जब भावनाओं के सागर में डूबूं उतरूँ
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
शब्दों के जंगल में गोते लगाऊँ
अपनी कहानी खुद को सुनाऊँ
क्यों नैन सोचे नीर बहाऊँ
दिल बोले अब कहाँ जाउँ
मन कहे कहाँ ढूंढू,किसे बताऊँ?
क्या सब छोड़ उड़ जाऊँ?
किसे खोऊँ?,किसे पाऊँ?
-अर्चना
14 comments:
सुन्दर अभिव्यक्ति!
शायद इसी को आत्ममंथन कहते हैं
सुन्दर
बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
हैल्थ इज वैल्थपर पधारेँ।
बहुत ही बेहतरीन रचना....
मेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
:) sabko rakho apne saath...
kyunki sab chahte tumhara saath:)
वाह ! सुन्दर
गीत गाने वाले कंठ से जब इतनी गहरी अभिव्यक्ति कविता के माध्यम से प्रस्फुटित होती है तब लगता है कि कहाँ छिपाए रखा था ये सब!!
बहुत सुन्दर!!
सबको सब कुछ पाना है,
जीवन यहीं निभाना है।
beautiful expression of emotions.
lost and found.......
बहुत सुंदर ...
इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - माँ की सलाह याद रखना या फिर यह ब्लॉग बुलेटिन पढ़ लेना
sundar panktiyan
सुंदर भाव । सुंदर रचना ।
shabd sanyojan ati sundar...badhiya
सवालों के जंगल का नाम ही जीवन है...बढ़िया अभिव्यक्ति!
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