Saturday, March 29, 2014

मरासिम......रिश्तों की अनोखी शाम .....


यूं ही फेसबुक पर स्टेटस ,स्टेटस घूमते हुए इस पेज को देखा......"रक्त अर्चना" नाम ने ही रोक लिया फिर आगे पढ़ा, तो ये समझ आया की ये ग्रुप दान देने वालों का है जो वक्त जरूरत पर खून देते हैं .......
मैं कई दिनों से ए-निगेटिव ब्लड डोनर की तलाश में थी,इस पेज पर मेसेज लिखा की क्या मुझे मदद मिल सकती है.....5-10 मिनट में रिप्लाय में एक फोन नंबर के साथ मेसेज मिला -इस नंबर पर रिक्वायरमेंट शेअर कर दीजिए ....
मैंने नाम पूछा रिप्लाय देने वाले का ,जबाब मिला -सचिन जायसवाल
और समय मिलते ही मैंने उन्हें फोन किया-
-हैलो,मैं अर्चना,सुबह आपसे फेसबुक पर चेट हुई थी
-जी,जी मेडम, आपको मिल जाएगा ब्लड, कब चाहिए....
......
......
....
और सारी जानकारी के बाद मैंने थैंक्स कहकर फोन रखना चाहा,तुरंत सुनाई दिया-मेम आप आज शाम को फ्री हैं एक घंटा?
-हाँ,कहिए....-
वो....हम लोग एक थियेटर ग्रुप"अनवरत" से भी जुड़े है,और आज शाम एक नाटक का मंचन करने वाले है,आप आएंगी तो बहुत अच्छा लगेगा ,और आपसे मिलना भी हो जाएगा...
-ठीक है,मैं कोशिश करूंगी.....लेकिन पास वास कैसे और कहाँ से मिलेगा?
-मेम, आप आ जाईयेगा,वो मैं अरेंज कर दूंगा.....
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दिन बीता .......सोचती रही ....और जाना तय किया ...ये पहला मौका था जब कोई प्ले देखने जा रही थी.....
...पहुँच कर फोन किया -मैं अर्चना ....यहाँ पहुँच गयी हूँ मेन गेट पर ....
-ओके मेम आप रूकिये मैं आता हूँ लेने .....
और दो मिनट में ही एक ठिगने कद का नौजवान मेरे सामने था चश्मा लगाए.....(जाने क्यों चश्में वाले बच्चों की शक्ल वत्सल सी लगती है मुझे हमेशा)...:P
...आप अर्चना जी
-ह्म्म्म!
-आईये.....दीदी एक पास देना ......
और एंट्री पास मेरे हाथ में था .....तभी मुझे मिलवाया "रक्त अर्चना"के कर्ता-धर्ता उज्जवल लाड से......दुबला पतला सफ़ेद कुर्ते पायजामें में पर आँखों में गज़ब की चमक लिए युवा.......
नमस्कार व सामान्य बातचीत के बाद मैं अन्दर हॉल में दाखिल हुई......काफी सीट भरते जा रही थी लोग आ रहे थे ....मैंने कोने की सीट ली....
बस फिर अतिथी सत्कार के साथ नाटक की लेखिका बिशना चौहान जी से परिचय करवाया गया और 5मिनट में ही नाटक शुरू......
पात्रो नें पूरे समय बांधे रखा .....
नाटक था -"मरासिम" यानी रिश्ता .......
तीन लड़कियों की कहानी थी,किर्ती,सहज और  मानसी....... अपनों के द्वारा अपनाए न जाने के कारण होस्टल में भेज दी गयी थीं ।एक की माँ ने पिता के देहांत के बाद दूसरी शादी कर ली तो दूसरे के पिता ने..तीसरी के माता-पिता न होने पर दादा ने मजबूरी में क्योंकि चाचा चाची .......

और वे यहीं रिश्तेदार बन गयी........

