कागज बनता है बांस से ,
पानी का मोल है प्यास से ,
चुभन होती है -फांस से ,
उम्मीद बंधती है -आस से ,
जीवन चलता है- साँस से ,
जीवन में रस घुलता है -हास से ,
कुछ रिश्ते होते है -ख़ास से ,
खुशी होती है- अपनों के पास से,
और सम्बन्ध कायम रहते है - विश्वास से ।
3 comments:
sahi hai
kya kahu..?? apne apni bati hui jindagi ko is tarah jiya hai ki kabhi bhi kisi bhi hisse ko apke pyaar ki kami mehsus nahi hone di...
Dear,
Vatsal,Pallavi
Love you.
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