Monday, November 21, 2022

मैराथन एक स्वप्न

खेलों से लगाव और सतत जुड़े रहने के कारण मन में एक ईच्छा थी कि कभी मैं धावक के रूप में पहचान बनाऊं,ये इच्छा भी इसलिए दबी रही कि एथलेटिक्स में हमेशा भाग लेती रही स्कूल और कॉलेज में लेकिन किसी ने ये नहीं बताया कि तुम दौड़ भी सकती हो, कॉलेज में एक मित्र ने जब बताया कि चार इवेंट में कोई न कोई पदक है तो सौ मीटर दौड़ लो तो चैंपियनशिप मिल जाएगी।बात जम गई और पहली बार दौड़ ली।पदक मिल गया और चैंपियनशिप भी।
बाद में कभी दौड़ने का मौका नहीं मिला,और ये ईच्छा दबी रही ।
फिर ब्लॉगिंग करते करते ब्लॉगर सतीश सक्सेना जी की कई पोस्ट पढ़ने में आई दौड़ने के बारे में फिर प्रेरणा मिली कि अब भी देर नहीं हुई है।
इस साल की शुरुआत में सुबह की सैर के समय एक ग्रुप से मुलाकात हुई वो एक कोच रमेश सर के निर्देशन में व्यायाम कर रहे थे,उन्हें ज्वॉइन किया, पता चला वे इंदौर मैराथन AIM की तरफ से अपाइंट किए गए हैं,लोग अच्छे थे,ग्रुप अच्छा था और सबसे बड़ी बात कि नियमित है।
रमेश सर और सरिता मैडम के साथ
ग्रुप के कुछ सदस्य

अब पिछले तीन सालों से मौका मिल रहा है और सतत भाग ले रही हूं पांच किलोमीटर मैराथन में।
पहली बार निलेश ने शुरू करवाया 2021में
दूसरी बार 2022 की शुरुआत में जिस पर ब्लॉग पोस्ट लिखी जा चुकी है।ये AIM को ज्वॉइन करने के बाद वर्चुअल की थी।
और ये रही तीसरी मैराथन
फिनिश की हमने 
इस बार की मैराथन यादगार बन गई मेरे लिए -

रूट पर कहीं यू टर्न नहीं दिखा तो कन्फ्यूजन हुआ,और इंडस्ट्री एरिया किस जगह को कहते हैं मुझे कोई आईडिया नहीं था,मेरे माइंड में ये था कि यू टर्न पर वालेंटियर होंगे। 
क्योंकि हम स्कूल की दौड़ में टर्न बताने को वालेंटियर हमेशा रखते थे,तो स्टार्टिंग प्वाइंट पर पूछा भी नहीं, और करीब पच्चीस तीस पार्टिसिपेंट को यही टर्न नहीं मिला ।
खैर अंत भला तो सब भला।

मैं भी LIG से वापस हुई 😂😂,
सबसे मजेदार बात ये हो गई कि मेरी नातिन मायरा आठ वर्ष और मैं एक साथ दौड़े पहली बार एक इवेंट में और उसकी रेंक उसका टाईम मुझसे बेहतर रिकार्ड में आया क्योंकि मैं आगे निकल गई थी और वो शायद इंडस्ट्री हाउस से थोड़ा आगे आई तभी किसी ने उसे वापस मुड़ने को कह दिया उसने मेरी राह नहीं देखी वहीं से वापस हो ली हम बिछड़ गए थोड़े समय के लिए।उसकी ओवरऑल रेंक 247और मेरी 280रही।
मुझे खुशी हुई की उसने रेस फिनिश की 👍

Thursday, May 19, 2022

अनवरत चलने वाली कहानी के चरम से एक टुकड़ा






ईश्वर ने आपको गुण दिए, वो समय-समय पर उनकी परीक्षा लेता है।ये समय परीक्षा देने का है-धैर्य,संयम,दया,क्षमा,बुद्धि,बल,संतोष,और सहनशक्ति जैसे गुणों के पेपर हो रहे हों जैसे, 😂 में उड़ाना ,मतलब 2 नंबर कटे, समझिए ...

