Monday, May 31, 2010

एक अजन्मी बच्ची का दर्द -------------------------------------




कुछ दिनों पहले मैंने दिलीप की नन्ही परी के सवाल का जबाब मांगा था मेरी इस पोस्ट में ---------


आज दीपक " मशाल " की भेजी इस कविता के द्वारा एक अजन्मी बच्ची  के दर्द को आवाज देने की कोशीश की है ---------------------.दो तरह से प्रयास किया है .......


एक में मैंने महसूस किया था कि जब उसकी माँ अपनी बच्ची से मिलकर उसका हाल पूछती होगी ...तब वो किस तरह से बताती होगी....................


और दूसरे में --------------जब वो कभी अपनी माँ से मिलती होगी......... तो किस तरह से बताती होगी ...................इसे सुनने के बाद आप भी बताए कि आप क्या महसूस करते है .......................


( दीपक " मशाल " जी ने बाद में बताया था वे इसे रंगमंच पर प्रस्तुति के समय प्रयोग करते थे और इसे उनके कई सहयोगियों ने मिलकर लिखा था .....)


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Wednesday, May 26, 2010

............नीयत .............................................................

ट्रेन में सफ़र करते समय मिले थे वे तीनों  --------------
१७ -१८ वर्ष का लड़का, अच्छा भला लग रहा था, हट्टा-कट्टा, पैर में एक घाव  खरोंच जैसा बनाया हुआ लग रहा था जिस पर से हल्का खून रिस रहा था, चेहरे पर मुस्कान कुटिलता की कहानी सी कह रही थी ........पहले एक चक्कर पूरी बोगी में लगाया ---------
फिर वापसी में हाथ फैलाकर सबसे पैसे मांग रहा था जो उसकी ओर ध्यान नहीं दे रहें थे उन्हें हाथ से हिला-हिलाकर अपना घाव दिखा रहा था ...........................मैंने अपना चेहरा घुमा लिया था, सामने बैठे सज्जन ने २ रुपये का सिक्का उसके हाथ पर रख दिया था ..................मुझे ठीक नहीं लगा था....................
.
जैसा की हमेशा होता है कहीं  जाना हो तो एक बेग की चेन या तो टूटी रहती है या रास्ते में टूट जाती है ........इस बार मेरे पर्स की चेन टूटी हुई थी, पर दूसरा न होने के कारण वही लेकर सफ़र करना पड़ रहा था ...........सोच लिया था ........ट्रेन में ही------  जो ठीक करने वाला आता है,  उसी से करवा लूंगी, इस बार मेरी भाभी ने भी उसी से ठीक करवाई थी ........सो रास्ते में जब वो १४-१५ वर्ष का बच्चा  मिला तो बेटी की और देखकर चेहरे पर मुस्कान आ गई मेरे ........उसे पर्स दिखाया पूछा --कितने में करोगे ?
-----lok बदलना पड़ेगा ,२० रुपये लगेगे |
--------ठीक है कर दो ............और उससे चेन ठीक करवा के २० रुपये दे दिए .....पैसे लेकर जब वो चला गया तो बेटी से कहा इतने में तो अपने यहाँ पूरी चेन ही नई लगा देता .........साथ बैठे सज्जन बोल पड़े थोडा भाव करती तो १० में कर के देता ........अब मुझसे चुप नहीं रहा गया बोल पड़ी कम-से कम काम तो कर रहा है ...............पता नहीं कितना कमा पाता होगा दिन भर में ......इससे भाव करके क्या फर्क पड़ेगा ????............मुझे अच्छा नहीं लगा था .................


थोड़ी -ही देर में आवाज सुनाई दी दस में तीन ,दस में तीन ....देखा तो १०-१२ वर्ष का एक लड़का हाथो में पेपर -सोप के पेकेट पकडे आवाज लगा रहा था ...............मेरे बेटे ने १० रुपये बढ़ाकर तीन ले लिए ..................मैं  लगातार उसे देख रही थी .........मैंने धीरे से करीब झुकते  हुए कहा----------चार आते है न ....वो मुस्करा दिया ,फिर बोला मुझे क्या बचेगा ???----- हाँ, कहते हुए मैं  भी मुस्करा दी ..................थोड़ी देर बाद बोगी में चक्कर लगाकर वापस आते समय एक और पेकेट मेरी ओर बढाते हुए बोला एक औए लेलो आंटीजी ...........और मै हँस दी कहा ----नहीं तुम रखो मै तो ऐसे ही पूछ रही थी ................
..................मुझे बहुत अच्छा लगा था .............

