Friday, November 25, 2016

उथल-पुथल मची हुई है मन में

बहुत जरूरी पोस्ट,बहुत उथल-पुथल मची हुई है मन में  -
..बहुत समझ तो नहीं  है मुझे, पर नोटबंदी का विरोध भी बेमानी  लगता है। जिस तरह के हालात आजकल सब तरफ हम देख रहे हैं. उसे देखते हुए हमें वर्तमान  में रहने की आदत बना लेनी चाहिए। .... पैसे वाला सदा ही पैसा बटोरने में लगा रहेगा ,मेहनत कर कमाने वाला सदा मेहनत करके ही खायेगा। ... इतना बड़ा फैसला लिया है तो बिना सोचे-समझे तो नहीं ही लिया होगा। ...आखिर पद की भी कोई गरिमा होती है। ...कई कार्य आप पद पर रहते हुए ही कर सकते हैं। .... हाँ जिन मुश्किलों की कल्पना उन्होंने की होंगी ,मुश्किलें उससे कई गुना ज्यादा और भयावह तरीके से सामने आई। ..... नेताओं का अपने मतलब के लिए आगे आना शौक बनाता जा रहा है ,जो आप और हम सब जानते हैं ।

सूझ-बूझ की कमी बुजुर्गों व आजकल की पीढी में कम मगर जो मध्य की उम्र के लोग हैं- उनमें ज्यादा दिखी। .... गाँवों की अपनी समस्याएँ हैं वे अपनी रूढ़ियों को बदलने को वैसे भी जल्दी तैयार नहीं होते। ... शहर में भी आकर  शहर की भीड़ ज्यादा बन जाते हैं। .... भोले लोगों को झपट्टा मारकर फांसने वाले शहरी लोगों को वे पहचान नहीं पाते। ...न ही शहरी पढ़ालिखा उनकी मदद को सदा तैयार बैठा रहता है। ..... समस्या की जड़ सिर्फ नोटबंदी नहीं है। .... नोटबंदी के कारण जो समस्या हो रही है वो पढने-लिखने से तौबा करने वाले,..बिना सोचे परिवार बढ़ाने वाले लोग ज्यादा झेल रहे हैं। .... आप सोचिये। ...आपने इस बीच कितनों की मदद की ?

कल ही एक इंटरव्यू देखा -- टोल फ्री की सुविधा से खुश थे मगर उनका ये कहना की वसूली तो बदस्तूर जारी है। ..... समझ नहीं आया -सीधे सरकार की साईट पर शिकायतें दर्ज क्यों नहीं की जा रही? ... किस बात से डरते हैं लोग? शायद कहीं न कहीं खुद भी गलत कर रहे होते हैं क्या ?

 मुझे खुद अपने पास पैसे रखने की आदत है। ..अभी भी १००० -५०० के नोट  रह गए हैं बदलवाने के लेकिन जमा करने की अवधि है अभी। ... नेटबेंकिंग सीखी और पिछले चार सालों से लगातार सीखती जा रही हूँ। ...... हाल ही में टोल फ्री नंबर से सहायता लेकर बैंक से समस्या हल करवाई। .....
ये सही है कि  जो छोटे और खुदरा कामकाज वाले लोग हैं उनके खाते नहीं है बैंक में। ..लेकिन उनमें से भी ५०% लोगों के खुलवाये जा सकते हैं जो होने चाहिए थे। .. अब भी हो जाएंगे।

जिनसे आप रोजमर्रा के काम लेते हैं उन्हें इकट्ठा पैसा दे सकते हैं। ... लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न तो ईमानदारी का आता है। .हम डरते हैं कहीं पैसा डूब गया तो ? विश्वास करना सीखना होगा। .... और सीखाना होगा हानि उठाकर भी। .....

और एक अहम् बात। ....जब तक लोग अपने परिवार से बाहर निकल पड़ोसियों को अपना परिवार का हिस्सा नहीं बनाएंगे। .."जाने दो हमें क्या" की सोच से बाहर खुद को नहीं लाएंगे। ... तब तक मौतें लाईन में तो क्या घर के सामने भी होती रहेंगी। ......
स्कूल में मैंने देखा है - शिक्षक जिम्मेदारियों से हाथ चुराते हैं और आजकल तो अभिभावक भी। ....


हादसे एक  पूरे परिवार को ही नहीं एक पूरे कुनबे को ख़तम कर देते हैं। .... एक पूरी पीढ़ी  पीछे चले जाते हैं लोग। ट्रेन हादसे में एक पत्रकार के घायल बच्चे के परिजन से किया प्रश्न - जब हादसा हुआ तो आपको कैसा फील हुआ ? इस बच्चे के माता-पिता ? जबकि वे नहीं रहे ये जानकारी के बिना पत्रकार इंटरव्यू लेने नहीं गया होगा । हमें भीतर तक संवेदनहीन बना रहे हैं।

राजनीति किसी को भी गर्त में धकेल सकती है।

...अपना कर्म करें वो भी पूरी ईमानदारी के साथ। ...आवाज उठाएं गलती करने वालों का विरोध करें, अपनी भाषा की गरिमा बनाए रखें। ...बच्चे आपसे ही सीखते हैं। ..जो आप परोसेंगे वे वही खाएंगे। ... संस्कार ककिसी पेड़ पर नहीं लगते न किसी खदान में गड़े होते हैं। ..वे आपके साथ ही सारी जिंदगी चलते हैं और आपके मरने के बाद आपके बच्चों के साथ चलने लगते है। .....

बहुत कुछ मन में है। लेकिन शब्दों पर भावनाएं भारी हो रही है। .....  शेष फिर कभी !

Thursday, November 24, 2016

अपने का सपना


वो २५ नवंबर १९८४ का दिन था , और आज थोड़ी देर में २५ नवंबर २०१६ हो जाएगा। ....

हैप्पी एनिवर्सरी। .......

.(कोई दूसरी फोटो नहीं मिल रही यहां लगाने को :-(  )-

. तारीख वही रहती है बस साल बदलते-बदलते बहुत लंबा रास्ता तय कर लिया है अब तक ,करीब ३२ साल। ......
इन बत्तीस सालों में हमारा साथ रहा सिर्फ ९ सालों का। ....और २३ साल गुजारे तुम्हारे बिना। .. 




याद आ रहा है जब हमारी शादी हुई थी तो मेरी आयु २३ वर्ष थी ,और जब तुम गुजरे तब मेरी आयु थी ३२ वर्ष। .....


ये आंकड़ों का खेल भी बहुत निराला होता है न! 

अब जीवन में उस मुकाम तक आ पहुंची हूँ जहां से आगे का रास्ता सीधा है। ..... चलना तो अकेले ही है। ... कोई आगे निकल गए कोई पीछे  छूट जाएंगे। ...

खुद को व्यस्त रखती हूँ। ...ताकि खुद मुझे मुझसे कोई शिकायत न रहे। ... मेरे मन ने कुछ लिखा है पढ़ो --



किसी अपने का सपना हो तो अच्छा लगता है

कोई सपने वाला अपना हो तो भी अच्छा लगता है 

किसी सपने का अपना हो जाना जिंदगी बना देता है 

और किसी अपने का सपना हो जाना जिन्दगी मिटा देता है ....



गीत याद आ रहे हैं। ...  ...










