Sunday, May 20, 2012

खामोश पल !!

तुम जो कुछ पल मेरे साथ रहें 
कुछ चुप-चुप से , बिना कहे 
अब वो बाते दोहराती हूँ 
खुद को  सुनती हूँ
समझाती हूँ ..
खुद ही चुप हो जाती हूँ ...
बिन बोले सब कुछ सुन पाती हूँ...

-अर्चना

13 comments:

शिवम् मिश्रा said...

कभी कभी चुपचाप रह कर भी कितनी सारी बातें कर लेते है हम लोग ... है न ???

Ramakant Singh said...

अद्भुत अकल्पनीय . .सागर में गागर समां दी आपने ,

प्रवीण पाण्डेय said...

मौन का संवाद गहरा होता है..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मौन का संवाद ...बहुत खूब

सदा said...

बिना बोले सब कुछ सुनना ... बहुत बढिया।

M VERMA said...

अंतस को सुनना .. कहना किससे

अरुण चन्द्र रॉय said...

मौन का मुखर स्वर.. बढ़िया कविता...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

वे कुछ पल कभी-कभी ऐसे अनमोल खजाने के रूप में मिलते हैं कि सारा जीवन भी वह पूंजी शेष नहीं होती..

Udan Tashtari said...

कैसी आवाज आई?? छन छन...छन्ना छन...?

दिगम्बर नासवा said...

बिना बोले ही इतना कुछ कह गए वो ...
बहुत खूब ...

गिरिजा कुलश्रेष्ठ said...

खामोशी के वे पल बडे अनमोल होते हैं । बहुत सुन्दर ।

ANULATA RAJ NAIR said...

खुद से खुद का वार्तालाप...
बहुत सुंदर,

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर ,चुप रहकर भी सब कहना..
:-)