मनन,चिंतन के आनंद से उपजा ज्ञान (कोई बोधि वृक्ष मिला होता तो ...)
कम लिखे को ज्यादा समझियेगा 😂😂😂

-अनवरत चलने वाली कहानी के चरम से एक टुकड़ा
-अर्चना
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"अनमना मन"

अनमनी सी बैठी हूं,
चाहती हूं खूब खिलखिलाकर हंसना
कोशिश भी करती हूं हंसने की
पर आंखें बंद होने पर  वो चेहरे दिखते हैं
जिन्हें मेरे साथ खिलखिलाना चाहिए था
अपनी राह में साथ छोड़ बहुत आगे निकल गए वे
और मैं चाहकर भी हंस नहीं पा रही

चाहती हूं इस बारिश के बाद 
इंद्रधनुष को देखूं
पर आसमान में काले बादल ही छंट नहीं रहे
सातों रंग अलग न होकर सफेद ही सफेद शेष है
हर तरफ गड़गड़ाहट के बीच चीत्कार गूंजती है
बाहर से न भीग कर भी अंदर तक भीगा है मन
और मैं ताक रही अनमनी सी...

Sunday, May 8, 2022

वृक्ष का धराशायी होना

(सिर्फ शीर्षक न पढ़ें)

मां मैं खेलने जा रही,चिल्लाते मैं दौड़ लगा देती थी बाहर की ओर, मां की बात को अनसुनी करते हुए,जबकि मालूम था वे कह रही होती एक कमरे की झाड़ू लगा देने या थोड़ा किचन साफ कर देना,या गैस साफ कर पोछा लगा देना या कपड़े फैला देना या ऊपर से कपड़े समेट लेना या कभी मटके में पानी डाल देना।हालांकि काम सारे छुट पुट ही होते और मुझे सुनाई भी देते लेकिन करने का मन कभी नहीं होता। मां से , मां की डांट से कभी डर नहीं लगा।



इसी तरह सुनी -अनसुनी करते दिन बीतते गए,मैं सयानी हो गई, अब काम सुनती भी थी और करती भी थी ,शादी की चिंता पिता से साझा करती मां अच्छे घर और अच्छे वर की तलाश में लगी रही,समय पर विदा कर दिया मुझे,अपना बचपन मां के पास ही छोड़ मैं अपने घर अपने वर में रम गई,प्यारे नातियों की नानी बनी मां हर जरूरत पर द्वार खड़ी रही।
कुछ समय बीता और तब आई मां की परीक्षा की घड़ी ,उसे ये पता ही न था कि अभी और परीक्षा देनी है ।समझदार और नेक दामाद का एक्सीडेंट हो गया पर मृत्यु ने वरण नहीं किया, कोमा की हालत में ईश्वर ने जीवन -मृत्यु के बीच टांग दिया। अब पांचों बच्चों में टुकड़े टुकड़े होकर मां बिखर गई मगर जीवित ही रही हर टुकड़े में।


मां मेरे खाने के बाद खाती,मेरे सोने के बाद सोती,सुबह मुझसे पहले जागी मिलती,हर घड़ी साए की तरह मेरे साथ रही।
मां आज भी बताती है कि उसे खेलने का बहुत शौक था,बेसबॉल खेलती थी।
 बड़वानी का जन्म है मां का वहां राजसी परिवार में नाना के साथ जाती रही तो उनका वैभव आज तक उनकी आंखों में बंद है।
पिता परिवार की धुरी थे मेरे लेकिन उनके बाद हम सबको एक धागे में पिरोए रखने का काम बखूबी मां ने ही किया।
हम पांच भाई बहनों से सिर्फ एक मांग और अपेक्षा सदा रहती है उनकी कि "सदा मिलजुल कर रहना और सबको साथ लेकर चलना ।

अब थक गई है लेकिन फिर भी स्वयं अपना काम काज करती रहती है,घर के काम में हाथ बंटाती रहती है, बस एक ही बदलाव उनमें आ गया है कि अब वो बहुत डरती हैं,जितने दरवाजे खिड़की हैं सबको बंद किए बिना उन्हें नींद नहीं आती।

