Thursday, April 18, 2013

जो न समझे नज़र की भाषा को...

नीरज गोस्वामी जी (इनके बारे मे जानिए यहाँ भी )की एक गजल को आवाज देने की कोशिश की थी -

बहुत समय पहले "मिसफिट सीधीबात" के लिए पोस्ट भी किया था,अब वहाँ divshare की लिंक काम नहीं कर रही तो यहाँ साझा कर रही हूँ ,

सुनना चाहें अगर ---




4 comments:

दिगम्बर नासवा said...

aapki aawaaz gazal mein chaar chaand lagaa deti hai ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बड़े प्यारे शायर हैं..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

सुंदर गजल के साथ साथ आपकी आवाज सुंदर लगी ,,,

RECENT POST : प्यार में दर्द है,इस रचना को हो सके तो रकार्ड कर ले,,रचना लय में है,,,,आभार अर्चना जी,,,

प्रवीण पाण्डेय said...

सुनकर और अच्छा लगा।