Monday, January 31, 2011

रुकिए..........देखिए........सुनिए.......

http://bambuser.com/channel/archana/broadcast/1349007
अब बताइये.....कितनी गलतियाँ हुई.........

Friday, January 28, 2011

तुम न जाने....

मन ही नहीं मानता-"वो" बहुत याद आते है,
कैसे समझाऊं इसे -ये आंसू इसी की गवाही देते है,
"उन्हें" भी जाना ही था तो पूरी तरह चले जाते,
हर दम सुबह-शाम यूं याद तो न आते,
"वो" चाहे भी तो लौट क़र नहीं आ पाएंगे,
न कोई ठौर या ठिकाना ही मालूम-
जहां "उन्हें" ढूँढने हम जा पाएंगे,
लोग कहते हैं -"ईश्वर" के पास चले गए,
अब तारा बनकर नजर आयेंगे,
"उन्हें" नहीं पता- हम उन्हें कैसे देख पायेंगे?
अगर वो आकाश में हों--तो हम पंछी बन उड़ जायेंगे,
अगर वो हवा में हों-- तो हम खुशबू बन बिखर जायेंगे,
बस उनकी एक झलक जो मिल जाए--
हम सब छोड़ दौड़े चले जायेंगे ......

Monday, January 24, 2011

काश...

वत्स भीष्म ,
काश तुम अपनी प्रतिज्ञा तोड़ देते
तो क्या हमें
तुम जैसे -दो चार या ज्यादा
शूरवीर,बलवान,धैर्यशील,गुणवान
वीर और न मिलते?
कितना अच्छा होता यदि तुम
ये प्रतिज्ञा न करते
और बदले में इसके
इसे लेने को
दुर्योधन को प्रेरित करते
ये तुमने अच्छा नहीं किया
तुम तो एक बार बस
बाणों पर सो गए
और इतनी अन्दर तक
बाणों की नोकों को
हमें चुभो गए
आज तक हम
इस पीड़ा को भोग रहें है
और अब भी कही
दाउद और ड़ोंन जन्म ले रहें है.............


Saturday, January 22, 2011

समझ

अच्छाई में पाप नहीं,
तुम अच्छाई से नहीं डरो,
हो भला सभी का जिससे,
सदा काम तुम वही करो |


एक -----(बीप) से प्रेरणा --

आगे बढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है ,
रत्न गढ़ते रहो कि "जहां" तुम्हारा है,
तन और मन की हो जुगलबंदी ऐसी --
कि हर कोई तुमसे पूछे  -- " "जहां" तुम्हारा है" ?




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Friday, January 21, 2011

पाठ याद नहीं हुआ...

लम्बा लेख या लम्बी कहानी पढ़ने से हमेशा से परहेज रहा है मुझे,खुद भी ज्यादा लम्बा लिख नहीं पाती....अगर लिखा भी होगा तो वही जिसे किसी को पढ़वाना नहीं चाहती।

"गीता" भी नहीं पढ़ी... बस पढ़ा तो "गीता-सार".....जिसे समझने में "अर्जुन की आँख और मछली" की कहानी याद आई,और युधिष्ठिर की भी--जिसमें वे कहते रहे पाठ याद नहीं  हुआ।.....

Tuesday, January 18, 2011

Wednesday, January 12, 2011

अब न रोक पाएंगे वाह करने से---

पिछली पोस्ट पर न सही पर इस बार रोक न पायेंगे वाह-वाह करने से........
इस पॉडकास्ट के लिए न सही पर.....हिन्दयुग्म आवाज़ के लिए..और उसकी टीम के लिए ...

 

 इसके पहले के भाग आप यहाँ सुन सकते है---(अगर सुनना चाहें)

Wednesday, January 5, 2011

क्या कहेंगे?------- इस पर.......वाह वाह

कुछ दिन पहले एक पोस्ट लिखी थी आभासी रिश्तों के बारे में.....................और दूसरे ही दिन एक आभासी मित्र की पोस्ट की चोरी के बारे मे पढ़ा एक ब्लॉग पर......तबियत तो बहुत खराब थी पर मन नहीं माना..............उस पोस्ट की रिकार्डिंग की अपनी आवाज में ...................


अब ये सुनवाना था उनको जिनकी कि वो पोस्ट थी ......पर मेल आई डी न होने से उनके ब्लॉग पर सूचना दी..............तुरंत जबाब मिला साथ ही मेल आई डी भी.......फ़िर क्या था अनुमति लेने के लिए कि उनकी अनुमति हो तो ये पोस्ट उनको सुनवाना चाहते है जिनके बारे मे हैं..........एक मेल किया .....तबियत बहुत खराब है ---रहा नहीं गया...पोस्ट पढकर पर आप तो सुनिये .......बस फ़िर क्या था हुआ इस आभासी दुनिया का चमत्कार....................एक पॉड्कास्ट का मिला उपहार.......और बस ...हो गई एक नई पोस्ट तैयार......और आज बना फ़िर एक नया रिश्ता..........अभासी ......तो ......नहीं ही है .........

जी हाँ कल जिस आवाज को किसी ने पहचाना और किसी ने नही वो सलिल भाई की ही आवाज थी......जी हाँ सलिल भाई की .....

Monday, January 3, 2011

एगो चुराया हुआ पोस्ट...तनि सुनियेगा तो...

एक तो ---नए साल की पहली पोस्ट .....................अऊर दूसरे वो  भी  चुराई हुई............ऊ का कहते हैं ------चोरी त चोरी ऊपर से सीनाजोरी.............
तनि सुनियेगा तो.......अऊर बूझ सके तो बताइयेगा तो------------- ई ---आवाज ...................कहीं सुना है का-----------किसका है ?