पूरे घर को मोबाईल ग्रस्त देख परेशान रहती है,पिछले जन्मदिन पर उन्हें भी मोबाईल गिफ्ट दिया ,अब उसपर कथा ,पुराण सुनती है।
हमारे रंग में रंग जाती है,मुझसे शिकायत है कि मैं उनकी बात सुनती नहीं ,लेकिन मेरे पास उनकी बातों के जबाब में सिर्फ हां हूं ही होता है,जिसका कोई जवाब नहीं मेरे पास। उनकी एक ही इच्छा है की पिता की तरह मृत्यु वरण करे दैवीय। अंत समय तक चलती फिरती रहे।
इस मातृ दिवस पर उनके लंबे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हूं।और ईश्वर से यही मांगती हूं कि उनकी ईच्छा का मान रखे।
वैसे किसी वृक्ष का धराशायी होना, देखना दुखदाई है।

Thursday, April 28, 2022

दौड़िए स्वस्थ रहने को,स्वस्थ रहें ,मस्त रहें।

खेल जीवन में इस तरह जुड़ा रहेगा कल्पना नहीं की थी।
मैराथन पांच किलोमीटर।
इस बार इंदौर मैराथन वर्चुअल हो रही थी,एंट्री देने की तारीख नजदीक थी मगर खुद पर भरोसा नहीं था।सुबह का घूमना कुछ दिन पहले ही शुरू किया था ,तभी एक दिन AIM इंदौर के कुछ सदस्य व्यायाम करते मिले सुबह एक चौराहे पर, ये पूछने कि क्या वे रोज व्यायाम करते हैं ,उन्होंने आग्रह किया जुड़ने का ,और जुड़ गई। वे हफ्ते में चार दिन पांच किलोमीटर दौड़ने के बाद एक घंटे व्यायाम करते हैं,एक दिन पूरे  समय व्यायाम और एक बार लंबी दौड़ के लिए आउटिंग किसी प्राकृतिक जगह पर और उसके बाद वाला दिन विश्राम का होता है।
इस तरह इस बार मैराथन के लिए बाहर गए,रविवार होने से मायरा भी साथ हो ली।मुझे दौड़ रिकार्ड करनी थी।मायरा का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया था। जब जाकर वापस आए तो आठ किलोमीटर तय कर लिया था हमने चलकर और दौड़कर
इस टी शर्ट और मेडल पर मायरा का हक तो बनता है।
दौड़ना शुरू करने से पहले ब्लॉगर सतीश सक्सेना जी की कई पोस्ट से प्रेरणा मिली।
वजन भी कंट्रोल में रहने लगा।
बचपन में सीखे आसन,प्राणायाम भी अपनी शारीरिक जरूरत के हिसाब से मैनेज कर लेती हूं। कई बार पीठ दर्द, जोड़ों के दर्द ,गर्दन का दर्द ठीक हो गया है।
स्वस्थ रहें मस्त रहें ।

Monday, April 4, 2022

अचानक मिले उपहार से उपजी मुस्कान

ये है रूबी,रीता जी की दीदी की हेल्पर।
परसों रीता जी ने बताया उसका दसवीं का रिजल्ट आया,वो सेकंड डिविजन पास हो गई। उसकी आखों में देख मन हो आया तुरंत उपहार देने का ,भला हो टेक्नोलॉजी का तुरंत गूगल पे किया रीता जी को और पल भर में उपहार रूबी के हाथों में था।
रूबी की आंखों की चमक बता रही है कितनी खुश है अचानक से मिले उपहार से।जिसने मेरा दिन बना दिया।
यही मेरे ब्लॉग "कदम" का उद्देश्य भी है।धन्यवाद रीता जी का वे मेरी भी खुशी का माध्यम बनी।

Tuesday, March 15, 2022

बच्चों के लिए हास्य कविता

बात मार्च 2017 की है ।ब्लॉगर मित्र अंशुमाला जी ने एक कविता की मांग की थी फेसबुक पर,बच्चों के लिए हास्य कविता, तो ये लिखी थी।

