Saturday, May 1, 2010

" एक और एक ग्यारह "..................... कौन कहता है.???.........................नहीं होते ......................

आज एक नया प्रयोग किया है ........
...........................सुनिए मेरी आवाज में................... दिलीप का लिखा एक देशभक्ति गीत-------

.............."
तब एक तिरंगा बनता है " ......................

दिलीप का ब्लोग है ........." दिल की कलम से ".............
................................इस गीत को आप यहाँ पढ भी सकते हैं ...........




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10 comments:

दिलीप said...

meri rachna ko itna samman dene ke liye shukriya....

Udan Tashtari said...

बहुत सुन्दर रचना और उतना ही उम्दा आपने गाया. दोनों को बधाई.

M VERMA said...

दिलीप जी को बधाई उनकी सुन्दर रचना को आपका सुमधुर स्वर मिला.

संजय भास्‍कर said...

दिलीप जी को बधाई

अजित वडनेरकर said...

सुंदर...

Himanshu Pandey said...

एक खूबसूरत ब्लॉग का लिंक थमा दिया आपने !
बेहद सशक्त रचनाएं हैं उधर ।
आपके स्वर में यह गीत सुनना सुन्दर अनुभव है ।
आभार ।

अरुणेश मिश्र said...

रचयिता और स्वर साधिका दोनो प्रशंसनीय रचना के श्रेयांशी हैं ।

राज भाटिय़ा said...

सुंदर रचना ओर सुंदर ओर मधूर आवाज

Alpana Verma said...

waah! bahut khuub archana ji!

Archana Chaoji said...

बहुत-बहुत आभार , आप सभी का .....मेरे इस प्रयास को सराहने के लिए ........वास्तव में मै चाहती हूँ ---अच्छी रचनाएँ अधिक लोगों तक पहूँचे ....