Monday, November 21, 2016

जानते हैं फिर भी



जानते हैं-

कल्पना के घोड़े दौड़ाने को सात समंदर तो क्या सात आसमान भी कम है 
जीत तो सिर्फ उसी की होती है जो- 

वास्तविकता के धरातल पर उन्हें उतारने का भी 
माद्दा रखते हैं


मौसमों की उठा-पटक तो लगी रहनी है सदा दुनिया में 
बात उस मौसम की ही होती है जो -

 इस दुनिया की तासीर बदलने का माद्दा रखते हैं। 


सुख-दुःख,ज़रा -व्याधि ,जनम-मरण सबके साथ जुड़ा है 
आनंद की लहरों पर नौकायन तो वही कर सकते हैं जो -


 जीवनानुभवों की गहराई में उतरने का माद्दा रखते हैं


फिर भी - 

पता नही कभी-कभी मन में कौन आ बसता है-
 कि मन मनों भारी लगता है-

वरना तो हम सूरज को भी हाथों में उठाने का माद्दा रखते हैं 

Friday, November 18, 2016

गाँव छोड़ शहर मे गरीब

शहर में बैठकर 
गाँव के हालात पर तरस खाता हूँ 
जब फसल लहलहाती है 
तो जाकर कटवा लाता हूँ 

माँ- बाबूजी का क्या है,
रहे,रहे न रहे  
किसी भी दिन निकल पड़े 
कोरे कागजों पर ही
अँगूठा लगवा लाता हूँ 

जब बनाते हैं
मालिक के बच्चे 
अपने प्रोजेक्ट
उनके स्कूलों में 
उसी बहाने
याद कर लेता हूँ 
समय-समय पर 
मक्के और बाजरे के भुट्टे ,
आम कच्चे ,
खेत की पगडंडी ,
कुँए  की मुंडेर ,
घरों के बाहर -उपलों के ढेर 

अब तो एक टी.वी. भी लगवा आया हूँ बैठक में 
माँ -बाबूजी से चलफिर हो नहीं पाती 
अपनी जमीन है वहाँ 
घर पर भी कोई चाहिए 
उनके खर्चे-पानी भी निकल जाते हैं 
मालिक भी साल में पिकनिक मना आते हैं 
,
देश में सुधार की बहुत जरूरत है 
अपन करें भी तो क्या?
सरकार भी कुछ करती नहीं 
क्या कहा- पढों ? ? ?,अरे यार!
पढने-लिखने के चक्कर में कौन माथा खपाए 
अपने को तो ऐसा चाहिए कि-
काम भी न करें ,और पैसे कमाएं 


भले किसी काले धन वाले के गुलाम बन जाएं। .. 

होना तो यही चाहिये..

बेटी को आदत थी घर लौटकर ये बताने की- कि आज का दिन कैसे बीता।

एक बार जब ऑफ़िस से लौटी तो बड़ी खुश लग रही थी । 

चहचहाते हुए घर लौटी थी ..दिल खुश हो जाता है- जब बच्चों को खुश देखती हूँ तो, चेहरा देखते ही पूछा था  मैंने -क्या बात है ?बस ! पूछते ही उसका टेप चालू हो गया-----

- पता है मम्मी आज तो मजा ही आ गया।
-क्या हुआ ऐसा ?
-हुआ यूँ कि जब मैं एक चौराहे पर पहुँची तो लाल बत्ती हो गई थी,मैं रूकी ,मेरे बाजू वाले अंकल भी रूके तभी पीछे से एक लड़का बाईक पर आया और हमारे पीछे हार्न बजाने लगा,मैंने मुड़कर देखा ,जगह नहीं थी फ़िर से थोड़ा झुककर उसे आगे आने दिया ताकि हार्न बन्द हो....
-फ़िर ..
-वो हमसे आगे निकला और लगभग बीच में (क्रासिंग से बहुत आगे) जाकर (औपचारिकतावश) खड़ा हो गया..
- तो इसमें क्या खास बात हो गई ऐसा तो कई लड़के करते हैं - मैंने कहा 

-हाँ,...आगे तो सुनो-- उसने "मैं अन्ना हूँ" वाली टोपी लगा रखी थी ..
-ओह ! फ़िर ?
-तभी सड़क के किनारे से लाठी टेकते हुए एक दादाजी धीरे-धीरे चलकर उस के पास आये और उससे कहा-"बेटा अभी तो लाल बत्ती है ,तुम कितना आगे आकर खड़े हो".
-फ़िर ?
-....उस लड़के ने हँसते हुए मुँह बिचका दिया जैसे कहा हो -हुंह!!
- ह्म्म्म तो ?

-फ़िर वो दादाजी थोड़ा आगे आए ,अपनी लकड़ी बगल में दबाई और दोनों हाथों से उसके सिर पर पहनी टोपी इज्जत से उतार ली ,झटक कर साफ़ की और उससे कहा - इनका नाम क्यों खराब कर रहे हो? और टोपी तह करके अपनी जेब में रख ली........और मैं जोर से चिल्ला उठी -जे SSSS ब्बात........

(मैं भी चिल्ला उठी --वाऊऊऊऊ ) 

हँसते हुए बेटी ने आगे बताया- ये देखकर चौराहे पर खड़े सब लोग हँसने लगे ....इतने में हरी बत्ती भी हो गई..वो लड़का चुपचाप खड़ा रहा ,आगे बढ़ना ही भूल गया..जब हम थोड़े आगे आए तो बाजू वाले अंकल ने उससे कहा- चलो बेटा अब तो ---हरी हो गई.....हा हा हा...

ह्म्म्म होना तो यही चाहिए मुझे भी लगा। 

आज नोटों की अदला-बदली /टी वी पर कतारों में खड़े खुश और दुखी लोग। .... संसद की उठा पटक /सोशल मीडिया पर चल रही क्रान्ति  के बीच ये बात याद आ गई। .... 

बुरा तो स्वत : होते रहता है। प्रयास अच्छा करने के लिए होने चाहिए। 

..लाख नकारात्मक बातों में से एक भी सकारात्मक बात सामने दिखे तो मन को सुकून तो देती ही है। ...

लोगों को ये तो समझ आ ही रहा है कि - गरीब लुटे जाते हैं तो लूट भी सकते हैं। .. सबके दिन एक से नहीं होते। .... 



हमें अपने आप में ही सुधार लाना होगा पहले ....
आपको क्या लगता है ?...


.







Thursday, November 17, 2016

जीवन से न हार


चाहे आये आंधी -तूफ़ान होते दो पल के मेहमान 

जब रात ढली है ,तो दिन का निकलना भी तय है। ..


विश्वास की डोर थामे रखती होती वो शक्ती अनजान 

उजाले की सिर्फ आस में ही ,अँधेरे से नहीं भय है।... 



निडर,और सच्चा ही जग में पाता रहा सदा सम्मान 


झूठों और चोरों के मन में हमेशा रहता भय है...


मेहनत करके पेट भरे जो वो होता सच्चा धनवान 

परिश्रम पर जिसने किया भरोसा,उसकी सदा जय है।.. 








Wednesday, November 16, 2016

एक हजार,पांच सौ और चुटकियां


१-
जो लोग कल तक खुश थे- अब दुखी हैं, जो लोग कल तक दुखी थे -अब खुश हैं ।
स्टेटस वही -सोच नई!

२-
नास्तिक लोगों के स्टेटस भी उन्हें(प्रधानमंत्री जी) चमत्कारिक बता रहे हैं। .
३-
 :-)What is in your mind ? जुकरबर्ग अब तो न पूछेगा ? हटा दे इसे .
४-
 :-)बुखार आएगा ! हरारत है। ..किसी को कह भी नहीं सकती.... :-(
न जाने क्या समझ लें 
५-
लोग पैसे कैसे बचाएं के बजाय कैसे नष्ट करें की जानकारी ले और दे रहे है 
६-
दो दिन के हालात -
अपने नाम का पहन के कोट,उसने चली है ऐसी गोट
कि हाय मैं क्या कहूँ
किये बंद अचानक नोट, दबाये रखते थे जो वोट
कि हाय मैं क्या कहूँ ..
दिल में थी जिसके खोट,उसी ने खाई तगड़ी चोट
कि हाय मैं क्या कहूँ ..
पिलायी ऐसी घुट्टी घोट कि सब भागे लेकर लोट
कि हाय मैं क्या कहूँ ..