Saturday, May 22, 2010

आज मेरी पसंद का ये गीत सुनिए-------------मेरी आवाज मे.............................





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Friday, May 21, 2010

" दाने-दाने पर ............................................................

इन दिनों अपनी बहन के नए मकान के वास्तुपूजन के लिए नासिक आई हूँ.........अभी फ़्लेट में बहन के परिवार के अलावा कोई रहने नहीं आया है ..........." कामवाली बाई " जो उसके पुराने मकान में काम करती थी, नए मकान में भी काम करना चाहती थी, मगर घर ज्यादा दूर होने से आ नहीं पाई जिसका उसको बहुत अफ़सोस हुआ.............इधर नए फ़्लेट के चौकीदार की पत्नी को पूछा तो वो ये काम( बर्तन-झाडू-पोछा )न करने के बावजूद भी, काम करने को राजी हो गई..........परंतु जिन दिनों खास जरूरत थी उन दिनों उसके घर में भी पूजा होने से आने में असमर्थता जताई......फ़िर अपनी ही एक सहेली को एक दिन लेकर आई और कहा ----"ये काम कर देगी........वैसे तो ये भी ऐसा काम नहीं करती ..........इसने भी रो-हाउस में अपना घर लिया था, पर अचानक पति का देहांत हो गया, एक बेटी और एक बेटा है १५ साल का, अब वो काम पर जाता है ..........ये कहीं काम नहीं करती क्योंकि लोग ठीक से बात नहीं करते ............मेरे कहने पर आपके यहाँ काम कर देगी जब तक मैं नहीं आ पाती.........
और वो दूसरे दिन से काम पर आने लगी, बिना कुछ बोले चुपचाप अपना काम करती और चली जाती............जैसे-जैसे पूजा का दिन नजदीक आ रहा था, मेहमान बढने लगे थे और काम भी................पूजा वाले दिन भी वो आई ...........जब कुछ काम नहीं बचा तो उसे थोडी देर बैठने के लिए कहा -------वो संकोच करते हुए एक कोने में जगह ढूँढ कर थोडी देर रूकी मगर आने-जाने वाले अनजान लोगों के बीच अपने आपको असहज महसूस करती रही ....और अचानक किसी को कहे बिना चली गई ...............वास्तव में उसे शाम के भोजन का अपने बच्चों के साथ आमंत्रण देने के लिए रोका गया था ताकि बहन उसे खुद आमंत्रित कर सके..............पर वो जा चुकी थी ......किसी को उसका घर भी नहीं पता था................हम सबकी नजरें शाम को पूरे समय तक उसे खोजती रही, पर वो नहीं आई............बहुत अफ़सोस हुआ......खाना गले से उतर नहीं पा रहा था ..................और रात को सोते समय एक आवाज कानो में गूँज रही थी --------" दाने-दाने पर खाने वाले का नाम लिखा है "..................करवट बदल-बदल कर रात गुजारी .................सुबह जब सब चाय की चुस्कीयां ले रहे थे .......वह फ़िर अपना काम करने आ चुकी थी ......जब उससे कहा आप चली क्यों गई???????? एक मुस्कान बिखेर दी ................और चुपचाप नीचे देखकर अपना काम करती रही..............................

Monday, May 17, 2010

आप भी कर सकते हैं ...............मुहावरों का प्रयोग.................बस थोडी सी कोशीश करके ....

आज मै बहुत खुश हो गई ....जब मेरी पोस्ट " दोनो में कौन बडा " मेरी बेटी सुन रही थी.............बाद मे उसने उस पर आई टिप्पणी पढना शुरू किया , और पहली ही पढकर वो हँसने लगी...........मैने पूछा क्या हुआ ?.............तो बस पेट पकड कर हँसती ही रही...................बोली आपकी पोस्ट से इस टिप्पणी का क्या लेना-देना?...........चूंकि वो कभी ब्लॉग पोस्ट नही पढती ......इसलिए उसका ये सवाल वाजिब था............तब मेरे दिमाग मे एक बात आई ...सोचा भविष्य मे ये बच्चे जो कुछ भी पढेंगे वो ज्यादातर इंटरनेट पर ही उपलब्ध होगा ..........उसके प्रश्न का उत्तर तो देना ही था ..... कहा-- जब मै दादी-नानी बनूँगी तो मेरे नाती-पोते तो हिन्दी इतना भी नहीं जानेंगे जितना तुम जानती हो........तब मै उन्हे ऐसे उदाहरण देकर मुहावरे समझाया करूंगी ................मेरे होने पर तुम्हारे लिए भी आसान होगा ...............
वो भला कैसे???उसका प्रश्न था
तब वो तुमसे कहानी सुनाने को कहेंगे तो मेरी पोस्ट से सुनवा देना ,साथ ही ऐसी टिप्पणी पढकर मुहावरा कहना इसे कहते हैं " बे-सिर-पैर की बातें करना "यानि जिसका वास्तविकता से कुछ लेना-देना हो ऐसी बात कहना ...
.......... ---

