Tuesday, September 29, 2009

इनकी ईद ........उनका दशहरा

शिरीन आंटी ,मेरे घर के सामने रहती है ,उम्र होगी कोई अस्सी साल के लगभग ,बहुत सी भाषाए जानती है कभी स्कूल नही गई घर पर ही टीचर पढाने आते थे खाना बहुत शौक से बनाती है ..............अकेले रहती है अविवाहित है , कुछ दिन पहले अचानक घर में सुबह फिसलकर गिर पड़ी ........सुबह-सुबह दरवाजा ठकठकाने की आवाज से मेरी नीद खुली ,खोला तो देखा उनके सर में से खून बह रहा था ..........दर्द के मारे वे चीख रही थी एक हाथ में बहुत दर्द था .........मैंने जल्दी से उन्हें पलंग पर लिटाया देखा....... लगा हाथ में फ्रेक्चर है मुझे स्कूल जाने में देर हो रही थी .....उनकी पास में रहने वाली बहन को संदेश भिजवाया .........और मै स्कूल चली गई .....
शाम को लौटी तो उनके घर में ताला लगा था ...पता चला कंधे में क्रेक लाइन है हाथ को सपोर्ट देकर बेल्ट लगा दिया है ...
दो दिन तक घर बंद रहा .......तीसरे दिन वे गई ......मैंने पूछा गए आंटी कुछ दिन और वही आराम कर लेते ------उनका जबाब था ----अपने घर में ही अच्छा लगता है ........मैंने कहा ----फ़िर भी थोडी देख-भाल हो जाती ,-------उसके लिए तुम हो ........तुम्हे भगवान ने मेरे लिए भेजा है ....मेरे घर के सामने ...........और मै उनका मुझ पर विश्वास देखकर दंग रह गई ..........(बाद में पता चला बहन के बेटी- दामाद आने वाले थे इसलिए वे उन्हें वापस छोड़ गई थी )
अब वो कभी भी अपना बेल्ट टाइट या ढीला करवाने आती रहती है ......
ईद के दिन सुबह-सुबह फ़िर मुझे जगाया ------आओ गले मिल लो आज मेरी ईद है ----( सुबह से तैयार होकर बैठी आंटी से शाम तक उनका कोई रिश्तेदार मिलने नही आया ........)

अभी दशहरे पर अपने भाई के घर गई थी ...........वहां सुबह-सुबह फोन की घंटी से नीद खुली ..........पता चला कायरे मामी (हम सब उन्हें इसी नाम से जानते है ) का फोन था .............मेरी कामवाली बाई नही आई है आज...........
कायरे मामी की उम्र भी अस्सी साल के लगभग होगी , इस उम्र में भी क्रोशिये से बुनाई करती है , और सबको सीखाती भी है ,अकेले रहती है ............वे अपने पति की दूसरी पत्नी है ,पति अपने ज़माने के बहुत बड़े वकील थे .......पहली पत्नी से कोई बच्चा नही हुआ था तो दूसरी शादी कर ली , इनसे भी कोई बच्चा नही हुआ.........वकील साहब ने अपनी बहन की बेटी को गोद ले लिया , दामाद को घरजमाई बना लिया .......मेरे पिताजी ने उनसे वकालत सीखी थी .........वकील साहब के देहांत के बाद घरवालो ने साथ नही दिया .......वे भी यहाँ से चली गई बहुत सालो बाद फ़िर लौटी ........ पैसा बहुत था , दान भी किया ,एक मकान उनके नाम था, उसी में रहती है............मेरे पिताजी के देहांत के बाद उनकी जिम्मेदारी मेरा भाई , और मेरी मौसी के बेटे उठाते है (उनका दूर का कोई रिश्ता है )
वे भी दशहरे पर अपनो की राह देख रही थी ............


Monday, September 7, 2009

भगवान के घर देर है .............नही है..............

आज मन बहुत व्यथित है ,समझ में नही रहा है ऐसा कैसे हो सकता है......आप भी सोचेगे अगर भगवान है तो कहाँ ????
नवीन को तो आप अब जानने लगे होंगे .........कुछ दिन पहले ही मैंने बताया था कि उनका किडनी प्रत्यारोपण काऑपरेशन हुआ , उनके बड़े भाई संजय रावत ने अपनी किडनी दी ........अब आगे....आज उनके छोटे भाई शैलेन्द्र रावत जो ऑपरेशन के दो दिन पहले से ही अहमदाबाद गए हुए थे , ने बताया ----ऑपरेशन अच्छे से हो गया ऐसा बताया गया .........फ़िर अचानक एक दिन में ही क्या हुआ कि एक के बाद एक - बार ऑपरेशन किया गया -----बताया गया कि इन्टरनल ब्लीडिंग हो रही है --------पता नही लग पा रहा है कि प्रोब्लम कहाँ पर है ........फ़िर आख़िरकार उस नई लगाई गई किडनी को वापस निकल दिया गया ........बताया गया कि वो ऑपरेशन के समय कही कट लगाने से डेमेज हो गई है ........निकालना जरुरी हो गया था .............?????(बहुत ब्लड भी लग रहा है )(शैलेन्द्र कल फ़िर से अहमदाबाद जा रहे है क्योकि वहां पिता के पास दौड़ -भाग कराने वाला कोई नही है)
अब आज जब मैंने उनके पिता से फोन पर बात की और पूछा-----सर कैसे है? जबाब मिला ---ठीक ,अभी सो रहा है , और भइया ?---हाँ वो भी ठीक है ,अभी खाना खाने गया है (किराये पर घर लेकर, नवीन के माता- पिता,संजय ,संजय की पत्नी ,संजय का बेटा ,नवीन की पत्नी, नवीन का बेटा वही रह रहे है )बहुत हिम्मत करके मैंने पूछा आप कैसे है? ----मै? मै तो बिल्कुल ठीक हू | मैंने कहा -----अपना ध्यान रखियेगा ,.........हां पूरा रखता हू समय पर खाता -पीता हूँ अपना ध्यान खूब रखता हूँ ...................और मै........चुप----- और कुछ भी कह - सुन नही पाई............. अब क्या होगा ये सोच -सोच के दिल घबरा रहा है हे भगवान् इतनी कठिन परीक्षा ...........
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