७-
गुप्त दान के लिए घड़ा रख दूं क्या ? दरवाजे पे
८-
मेरे ब्लॉग पर घूम आओ। .. न पैसा लगेगा न लाइन में खड़े होने का झंझट
९-
 :-)मेरा/तुम्हारा देश बदल रहा है , ... और मैं/आप ?
१०-
स्टेटस लाईक करने वालों ज़रा शान्ति धरो , मीडिया की बुरी नज़र पड़ जाएगी
११-
 :-)जो मेहनती होते हैं ,उन्हें तो फिर से क ,ख ,ग करने में कोई आपत्ती नहीं होती , परेशान होते हैं वे जो थोड़े में ज्यादा पाना चाहते हैं ...
१२-
एटीएम बाबा के सम्मान में --- :-) गीत -तेरे द्वार खड़ा भगवानभगत भर दे रे झोली। ....
एक-एक लाईन
१३-
मैं जहां रह रही हूँ , एकदम गाँव वाला इलाका है ५ से १० किलोमीटर में ३ गाँव हैं और एक बैंक। ..लोग बड़े आराम से लाइन में लगकर एकमात्र एटीएम मशीन से पैसे निकाल रहे हैं और ऐसा लग रहा है की एक आदमी दो-दो कार्ड से निकालने के बाद ही बाहर आ रहा है। .... लेकिन लाइन में खड़े होने में कोई जल्दबाजी नहीं। ... दोपहर भर कोई लाइन भी नहीं शाम कामकाज से लौटने वाले ही कल लाईन में थे। ... मुझे भी अभी जरूरत नहीं
१४-
Rachana बता रही थी कि वो जिस एटीएम में गई थी वहां एक अटेंडेंट सबके कार्ड इंसर्ट करके दे रहा था। ... पिन और पैसा कार्ड धारक डालता तब वो हट जाता। ..फटाफट काम हो रहा है सबका।
१५-
सर्वे करने वालों को सर्वे करना चाहिए कि सबसे ज्यादा अनुशासित शहर /राज्य कौनसा है?, किस शहर के लोग हैं ? वहाँ पढेलिखे व अनपढ़ कितने हैं। ... सबसे ज्यादा खाताधारक वाला राज्य कौनसा है /कौनसी बैंक है ?
१६-
पास में एक जनरल स्टोर वाला ५०० के नोट लेकर सामान दे रहा है। .लोगों की सुविधा के लिए। ..
१७-
कई जगह बहुत अच्छे लोग काम कर रहे हैं, और इस नोट बदलने की प्रक्रिया को आसान बना दे रहे हैं -अपने सहज कामों से। ... जैसे मेरे घर के पास वाला जनरल स्टोर वाला ५०० रूपये अब भी लेकर सामान दे रहा है लोगों की सुविधा के लिए। ... बदल जाएगा बाद में कहते हुए
एक और पार्लर चलाती हैं महिला वे भी ५०० लेकर छुट्टे वापस कर रही है। ... बिना एक्स्ट्रा लिए। ..
आज एक जगह का फोटो देखा था कि चाय पिला रहे थे सरदारजी लाईन में प्रतीक्षारत लोगों को
पदम् सिंह जी ने लिखा था मदद के लिए जाने वाले है। ...
रचना ने बताया की अटेंडेंट कार्ड मशीन में लगाकर देने में मदद कर रहा था एटीमए में। .
आशीष जी की गार्गी का जन्मदिन भी वैसे ही मना। .जैसा उन्होने तय किया था
मेरे जैसे कई लोग नेट बैंकिंग से काम चला रहे हैं। ... जो थोड़े से रूपये हैं उसके लिए इंतज़ार किया जा सकता है। ..
तो थोड़ी सी ही सही पर सकारात्मक बाते राह आसान करती हैं जीवन की। ...
१८-
कम से कम लोगों को अपनी पहचान तो खुद रखनी चाहिए , अपनी आई डी किसी और को न दें। ..
१९-
आनेवाले दिनों में जिनके घर विवाह भोज रखा है, वे उसे एडवांस में कर पुण्यलाभ ले सकते हैं (जिन्हें रुपयों की कमी से खाना तक नहीं नसीब हो रहा 
२०-
एक घोषणा की और दरकार है-
बॉर्डर ..पर बिछाये गए -१००-१०० के नोट। ..जल्दी.  जाईये-जल्दी पाईये। ....
भेड़ें तो उधर भी दौड़ पड़ेंगी।या घर में दबी रहेंगी ......:-)
पर छंट तो जाएंगी ही...
२१-
जिन्हें ज्यादा किल्लत हो रही हो ,वे मंदिरों की सीढ़ियों पर भी लाईन में बैठ सकते हैं, मुसीबत में भगवान ही मदद करते हैं,और उसके यहाँ सब एक सामान -क्या अमीर!-क्या गरीब!
२२-
मेरी कामवाली बाई की लड़की की शादी है १८ को कल से छुट्टी रहेगी एक हफ्ते। ... उससे जब पूछा की कोई परेशानी तो नहीं पैसे को लेकर। ..तो बताया कि जिसको जमीन बेची उसने अभी पैसे नहीं दिए। .. मंडप वाले को २५००० देना है खाना ५०००० , बाकि सामान वगैरह सब अलग। .... पांच लाख तो गोल्ड ही लेना है। ...
खाता तो है ,उसने कार्ड से कभी कुछ खरीदा नहीं। ... कोई दिक्कत नहीं कहती है - गोल्ड तो बाद में भी दे सकती हूँ। .. :-)
मैंने कहा -कुछ राशन वगैरह चाहिए तो खरीदवाकर दे सकते हैं कार्ड से ,बोली- नहीं वो तो सब है , पर मंडप और खाने का सब्जी वगैरह का लगेगा। ..
शादी में कुल १० लाख खर्चा होगा ।
मैंने कहा खर्चा बहुत है कुछ कम कर सकती हो, तो जबाब मिला - ये तो सिंपल शादी है। ...
मतलब -
उसके पास काला तो है सफ़ेद की किल्लत है। ..
२३-
हम शुरू से चिल्लर वाले थे। .अब भी चिल्लर वाले ही भले हैं। ...
२४-
आस्तीनों से साँप बाहर निकल कर आ रहे हैं
अपना जहर अपने अपने बिलों में छुपा रहे हैं
सपेरे ने जाने कौनसी ऐसी बीन पा ली है
साँपों की तो छोड़ों नेवलों को भी नचवा रहे हैं
-अर्चना :-)
२५-
ये तो कुछ भी नहीं, इससे ज्यादा लंबी लाईने तो हमारे यहाँ तीर्थयात्रा और हजयात्रा में लग जाती है। ..
२६-
कोई भी छुट्टा माँगने नहीं आया
२७-
ये वक्त है - संवेदनशीलता,परोपकार ,ईमानदारी,दानशीलता,अपनत्व,आत्मनिर्भरता जैसे गुणों की कसौटी पर खुद को कसने का।.
२८-
ये वक्त है खुद से पूछने का- पैसा कमाया या प्यार ? नोट कमाए या लोग ?
२९-
ये वक्त है बच्चों को मितव्ययिता और फ़िज़ूलख़र्ची में अंतर समझाने का। .
३०-
ये वक्त है बच्चों को बचत और संचयिका का महत्व समझाने का 
३१- 
आखिर १०,२० और ५० जिन्हें दिए जाते रहे वहाँ तो होंगे ही 
३२-
ये वक्त है सीमित और संयुक्त परिवार का महत्व समझने का 
३३- याद करिये और जिस-जिस दूकानदार ने एक रूपये के बदले टॉफी पकड़ाई थी ,हिसाब बराबर कर लीजिये 
३४-
अगर सूचना लगा दी जाए की गुटखा ,तम्बाकू आदि खाने वालों को अलग लाईन में लगना होगा तो आधी लाइन अलग हो जाएगी 
३५-
अब तक एडवांड में दिए पैसों का हिसाब हो रहा है। .... 
उधार दो पर लो मत। ... :-) वाला नियम काम आ रहा है। ... (दूध ,कामवाली,और प्रेसवाले को )
३६-
अब गरीब अमीरों को लूट रहे हैं। ..कलयुग है भाई 


