Sunday, June 2, 2013

उफ़्फ़! ये....

बदराया आकाश  
सहमा-सा सूरज
गुनगुना प्रकाश
नहाई प्रकॄति
अठखेली करती पछुआ
महकती फ़िजा
सिहरता मन
कसमसाता यौवन
खिलता चाँद
ठिठुरती रात
सुहानी सुबह...
.........

8 comments:

देवेन्द्र पाण्डेय said...

सुंदर शब्द चित्र खींचा है आपने। फोटोग्राफरों के लिए चुनौती कि ऐसे चित्र खींच कर दिखायें.. :)

प्रवीण पाण्डेय said...

प्रकृति अपने सौन्दर्य में मदमायी है, सुन्दर वर्णन।

Udan Tashtari said...

सब कुछ आसपास...एक हसीन अहसास!!

ताऊ रामपुरिया said...

मौसम को शब्दों में बेहतरीन तरीके से बांधा है, बहुत सुंदर शब्द चित्र.

रामराम.

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

सारा का सारा दृश्य सामने रख दिया और यहाँ की तपती गर्मी में भी मुझे राहत महसूस हुयी!!

संजय भास्‍कर said...

सुंदर सुंदर चित्र खीचा है आपने

VIJAY KUMAR VERMA said...

वाह ... बेहतरीन

Ramakant Singh said...

सचमुच उफ्फ ये लाजवाब