मास्टरजी ने बच्चों को बुलाया
कक्षा में ये फरमान सुनाया
कल सबको विद्यालय अनिवार्य है आना
साथ में अपने, एक हास्य कविता भी लाना
सुन कर मास्टरजी का ये फरमान 
बबलू बाबा हो गए हैरान
चिंता से उनका सर भन्नाया 
घर जा माँ को मास्टरजी का फरमान सुनाया 
बोले - माँ कल जरूर से स्कूल जाना है
और साथ में हास्य कविता को भी ले जाना है 
अब हो गई माँ परेशान 
जानकर ये बहुत हुई हैरान!
कविता तो मिली ढेर सारी
सूरज ,फूलों,जानवरों वाली 
कहीं बन्दर था कहीं था भालू
कहीं कद्दू और कहीं था आलू
तुकबंदी थी,भाष्य नहीं था 
कविता मिली पर हास्य नहीं था,
तब माँ ने किया तकनीकी इस्तेमाल
फेसबुक पर स्टेटस ढेला और मंगवाया लिंकित ज्ञान
अब दोनों बैठे टकटकी लगाए 
टिपण्णी ताकते,कि कोई कविता-
कविता में  हास्य लेकर आए 
तभी मिला ये अद्भुत ज्ञान कि
अपनों संग जब समय बिताओ
हास्य से खुद सराबोर हो जाओ 
अब बबलू से फूटी हास्य की झड़ी है 
और हास्य कविता बबलू के मुंहबाएँ खड़ी है ...

Tuesday, March 8, 2022

अरे मेरी प्यारी सखियों

आज अपने काम में बहुत व्यस्त रही, अभी सबको शुभकामनाएं महिला दिवस की।

आप सभी सदा अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीती रहें, 
चलती रहें अपने बनाए पथ पर 
और देती रहें अपनी संस्कृती अपने हाथों अपनी संतानों को
रास्ते के रोड़े हटाती रहें
अपनी ठोकरों से,
अपनी विनम्रता में छुपाए रखें 
अपनी अग्नि जिसमें भस्म कर सकें 
तमाम भस्मासुरों को
मुस्कुराहट में छुपाए रखें अपनी दया,करुणा और ममता
सहजता से राज करें इस और उस पूरी दुनिया पर 👍👍👍

अर्चना (आज का टास्क)

Tuesday, March 1, 2022

कष्टभंजन देव हनुमान जी ,सालंगपुर,गुजरात

हम भाई बहन अचानक से तय कर द्वारका दर्शन करने निकले,अहमदाबाद से सड़क मार्ग से पहले सोमनाथ जाना तय किया। रास्ते में सालंगपुर में हनुमान मंदिर आया, विशाल परिसर, साफसुथरा प्रांगण ,बगीचा ठहरने के लिए आवासीय कक्ष , सबकुछ बहुत सुंदर।
आप भी देखिए -
क्रमश:


Tuesday, January 25, 2022

बेटियां


(फोटो मोबाइल से एकदम ताजा खींचा भाभियों के बगीचे से मां के आंगन में धूप खाते हुए,और फोटो देख यहीं पंक्तियां लिखी बेटी दिवस पर।)

आम की छांह में,
नागचंपा के आंचल में,
यूं ही गुड़हल सी सुर्ख हो,
हंसती,खेलती,
खिलखिलाती,झूमती रहे
बेटियां
स्वेच्छा से गुलाब का हाथ पकड़,
या गुलाब को परे धकेल
आगे बढ़ आकाश को छू ले बेटियां।
- अर्चना

Monday, January 17, 2022

गाएं गुनगुनाएँ शौक से ग्रुप और उसकी खासियत



एक ग्रुप बनाया था व्हाट्स एप पर 
"गाएं गुनगुनाएं शौक से " नाम से शौकिया गुनगुनाने वाली महिला ब्लॉगर मित्रों के साथ ,बाद में कई मित्रों की मित्र भी जुड़ती हैं ।कई आकर स्वेच्छा से वापस लौट गईं।लेकिन ग्रुप चलता रहा,चल ही रहा है।
कई गतिविधियां अनायास हो जाती हैं इस पर जिसे सहेजने के लिए ग्रुप की सदस्या पूजा अनिल ने एक ब्लॉग इसी नाम से बना दिया।आजकल उसपर बहार आई है आप भी देखें।


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Sunday, January 9, 2022

बचपन और बचपना

हम फिर से बच्चे बन जाएं
आंगन में खेलें गिल्ली -डंडा,
गोल गोल कांच की गोटियां
छुप जाएं कपास की थप्पी में,
खींच कर भागे एक दूसरे की चोटियां
जब खूब थक जाएं तो
बांट कर खा लें आधी आधी रोटियां...

ऐ दोस्त 
दो मिनट के लिए ही सही
पर जरूर मेरे घर आना 
और हां
अपना बचपन साथ लाना...
अर्चना