:-)

लेकिन जिंदगी न मिलेगी दोबारा

हँस ले ,गा ले, जश्न मना ले ,
थोड़ा प्यार दामन से बिखरा दे ,
मरना तो जन्म से तय है ,याद रख ,
मौत के इंतज़ार में तू यारा
दुखी रहकर तो हर पल तू मर सकता है,
लेकिन जिंदगी न मिलेगी दोबारा।
- अर्चना 

Tuesday, November 15, 2016

कुछ गीत मन बहलाने को


कुछ नहीं तो सिर्फ "सा रे ग म प ध नि सा" ही सही 

रेडियों पर गीत सुनने का शौक आज यहां तक  लाया --

कुछ गीत रिकार्ड किये 

 जब तब अकेले में गीत गुनगुनाने से मन बहल जाता है, कोई भी चिंता -परेशानी हो- तो बस गीतों के खजाने से एक गीत चुनों और सुनो।

 साथ तो आप स्वत: ही  गुनगुनाने लगेंगे पता भी नहीं चलेगा। .. 

चाहें तो आप भी सुन सकते हैं। ....अपना अनुभव बताईयेगा । 


Monday, November 14, 2016

आओ कुछ देर बच्चे बन जाएं


१ - मायरा और बॉल



२- मायरा का कोकिल गान



३- मायरा का पाउट




४  - म्यूज़िक बजा नाचूंगी




५  - नानी तेरी मोरनी




६  -फिसलपट्टी




७ - पढ़ाई




८ - साड़ी की शौकीन मायरा

बालदिवस विशेष


सारी दौलत तो क्या, लुटा दूं मैं अपनी जान 
लाने को मेरे बच्चों के होठों पर हलकी-सी मुस्कान !

बालदिवस विशेष !- 



Sunday, November 13, 2016

सबसे बड़ा रुपैया


न मुन्ना न ! आज नहीं 
कल ले लेंगे 
नया खिलौना
ये वाला अच्छा नहीं
कहकर बच्चे को समझाना
बिटिया से कहना कि -

बस वो जो तीसरी लाईट दिख रही है न! 
उस तक पैदल चल

वहां से रिक्शा में बैठना
परेशानियों की कड़के की धूप में 

तलाशते हुए छईयाँ 
एक लाचार माँ ही बता सकती है, 

क्या होता है -
सबसे बड़ा रुपैया 

एक अनुपम यात्रा


कुछ निर्जीव चीजों में भी प्राण आ जाते हैं, उनसे जुडी यादों के आते ही .... करीब 31 साल पीछे के अक्टूबर-नवम्बर के पन्ने फड़फड़ाने लगे है इन दिनों.....

टेबल,कुर्सी,पलंग,दीवारें  बोलने की कोशिश में हैं और चादर , तकिये ,परदे
फुसफुसाने लगे हैं ....

चाय का कप चुपके से सुन कर बता रहा है ....सलवटें कहाँ-कहाँ हैं..... 
चूड़ियाँ खनक-खनककर छेड़ रही है मधुर तरंग और हवा की ठंड़क वाह के साथ आह! की ताल मिला रही है ... 
वो दिन और उनकी यादें ताज़ा रखती हैं मेरी साँसों को .... और यही वजह है कि निर्जीव चीजें भी मेरे साथ बतियाते रहती है ...


एक अनुपम यात्रा-

..... बाळू से नानी तक की .....
आज अपने बारे में सोचते -सोचते .....याद आया -
बचपन से लेकर अब तक कितने नाम बदलते रहे मेरे ...और हर नाम के साथ उम्र और चरित्र भी...... बिटिया से लेकर माँ ...और बहू से लेकर नानी तक...... 

कितने ही लोग मिले और बिछड़े...इस सफ़र में अब तक ....और हर एक से कुछ न कुछ लिया ...लेकर चल रही हूँ ..अपने पड़ाव की तलाश में .... 

लिखी जा रही अनवरत कहानी के एक रोमांटिक पन्ने से ...

Saturday, November 12, 2016

ये जिन्दगी...

चलते-चलते ,चलते ही जाना है ,जाने कितनी दूर तलक
कि सांसों के घोड़ों पर सवार हो सफ़र पर निकल पड़ी ये जिन्दगी...

बदलते -बदलते आखिर कितना बदल गए हम
कि अपने जमाने से कोसों आगे निकल गयी ये जिन्दगी...

मिटाते-मिटाते भी नामोंनिशां न मिटा पाएंगे वे मेरा
क्यों कि कमेंट-कमेंट बन नेट पर विचरती है ये जिन्दगी ...

जाते-जाते अनगिनत दुआएं देकर जाने की ख्वाहिश है मेरी
कि खुदा के घर में भी दुआओं के सहारे बसर कर लेगी ये जिन्दगी...

Friday, November 11, 2016

"मेरे मन की" का नया रूप

११ दिसंबर २००८ को पहली ब्लॉग पोस्ट लगाई थी, यानि उस दिन मेरे ब्लॉग का जन्म हुआ था, आज ११ नवम्बर २०१६ को आठ साल पूरे होने में मात्र एक महीना शेष है।   मेरा ब्लॉग आने वाले ११ दिसंबर १०१६ को आठ साल का हो जाएगा । 
"मेरा ब्लॉग" कहते हुए जो खुशी हो रही है वो शब्दों में नहीं लिख सकती । 

इससे पहले भी जीवन चल रहा था, मगर जिस आत्मविश्वास की कमी थी वो ब्लॉग से आया । कई विषयों पर लोगों के विचारों को समझने का मौका मिला ,कई अछूते विषयों के बारे में जाना ,अपने आपको सबके बीच रखकर खुद को बेहतर करने का मौका मिला। पॉडकास्ट के बारे में जानकारी मिली और मेरी पहचान भी... 
 
अनजाने लोगों में मित्रों की पहचान करना सीखा ,पढ़ेलिखों में गंवारों की पहचान हुई । कई मित्र बने तो कई अब भी शत्रु तुल्य रखे जा सकते हैं -व्यवहार से... 
हालांकि मेरा प्रयास रहता है सबको साथ लेकर चलने का.... पर लोगों का  जन्मगत स्वभाव किसी दूसरे के द्वारा नहीं बदला जा सकता। .... 

अपना ब्लॉग अपने बच्चे की तरह लगता है - लाखों में एक। ... 
आज मेरे ब्लॉग ने अपना पुराना चोला उतार फेंका है ,और नए रूप में आपके सामने है।(नए नोटों की तरह ) :-) 
.. कुछ बदलाव शेष है... फिर भी आपका प्यार व् स्नेह पूर्ववत रहेगा और मुझे हर दिन कुछ नया करने की प्रेरणा मिलेगी यही कामना है। .... 

सभी साथियों/पाठको/श्रोताओं का आभार। ... 




