मुझे लिखना नहीं आता.....या कहूँ कि व्यक्त करना नहीं आता खुद को ...बस पढ़ लेती हूँ,जहाँ लगता है मेरी बात सुनी जाएगी या उस पर ध्यान दिया जाएगा,वहाँ कहती हूँ,वरना चुप रहना पसन्द करती हूँ।
समीर लाल जी की ---------------(शब्द नहीं आ रहा क्या लिखूँ,गलत न हो जाए इसलिए जगह खाली छोड़ दी है )--"देख लूँ तो चलूँ"....कुछ ने पढ़ ली, कुछ पढ़ रहे हैं, कुछ पढ़ेंगे।
मुझे भी मिली, (मालूम नहीं था मिलेगी या नहीं),मैनें पढ़ी (छपने से पहले)...बिल्कुल शीर्षक की तरह ---देख लूँ तो चलूँ.......पूरी अभी भी नहीं पढ़ी। मैने अपना हिस्सा पढ़ा और मुझे यकीन है रचना ने भी अपना ही पढ़ा होगा।
हम शुरू से ऐसे ही हैं - दूसरे के हिस्से को नहीं छेड़ते,सिर्फ़ अपना और अपनी पसन्द का ही लेते हैं, बाकी का जिसका होता है उसके पास ही रहने देते हैं।( एक पन्ने पर मेरा व रचना का नाम भी देखा -पता नहीं वहाँ कैसे आ गया!! )
लम्बा पढ़ने से हमेशा से परहेज रहा है मुझे, एक तरफ़ा संवाद पसंद नहीं( शायद एक तरफ़ा जीवन जीने के अनुभव के कारण)...
बहुतों ने कुछ कहा भी कुछ इस तरह ----
देख लूँ तो चलूँ का विमोचन समारोह ----१८ जनवरी
मुझे समीर लाल एक शैलीकार लगते हैं: श्री ज्ञानरंजन जी: ‘देख लूँ तो चलूँ’ के विमोचन पर---२० जनवरी
ऐसी कौन सी जगह है जहाँ समीर का अबाध प्रवाह नहीं है:आचार्य डॉ हरि शंकर दुबे ----२४ जनवरी
ऐसी कौन सी जगह है जहाँ समीर का अबाध प्रवाह नहीं है:आचार्य डॉ हरि शंकर दुबे ----२४ जनवरी
विमोचित पुस्तक ' देख लूँ तो चलूँ ' महज यात्रा वृत्तांत न होकर उड़न तश्तरी समीर लाल समीर के अन्दर की उथल-पुथल, समाज के प्रति एक साहित्यकार के उत्तरदायित्व का सबूत है - विजय तिवारी ' किसलय ' ---२४ जनवरी
देख लूँ तो चलूँ...समीर जी को पढ़ने से पहले की तैयारी...खुशदीप---२९ जनवरी
समीर जी की किताब- इतना पहले कभी नहीं हंसा...खुशदीप---३० जनवरी
देख लूँ तो चलूँ...समीर जी को पढ़ने से पहले की तैयारी...खुशदीप---२९ जनवरी
समीर जी की किताब- इतना पहले कभी नहीं हंसा...खुशदीप---३० जनवरी
"देख लूँ तो चलूँ"-समीर लाल "समीर" : डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
14 comments:
आज की पोस्ट में एक अलग भाव दिख रहा है
नेट स्लो है... सुन नहीं पाया ... कुछ समझ भी नहीं पाया ... फिर से आऊँगा ... शुक्रिया
बहुत बढ़िया!
सभी कुछ तो लिख दिया!
बहुत बढ़िया ...बखूबी लिखा है
आपको सुनना, लिखे हुए को पढने से कहीं अधिक सुखद है।
आपके विचार गुंजित होते हैं, प्रसन्नता का संचार करते हैं।
टिपण्णी दे दूं तो चलूं.... आज की पोस्ट बहुत अच्छी लगी
वाह!! एक अलग अंदाज/ एक अलग सा मूड/ एक अलग सा प्रवाह........
बहुत खूब!
बहुत अच्छा विवरण ...शुभकामनायें आपको और समीर लाल जी को !
padkar achchha laga
अलग अन्दाज़ बेहद पसन्द आया।
एक नया अन्दाज़।
कहने का अंदाज इतना प्रभावी है कि पूरी पोस्ट को बार बार पढने का मन करता है ....शुक्रिया ..शुक्रिया ..शुक्रिया
बातों ही बातों में आपने आज बहुत कुछ कहा है ... और कह कर तो कहा ही है ...
बहुत बढ़िया
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