिलेगा तुमको फ़िर!! 


बचा है कौन
सिर्फ़ मैं
ना जाने क्यों!! 


एक तेरी याद
टूटे सपनें
और खामोश हम!!



छिटकी हुई चाँदनी
सूना मन
बिखरे सारे सपनें!!
 

छोटी सी बात
भीनी खूश्बू
और वो रजनीगंधा!!


आओगे न तुम
नहीं जानती
अभी तो जाउ!!

मेरा चाँद उजला
काली रात
अब न आयेगा!!



कहाँ से चले
बस करो
कहाँ आ गए...






Tuesday, May 8, 2012

जानती हूँ........

अब तक मुझसे
मेरा सब लेते रहे हो
मेरे हिस्से की धूप ले ली तुमने
मेरे हिस्से की छांह भी मांग ली
भटकती रही मैं ,और
तुमने पनाह भी मांग ली....
अब मेरी बारी आई है
जो लिया है तुमने
जानती हूँ
लौटा नहीं पाओगे
एक मन ही बचा था तुम्हारे पास
उसे भी किसी ने छीन लिया तुमसे
सुना है अब वो भी मर चुका
अमानत की तरह नहीं रख पाए तुम उसे अपने पास
चलो दिया तुम्हें सब कुछ...
शरीर का क्या है
आज मरा ..कल दो दिन !!!