 

Thursday, November 10, 2016

अँधेरा और रोशनी



दीये देते हैं रोशनी जलाने के बाद 
सुलगती है जिसके छोर पर बाती 
और फिर भी रह जाता है अंधकार 
उसके ही तले में रोशनी नहीं जाती! 

पतंगा आकर मरता है लौ पर
शायद लौ की चमक उसे है लुभाती 
जीवन का यही फ़लसफ़ा है यारा
मौत तो खुद ही अपने पास बुलाती!

क्या डरना ऐसे अंधेरे से 
जो खुद डरता है डगमगाती लौ से 
और नींद से उठकर तो जरा देख 
जीवन ही जीवन है सुनहरी पौ से !

-अर्चना

Sunday, November 6, 2016

बीती ताही बिसार दे

कल जब ऑफिस से एक्स्ट्रा काम ख़तम करके वो निकला तब रात ग्यारह बज चुके थे। ..फ़टाफ़ट घर फोन लगाकर बोला -मैं निकल रहा हूँ, और बाइक स्टार्ट की ..

.अभी ५ मिनट भी न चला होगा कि एक्सीलेटर वायर टूट गया... चारों तरफ देखा ,दुकाने बंद हो चुकी थी मेकेनिक को तलाशा कोई दुकान न दिखी। .. मरता क्या न करता ,बाइक हाथ  से घसीटने लगा |
पीठ पर लेपटॉप का बेग और हेंडल पर टिफिन लटकाये हुए हेलमेट भी निकालना पड़ा, किसी तरह एक डेढ़ किलोमीटर के बाद एक मेकेनिक की दूकान सड़क के उस पार खुली दिखी, तुरंत सड़क पार करने लगा, पर तभी हेलमेट हाथ से छूट गया। ..सोचा बाइक रखकर उठा लेगा। .. दूकान के सामने पहुंच कर बाइक खड़ी की, और पलट कर हेलमेट उठाने आया। .....

अभी हेलमेट उठाकर पलटा भी न था, कि पीछे से एक लड़का दौड़कर आते हुए उसे मारने लगा। ..उसे कुछ समझ आता उससे पहले ही उसने ५-६ घूंसे  मुँह पर दे मारे। ..वह इस अचानक हुए हमले से असंतुलित होकर सड़क पर गिर पड़ा ,चश्मा आँखों से और टिफिन हाथ से छिटक कर दूर जा गिरा, नाक से खून बहने लगा उसकी , वो तो भला हुआ कि पास से गुजरती कार से टकराने से बच गया। .. उसने तुरंत चश्मा खोजकर एक हाथ में कसकर पकड़ लिया , जानता था-उसके बिना कुछ भी देख नहीं सकेगा। ..

साथ ही वो बचाव में पूछने लगा -अरे भाई ! हुआ क्या ? क्यों मार रहे हो? लेकिन तभी उस हमलावर के दो साथी और आ गए और ये बोलते हुए कि -बाईक कैसे खड़ी की  .. तीनों मिलकर मारने लगे। ....रात में सड़क पर आवागमन कम था , मेकेनिक की दूकान से दो लड़कों ने आकर उसे छुड़ाया , वो उठा , अपना टिफिन उठाया देखा ढक्कन टूट चुका था , हेलमेट ठीक था ,थोड़ा संभलकर अपनी बाइक तक गया देखा उसकी बाईक के बाजू में उस लडके की बाईक खड़ी थी ,लेकिन टकराई तो नहीं ही थी ,फिर कहा - कुछ भी तो नहीं हुआ आपकी बाईक को,लेकिन वे सुनने वालों में से नहीं थे फिर उसे मारने लगे , वो असहाय था ,अकेला , उसने वहाँ रुकना ठीक  न समझा , एक बार को लगा कि १०० नंबर पर कॉल करे ,लेकिन खुद को संयत रखते हुए ऐसा नहीं किया, क्यों कि लड़कों ने उसे सिर्फ मारा था ,पर्स मोबाईल छीना नहीं था,हो सकता था वे ऐसा करते देख और हानि पहुंचाते ,उसे माँ और पत्नी का भी ख़याल आया कि वे रास्ता देख रहे होंगे ,  और उसी हालत में टूटा टिफिन और हेलमेट पकड़ बाईक घिसटते हुए आगे बढ़ गया...

रास्ते में कोई दूकान खुली नहीं दिखी न कोई मेकेनिक मिला, आखिर फिर ३-४ किलोमीटर पर एक मेकेनिक की दूकान दिखी लेकिन वो बंद थी ,वो बाईक वही  खड़ी कर दूकान के बोर्ड में देख मोबाईल पर मेकेनिक का नंबर ट्राय करने लगा ,बार -बार ऐसा करते पास की एक कबाब की दूकान बंद कर जाने वाले तीन लड़कों ने उसे देखा उसमें से एक ने आकर कहा- वो नहीं मिलेगा अभी और सारी बात जानकर उसकी हालत देख ,बाईक वही खड़ी करवा ली ।  अब तक वो थककर चूर हो चुका था, नाक से रह -रह कर खून भी आ ही रहा था , उसने वहीं से ओला कैब बुक की लेकिन कैब के पहुंचने तक उसकी हालत उसके बर्दाश्त से बाहर हो चुकी थी वो वही सड़क पर लेट गया कैब का इंतज़ार करने , और इसी वक्त उसे खुद से बात करने का मौका मिला,  मन उस पर भारी हो गया, पिता बहुत याद आये  .रोना भी आया ..

७ साल की उम्र से खुद से जूझ रहा है , किसी को बताता नहीं, लेकिन माँ जानती है,  और माँ को याद करते ही उसमें ऊर्जा आ गई ,तभी कैब वाला पहुँच गया , उसे सड़क पर लेटे  देखकर कैब ड्राइवर उतर कर उसके पास आया ,उससे पूछा क्या हुआ? और उसकी सारी बात सुनकर और ये जानकर कि माँ और पत्नी घर इंतज़ार कर रहे हैं, उसके दुख का सहभागी बना , ड्राईवर ने उसे उठाकर कैब में बैठाया , उसका सामान रखा ,उससे बोला- सर प्लीज आप राइड केंसल कर दीजिये , मैं आपको घर तक पहुंचा दूंगा , मेरा दिन भर का राइड हो चुका है ,मैं आपसे पैसे नहीं लूंगा , . और राइड केंसल करवा दी । उसने कुछ देर में पानी का पूछा और अपने पास देखा ,लेकिन उसकी बोतल में पानी ख़तम हो चुका था , बोला - सर मैं आगे कोई दूकान खुली होगी तो रोकूंगा आप पानी ले लीजियेगा , एक शराब दूकान देखकर कैब रोकी उससे पानी की बोतल खरीदवाई  और आकर फिर कैब में बैठ गया  ....रास्ते में बात करते हुए कहने लगा- सर कितनी बुरी बात है , आप यहां काम करने के लिए आये हैं और यहां के लोगों ने आपके साथ इतना गलत व्यवहार किया । ड्राईवर की बात सुन दर्द में भी एक पल को उसके होठों पर मुस्कराहट तैर गई। ...

. तब तक करीब साढ़े बारह बज चुके थे  उसके फोन की घंटी बजी , ड्राईवर ने पहले ही आगाह किया- घर से फोन होगा तो अभी मत बताईयेगा सर ,माँ और आपकी पत्नी परेशान हो जाएंगे , उसने फोन उठाया ,माँ  का फोन था, उसने वैसा ही किया,माँ से कहा - रास्ते में हूँ , १०-१५ मिनट और लगेंगे। ...

... और कुछ देर में ड्राईवर ने उसे सुरक्षित पहुंचा दिया। .. उसके लाख कहने पर भी पैसे नहीं लिए शायद २५०/- होते इतनी दूर के। .. बस प्रेम भरा धन्यवाद लिया और लौट गया। ...