Saturday, May 15, 2010

..........नाम में कुछ नहीं ...........................

आज सुनिए एक और पुरानी कहानी ....................शीर्षक है........................ " नाम में कुछ नहीं "



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Tuesday, May 11, 2010

सुर -मन्दिर ...............................बिना संगीत के................................

बहुत ही कठिन गाना...................पर.................कोशिश की है..................क्योंकि बहुत पसंद है मुझे..............आप भी सुनिए..................अच्छा न लगे तो भी बताएं..............यानि नापसंद पर एक चटका.............जरूरी नहीं सब पसंद करें......................




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Thursday, May 6, 2010

वैसे तो मै गाती नही हूँ ...............................पर सुना देती हूँ........................

एक गीत जिसमें छुपा है ...
एक संदेश .......................... " माँ " का ...........
एक चिंता......................." माँ " की ..........




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Tuesday, May 4, 2010

ख़ुशी के दो पल ..............................






उम्र के इस मोड़ पर मै जीना चाहती हूँ ,
कुछ पल अपनी जिंदगी के संवारना चाहती हूँ ,
वक्त को यादो में संजोना चाहती हूँ ,
और यादों के मोती एक माला में पीरोना चाहती हूँ ,
अब तक का सफर मैंने ऐसे किया ,
मै किसी में , और कोई मुझमे जीया ,
शेष बचे अपनो को नही खोना चाहती हूँ,
थोडी देर बस अपने बारे में सोचना चाहती हूँ ,
क्योकि मरने वाले के साथ तो मरा नही जाता है ,
कोई अपने को कर्ज तो कोई फर्ज से दबा हुआ पाता है ,
कर्ज तो फ़िर भी कभी छोड़ा जा सकता है ,
मगर फर्ज से भी कोई कभी हाथ खींच पाता है?
चलो छोड़ दे दुःख की सारी बाते,
सुख को पकड़कर आपस में बांटे,
आँखों में चमक और सबके होठों पर मुस्कान ले आयें
किसे पता ? आज आँखे खुली है शायद कल बंद हो
जाए।

तुलसी जी के दोहे....................




एक और प्रयास.........................

आज सुनिए नीति के दोहे ------(... सिर्फ़ दो दोहे ---- ताकि थोडा समय मिले इसे अपने जीवन में उतारने के लिए ....)







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Saturday, May 1, 2010

है किसी के पास.......................दिलीप की ...............इस नन्ही परी के सवाल का जबाब ???????





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इसे आप यहाँ पर पढ सकते हैं...............दिल की कलम से

व्यंगात्मक कहानी

" गरीबी एक अभिशाप है किंतु इससे विचलित होकर जो लोग गलत राह चुन लेते हैं , वे खुद को बर्बादी की ओर बढाते हैं और जो धैर्य रखकर संतोष व ईमानदारी अपनाए रखते हैं वे अपना उत्थान करते हैं "

सुनिए मेरी आवाज में आवाज पर ...............सुदर्शन जी की व्यंगात्मक कहानी...............".अठन्नी का चोर " ...........ये मेरा दूसरा प्रयास है ..................

" एक और एक ग्यारह "..................... कौन कहता है.???.........................नहीं होते ......................

आज एक नया प्रयोग किया है ........
...........................सुनिए मेरी आवाज में................... दिलीप का लिखा एक देशभक्ति गीत-------

.............."
तब एक तिरंगा बनता है " ......................

दिलीप का ब्लोग है ........." दिल की कलम से ".............
................................इस गीत को आप यहाँ पढ भी सकते हैं ...........




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