एक गज़ल गिरीश पंकज जी के ब्लॉग सद्भावना दर्पण से सुनिए ------------------
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न गज़ल के बारे में कुछ पता है मुझे, न ही किसी कविता के, और न किसी कहानी या लेख को मै जानती, बस जब भी और जो भी दिल मे आता है, लिख देती हूँ "मेरे मन की"