घर पर माँ घड़ी देखते-देखते  लेट चुकी थी,पत्नी खाने पर इंतज़ार करते -करते झपकी ले रही थी , तुरंत दो थाली लगाई और साथ खाने पर बैठते ही उसकी रूलाई फूट पडी , माँ  भी कच्ची नींद में थी , कुछ आशंका से भयभीत हो उठ बैठी और तब उसने दोनों को ये सारी घटना बताई।

तीनों के अश्रु झर रहे थे। .. और कुछ कहते न बन रहा था सिर्फ उस कैब वाले को मन ही मन धन्यवाद दे रहे थे और आपस में एक ही बात कह रहे थे  - इससे भी बुरा हो सकता था। . .
जाने कितना बुरा।

और माँ ने गले लगाते हुए हमेशा की तरह यही कहा -बीती ताही बिसार दे!

Saturday, November 5, 2016

हम लाएं है तूफ़ान से कश्ती ( स्टेटस ) निकाल के ..जुकरबर्गवा ऐसे स्टेटसो को रखा करो संभाल के

आज फिर एक स्टेटस को सहेज लिया -

Amit Kumar Srivastava with Vivek Rastogi and 12 others.
सवेरे उठते ही तमाम चिंता रहती है दोस्तों की ,बस उसी लिए 'इधर' आता हूँ । पता नहीं अनूप शुक्ल जबलपुर पहुंचे ,चल तो दिए थे कानपुर से । Kajal जी ने नया कुछ बनाया , अर्चना जी ने कोई फोटू खीची , वंदना जी का नानू भूखा तो नहीं , Shekhar का पराठा जल तो नहीं गया , Shikha को कोई चेक मिला लन्दन डायरी में छपने का कि नहीं , Anulataजी की स्मृतियों में आज कौन , Bs Pabla जी की गाडी ने किसी को ठोंका तो नहीं , गंगापुत्र Gyan Dutt Pandey जी के क्या हाल ,रश्मिजी मुम्बई में मजे में तो हैं, Ashishका बुखार कैसा है , विवेक जी के बेटे लाल का जन्म दिन कैसा रहा ,पारुल की रंगोली को पहला ईनाम मिला कि नहीं ,मुकेश ने दुबारा फिर सिगरेट तो नहीं पी ,शिवम आज किस फौजी की जीवनी ले कर आयेंगे ,अजय की कचेहरी के क्या हाल है आज कल जिम ज्यादा जा रहे हैं बॉडी-शॉडी बनाई जा रही है , लगता है ,निशांत का कोई निशाँ नहीं मिल रहा , सुमन जी की कोई नई पंक्तियाँ तो नहीं आई , सोनल गायब है दीपावली के बाद ,अभिषेक की चित्रगुप्त पूजा कैसी रही ...और न जाने क्या क्या । हाँ , अरविन्द जी की मछलियों के क्या हाल और संतोष जी और अविनाश जी की दिल्ली / दिल के क्या हाल | पद्म जी की बिजली तो दौड़ रही है न ।
इतनी चिंताओं के लिए सवेरे सवेरे फेसबुक पर आता हूँ और डाँट भी खाता हूँ । अब न्याय आपके हाथ ।
"दस से अधिक लोग मेंशन नहीं हो पा रहे हैं इसलिए बाकी लोगों को टैग कर रहा हूँ ।"
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Shekhar Suman हमारा पराठा बिलकुल नहीं जला है और हम खा भी चुके हैं, दफ्तर की तरफ भी तो निकालना है..... इतनी सारी चिंताओं से निवारण के लिए फेसबुक पर तो आना ही होगा.... आप अपने हाईकोर्ट में हमारी याचिका पहुंचा दीजिये.... 
अनूप शुक्ल डाँट खा रहे हो इसका मतलब सब कुछ सामान्य है। मने हम अब्भी अब्भी पहुंचे जबलपुर। चाय पीते हुये स्टेटस लिख रहे हैं। 
DrArvind Mishra मेरी मछलियां सतह के काफी नीचे चली गईं मित्र ..दिखती ही नहीं अब 
Ashish Rai हा हा , इतने सारी चिंता है तो उनके शमन के लिए सुब्बे सुब्बे आना तो पड़ेगा न फेसबुक पर . अपना बुखार भी अभी तो कही दुबका बैठा है . न्याय कि देवी अंधी हो सकती है बहरी नहीं .
Vivek Rastogi  अरे वाह बहुत प्रसन्नता हुई आपने ध्यान रख... आप डाँट खाकर भी तो इतने सारे दोस्तों का ख्याल रख रहे हैं.. ऐसी तो डाँट भी भली.. बेटेलाल का जन्मदिन बहुत ही अच्छा रहा.. घर पर ही परिवार के बीच.. आज वर्क फ़्रॉम होम है.. शाम को हैदराबाद निकलेंगे.. कल से ऑफ़िस ज्वॉइन करेंगे..
Vivek Rastogi ये अनूप जी का लिख रहे हैं.. फ़बता नहीं है.. "ठेल रहे हैं" जमता है..
अनूप शुक्ल सही है। लेकिन क्या है न कि अपन ठेलने के पहले लिखते हैं तब ठेलते हैं। यहां भी लिखने के बाद ठेल दिया।  @Vivek Rastogi
Vivek Rastogi ऐ लो अनूप जी ने जबरन ही सोनल जी को टैग कर दिया 
Kajal Kumar डॉाट 
अनूप शुक्ल सब रस्तोगी आ गये एक साथ। वैसे यह भी शायद इसलिये टैग हुआ कि अमित ने सोनल का हालचाल क्यों नहीं पूछा? खाली गायब बताया !  
Vivek Rastogi हे हे एक तो जिनके हाल पूछे वो हाल दिखाने आये नहीं.. जिनको नहीं पूछा उनके लिये शिकायत की अर्जी और लगा दी 
Devendra Kumar Pandey वाह! एक स्टेटस ने सबका हाल बताया।
Amit Kumar Srivastava अनूप शुक्ल अरे , पूछा तो है Sonal को,देखिये टैग किया है ,फिर से पढ़िए आप ।
Vivek Rastogi पकड़े गये रंगे हाथों 
Satish Saxena यह अंदाज़ जमने वाला है , बधाई ! और मेरा नाम ही नहीं, देख लेंगे  !!Amit Kumar Srivastava
Bk Gupta Itni tension ke saath kaise so pate ho !!!
Ashish Rai मुकेश कौन ? Satish Saxena
अनूप शुक्ल नीचे टैग करना भी कोई टैग करना होता है। खैर हमें क्या सोनल खुद समझेगी। वो कोई बेवकूफ़ थोड़ी है। Sonal RastogiAmit Kumar Srivastava
Satish Saxena नाम गलत हो गया , यह बुढ़ापे की निशानी दिखनी शुरू हो गयीं हैं , धन्यवादAshish Rai
Amit Kumar Srivastava अनूप शुक्ल 'मेंशन' करने की सीमा दस लोगों तक की है । यह तथ्य पोस्ट लिखने के बाद उजागर हुआ । पोस्ट में उनका नाम है सरकार ।
Amit Kumar Srivastava सही नाम क्या है !! Satish ji
Satish Saxena गलती से अमित कि जगह कुछ और नाम लिख दिया था यार अब ठीक कर दिया , भला ही आशीष राय का  , और इत्ती बढ़िया पोस्ट में से मुझे गायब कर दिया ?  , धांसू पोस्ट है बधाई !!
Padm Singh बिजली दौड़ गई जी.... एकदम दौड़ गई जी... 
वंदना अवस्थी दुबे वई तो.... हम भी तो बस यही जांचने सुब्बे-सुब्बे आ जाते हैं, कि अमित जी ने हमें याद किया या नहीं? न किया हो तो उनकी खबर ली जाये 
वंदना अवस्थी दुबे और हां, भड़काने वालों से डरना मती अमित जी.. हम हैं न 
अनूप शुक्ल अब ये सोनल जाने कि उनको दस नाम के बाद क्यों टैग किया गया। Amit Kumar Srivastava Sonal Rastogi 
वंदना अवस्थी दुबे Sonal.............. तुम कहां हो??? इत्ती टेर सुनने के बाद तो भगवान भी उतर आयें धरती पे, तुम फ़ेसबुकई पे नईं आ पाईं?? आओ जल्दी 
Ajay Kumar Jha हाय हाय इत्ती सारी चिंता ................आप तो चिंतामणि हो लिए जी चिंता वो भी सब बागड बिल्लों,...आई मीन ब्लॉगर बिल्लों की  हम घर पर ही कसरत +वर्जिश दुन्नो खैंच मारते हैं जी ,,बीच बीच के गैप में अनुलोम विलोम भी  सब कुशल है और मंगल भी , आज दिन भी मंगल ही है , वही मंगल जिस पर सुना है कि भारत ने अपना ट्रैक्टर भेजा है ।.............कहीं ट्रैक्टर सोनल जी ही तो नहीं चला रहीं  
Anulata Raj Nair हमने अपने मन को स्मृतियों से खाली कर दिया है...आज सिर्फ आपके बारे में सोचेंगे.दुआएं करेंगे .....सुबह सुबह इस तरह याद करने का कुछ तो return gift बनता है बॉस  और आखिर आपको डांटता है कौन????? हमने तो इत्ती प्यारी बहन दी है आपको !!!
Udan Tashtari oऔर हमारी कोई टेंशन नहीं है जी आपको??
Udan Tashtari ऐसा नादान तो इंसान भी कहाँ होता है
जैसा दिखता है, वैसा ही कहाँ होता हैं
Ajit Gupta चिंता मत करिए बस सबको एकबार न्‍यौत दीजिए।
Amit Kumar Srivastava Udan Tashtari मुझे लगा ,उड़नतश्तरी आज मंगल पर होगी ,डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए ।
Amit Kumar Srivastava अनूप शुक्ल मतलब आप आज मुझे Sonal से अनफ्रेंड करा कर ही दम लेंगे ।
Amit Kumar Srivastava Ajit Gupta स्वागत है सभी आगतों का ।
Shikha Gupta हमें ये जानने में ज़यादा रूचि है कि आपको डाँटने का शुभ-कार्य कौन करती हैं ...और कैसे करती हैं 
Ajay Kumar Jha शिखा जी संघर्ष करो ..हम आपके साथ हैं ...बताइए जी अमित भाई 
Shikha Gupta Amit Kumar Srivastava चलो जी अब तो support भी मिल गया ...यूँ ही चलता रहा तो आपसे ये जानकारी बकायदा बड़े से जलसे में उद्घाटित करवायेगें और हाँ ...आपसे गुज़ारिश रहेगी कि उन मोहतरमा को भी साथ ले कर आयें ...उन्हें भी सम्मानित करने का प्रबंध किया जायेगा
अजय .....हमने प्लानिंग कर दी है बाकी तो आप सम्भाल ही लेगें ...ऐसे मौकों के लिये आप जैसे नौजवानों पर हमें बहुत भरोसा रहता है 
Shikha Gupta Amit Kumar Srivastava Nivedita Srivastava बेचारी पत्नी ......सुबह-से ही इतना पीड़ित हो चुकी होती है कि खीज कर डाँट का सहारा लेना पड़ता है
निवेदिता से पूरी सहानुभूति है  :d
Gyan Dutt Pandey बहुत अच्छा लिखा जी
पर भलाई का ज़माना नहीं। इतना अच्छा लिखने पर भी लोग लखेदे जा रहे हैं। 
अर्चना चावजी खाली फोटो खीचती हूँ.......?.......लाईक कौन करता है ?..... अच्छा है डांट पड़ी.... अब खाना भी बनवाओ निवेदिता ...... तुम तो जानती हो कित्ता लिखना पड़ता है यहाँ...
Sonal Rastogi कोई बात नहीं जो नीचे जाता है वही ऊपर आता है
संसार का नियम है , मुझे लास्ट में टैग किया
Sonal Rastogi अमित जी चिंता मत करो , मैं आ रही हूँ लखनऊ ...आमने सामने बैठकर हिसाब करेंगे
Kajal Kumar Amit Kumar Srivastava श्री जी भाग लो ....
अर्चना चावजी अच्छा जी !..... अब भाग लो 
अर्चना चावजी ये शेखर जब भी झगडा हो .... खी खी करते रहता है ....
Shekhar Suman हमको मज़ा भी तो उतना ही आता है...  
अर्चना चावजी ह्म्म्म्म मुफत का मजा लेने की आदत पड़ गई है तुमको 
Shikha Varshney ओह हो बहुत चिंता हैं आपको तो  . हमें लन्दन डायरी का चेक बाकायदा समय से मिल रहा है। और सुबह की चाय के साथ आपकी इस पोस्ट पर कमेंट करने का मजा ही कुछ और है 
Sonal Rastogi एक तो हमारी रैंकिंग गिर गई और सब मजे ले रहे है  Amit Kumar Srivastava Shekhar Suman
अर्चना चावजी वो भी चाय के साथ .....
Shikha Varshney अरे स्पेशल लोगों के नाम बाद में ही होते है । फिल्म्स में नहीं देखा .Sonal
Shikha Varshney चाय ख़तम हो गई अर्चना जी । अब बिना चाय के 
Bs Pabla आप कहना क्या चाहते हैं अमित जी 
मेरी ड्राइविंग इतनी खराब तो नहीं !
Prashant Priyadarshi और मेरी कोई चिंता ही नहीं. 
Bs Pabla चलो लखनऊ 
Prashant Priyadarshi मुझे बोल रहे हैं पाबला जी?
Bs Pabla और क्या !
जब कूच करेंगे लखनऊ की ओर तो कारवां बन ही जाएगा 
Shikha Varshney शराफत का वाकई जमाना नहीं है। जो चिंता करे वही डांट भी खाए और घेराव भी उसी का हा हा हा
Bs Pabla चिंता हमारी कहाँ हो रही ? वो तो 'ठोकेबल' की हो रही 
Prashant Priyadarshi मेरी चिंता भी नहीं की गई. अब तो घेराव बनता है ना.. 
Amit Kumar Srivastava Prashant Priyadarshi अरे , पटाखे वाले के पैसे दिए । अब यह चिंता भी मै ही करू ।
Amit Kumar Srivastava Bs Pabla आप जगह बहुत घेरते हैं सड़क पर न ,इसीलिए ।
Amit Kumar Srivastava Sonal Rastogi आइये आइये ,पिछ्ला हिसाब भी बाकी है और पुराना स्टेटस कापी पेस्ट कर निकाल लिया है जिसमे आपने मिलने का वादा किया था ।
Amit Kumar Srivastava Shekhar का तो मजा लेने का हक़ बनता है भाई ,छोटा जो है ।
अनूप शुक्ल मने जो हिसाब किताब हो उसको सार्वजनिक कर दिया जाये ताकि सबको पता चल सके।
Vivek Rastogi हो चलने दो..
Amit Kumar Srivastava आ गए मौज लेने , पलीते में लाइटर दिखा कर कहाँ गायब हो गए थे । अनूप शुक्ल
Amit Kumar Srivastava अर्चना चावजीखाली कहाँ , आप तो भरी फोटो खींचती हैं । अरे , आप लिखती हैं ,आवाज़ देती है ,पढ़ने स्कूल भी जाती है अब खुश ।
Amit Kumar Srivastava Shikha Varshney जब आप 'लन्दन डायरी' में छपी पोस्ट दिखाती हैं तब सब वह पोस्ट देखते हैं और मुझे उसमें पौंड नज़र आता है ।
Ashish Rai हाहाहा, दैनिक जागरण वाले पोंड देते है ? जुगाड़ ढूढ़ना पड़ेगा .
Mukesh Kumar Sinha dubara kisi ne offer hi nahi ki 
Shikha Varshney नजर आने में , और वाकई मिलने में फरक होता है Ashish .
अर्चना चावजी और वो मेरा रोटी का डिब्बा ... जो आपने लिया था रोटी समेत .......उसका क्या.........मैं भी वीर जी के साथ हूँ ...????
Bs Pabla ज्यादा जगह घेरता हूँ?
राह चलती भैंस से भी ज़्यादा!!
Shekhar Suman ha ha ha...  kya hai ye 
Rashmi Ravija Ohh subah ki post hum ab dekh rahe hain wo bhi mobile pe....waise koi update na ho toh maje me hi honge na...No news is good news 
Abha Sharma एक दिमाग और इतनी भयंकर चिंताएँ ........ 
Rashmi Mundra Maheshwari यूं तो अमित जी ने हमारी बिल्कुल भी चिंता नहीं की है, फिर भी हम ठहरे दरियादिल, चलिए उनकी इस पोस्ट पर सुबह से ही चहकते-मचलते मन की हालत को देखते हुए इसे पोस्ट ओफ द मंथ घोषित कर देते हैं। 
Udan Tashtari Amit Kumar Srivastava अगर हम मंगल पर भी होते तो भी आपके लिए ही मंगलकामना करते मिलते!! 
Udan Tashtari Bs Pabla नखलऊ में हमें साथ ही मानना मन से. 
Ajay Kumar Jha हा हा हा भोर से लेकर अब तक बारह घंटा का ड्यूटी बजा दिया है ई स्टेटस , अभी तो नाइट वाले आ ही रहे होंगे   सन्नाट लपेटे आज आप सबको  
अर्चना चावजी अब आप खुद को फोटो टैग होने से बचाईये 
अर्चना चावजी ई स्टेटस से हमको अपना एक स्टेटस याद आया था .....जाने कहाँ हरा गया है 
Bs Pabla 
बज़ की याद आ गई आज तो Udan जी 
Amit Kumar Srivastava Rashmi Mundra Maheshwari पूरी चिंता है आपकी ..., और हाँ , बहुत बहुत आभार ,अवार्ड के लिए ।
Amit Kumar Srivastava अर्चना चावजी ढूँढिये ,कहाँ जाएगा स्टेटस आपसे बच कर ।
अर्चना चावजी बज से याद आया एक मस्त बातचीत हुई थी उस पर कुछ मेंबर यहाँ भी हैं उसके ....सेव करके रखी भी है कही..... Udan Tashtari .... आपको आचार्य लगवाना था शायद ...
अर्चना चावजी मेरा तो दो दिन का स्टेटस पाताल में चला जाता है यहाँ ....
Vivek Rastogi हम भी उस ब्लॉगरी बज्ज में थे।
Amit Kumar Srivastava Shivam कहाँ है ,हाजिर किया जाए ।
सु-मन कपूर सुमन अरे , ये तो सच में सबसे जरूरी काम है सुबह सुबह । अपने दोस्तों का इतना ख्याल तो रखना चाहिए न । सोच रही हूँ एक जान (अमित)सौ काम ...उपर से फेसबुक नें किया जीना हराम ...ना दिन में चैन न रात को आराम ... कभी दीखता किसी का परांठा कभी किसी का जाम 
Amit Kumar Srivastava Suman Kapoor आखिर आपकी नई पंक्तियाँ आ ही गईं
Shekhar Suman मेरा पराठा... मेरा पराठा.... 
सु-मन कपूर सुमन हा हां हांजी ... क्या करूं आपकी पोस्ट का असर है
Amit Kumar Srivastava Shekhar अकेले अकेले खा गए अब क्यों गुहार लगा रहे हो ।
Shekhar Suman लीजिये कर लीजिये बात, हमने कब किसको मना किया है.... बंगलौर आइए पराठा खाइये... साथ में अचार मुफ्त... मुफ्त... मुफ्त... 
अर्चना चावजी मै कभी भी आ सकती हूँ
Indra Awasthi aur yeh sab tab, jab hamaari chinta bilkul hee nahin kar rahe ho ..
Indra Kumar Amit you have been always man of friends.Superb in Human values. sk
Shivam Misra प्रणाम भाई साहब ... देर से आने के लिए माफ कीजिएगा ... बढ़िया महफिल जमाई हुई है आपने तो !
Vivek Rastogi आह.... आज भी वही चिंतायें हैं, कुछ बदला नहीं है
8 hrsLike1
Kumkum Tripathi बाप रे बाप!!! इत्ती सारी चिन्ताएं!!!!! 😨 तब तो पक्का कोइ बड्डे आदमी होंगे आप
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अर्चना चावजी are waah !3 saalo me shekhar ne achhe se seekh liya hoga paratha banana ...  is stetus ko bhi sahej liya jaaye blog par
7 hrsLike2
Shekhar Suman हमारा पराठा तो कभी जला ही नहीं... हाँ सब्ज़ी कभी कभी जल गयी, इस बार घर से अचार लिए जा रहे हैं... चटखारे लेके खाएंगे... 
7 hrsUnlike2
Kajal Kumar हे भगवान आप तो पूरी दुनि‍या का बोझ उठाए हैं 
4 hrsLike1
वंदना अवस्थी दुबे ऐसी पोस्ट दोबारा न लिख पाये आप 😜
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Amit Kumar Srivastava नानू अब भूखा नहीं है न, खा पी के सो रहा।😊😊
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अर्चना चावजी अनूप जी को आज घर से जल्दी हकाल दिया , काजल जी नहाये नहीं तो खाना नहीं मिला ,शेखर को पराठा बनाना आ गया , वन्दना का नानू कई दिनों से सो रहा है खा-पी कर , आशीष जी खेत -खलिहान घूम रहे है , विवेक जी और वीर जी ९ नवम्बर मना रहे है। .. 
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अर्चना चावजी बाकी सारी लड़कियां दिवाली की सफाई करके थक गई है अभी लौटी नहीं 
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Anulata Raj Nair हमारी याददाश्त तीन सालों में और कमज़ोर हो गयी.....स्मृतियों का कोना ख़ाली है  
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Kajal Kumar आप अखरोट खाया कीजिए...
2 hrsUnlike3
Anulata Raj Nair हमसे कह रहे हैं ?
2 hrsUnlike3
Kajal Kumar जी जी जी अख़रोट खाने से याददाश्त ठां ठां हो जाती है बकौल बाबा रामदेव श्री
2 hrsLike2
Vivek Rastogi दौड़ने से याददाश्त अच्छी हो जाती है 
2 hrsUnlike3
Anulata Raj Nair Kajal कमबख्त कौन चाहता है अच्छी याददाश्त!!! जब एक्साम्स देने थे तब खाए होते तो रिजल्ट सुधर जाते अब क्या फायदा 
अखरोटों का खर्चा अलग 
2 hrsLike1
Ismat Zaidi Shifa lo bhaiya ham to tag bhi nahi'n kiye gae 
2 hrsLike1
Ashish Rai ये कमबख्त बुखार भी आज भी आया