समय बीता सब अपने फील्ड में आगे बढ़कर अलग हो गयी .......आज आपस में सालों बाद एक दूसरे से मिलती है और अपनी अपनी कहानी साझा करती है.....
तीनों के जीवन में पुरूष पात्रों का परिचय होता है और  तीनों अलग अलग तरह से धोखे का शिकार होकर एकाकी रह जाती हैं..... एक गर्भवती है
......
.
समाज से सवाल पूछा जाता है -दोषी कौन? क्या बच्चे को जन्म दे या न दे?
बहुत सशक्त प्रस्तुति रही ....सहज का अभिनय करने वाली अभिनेत्री दीक्षा की संवाद अदायगी काबिले तारीफ़ रही,और अविनाश का पात्र  जीवंत हुआ दर्पण के अभिनय से...नितेश उपाध्याय ने हर पात्र पर पकड़ बनाए रखी, सूत्रधार का प्रयोग दर्शक को पात्रों से जोड़े रखने में कामयाब रहा ..पार्श्व गीत का चयन प्रभावी था
एक मनचले पात्र के किरदार की एंट्री पर गाया गया - तेरी नज़र ...मजेदार लगा
गायक को बधाई!!!!

हर एक कलाकार का अभिनन्दन! एक यादगार शाम संजोने के लिए ....और जिस तरह से पहली ही मुलाकात ने दिल में घर कर लिया ....कोई शक नहीं कि सफ़र सुहाना न होगा.......

शुभकामनाएं.........

Wednesday, March 19, 2014

छटपटाहट.......

हलचल

गिरते हुए पत्तों की सरसराहट से
होती है दिल में हलचल
रूकते हुए क़दमों की आहट से
होती है दिल में हलचल
यूं ही पतझड़ में गिरे पत्तों पर
कोई चला नहीं करता
कदम उठ पड़ते हैं किसी की याद में जब
होती है दिल में हलचल ..........

समंदर

तुमने देखा नहीं मेरी आँखों का समंदर
किनारे पर आकर जहाँ रूक जाती है लहर
गहराई भी इतनी कि डूब सकता है कोई,
बिता सकता है शाम, किनारे पर ठहर.....

पतझड़

गिरते हुए पत्ते डाली से कहे
भले ही दर्द हमारा तू अकेले ही सहे
हम तो साथी इन हवाओं के
रूक नही पायेंगे तेरे रोकने से
उम्र भर ,सदा इसके संग ही बहे
आयेंगी नन्हीं कोपलें सावन के साथ फिर
मगर यहाँ कौन है जो उम्र भर संग रहे ............

Sunday, March 9, 2014

जोगी और सा रा रा रा ......

सभी से क्षमा याचना सहित .....और अफसोस भी है कि किसी के ब्लॉग की
लिंक नही लगा पा रही हूँ अभी .मौका मिलते ही एडिट कर लूँगी.....
जो कुछ भी लिखा इनके स्टेटस पढ़कर ही जाना .......

गिरिजेश राव -

स्टेटस लगाए शनि को
व्यंग्य बाणों से अचूक
काल के यात्री हैं सनातन
पढ़ते इनको रह कर मूक ......

......जोगीरा सा रा रा रा

समीरलाल जी -

तश्तरी जाने कहाँ लुकाई
भागमभाग और हाथापाई
बड़के ब्लॉगर अब तो बोल
छुपे-छुपे ही खोल दे पोल........

...जोगीरा सा रा रा रा .............

अमित श्रीवास्तव जी -

"बस यूं ही" कहता जाकर
खुश होता डिश वाशर पाकर
निवेदिता संग जम गयी जोड़ी
किस्मत इनकी तगड़ी-चौड़ी....

......जोगीरा सा रा रा रा

अनूप शुक्ला जी -

बालकनी में चाय पिलाते
सूरज को पकड़-पकड़ बतियाते
बड़े फुरसतिया है अनूप
मोटे हो रहे हैं अभी खूब....

जोगीरा सा रा रा रा .........

वाणी गीत जी और अली भाई -

बड़े प्यार से करे खिंचाई
वाणी गीत और अली भाई
चुभा -चुभा कर सुई लगाते
बिना बुलाए कहीं न जाते ..........

.....जोगीरा सा रा रा रा .......

देवेन्द्र पाण्डेय जी -

इनके पास अमन और चैन
जाने क्यूँ फिर भी रहते "बेचैन "
चित्रों से ये है रिझाते
गीत इनके हम है गाते

...जोगीरा सा रा रा रा .....

अनुलता -

प्रेम की बोली इसकी पहचान
लड़ती मुझसे चढ़ा कमान
दिल निकाल कर ये दे जाती
मेरी छोटी बहन कहलाती.......
<3

....जोगीरा सा रा रा रा .....

शिवम्  -

शिवम है मेरा छोटा भाई
इसके रहते आंच न आई
देश की चिंता इसे सताती
"बुरा-भला" में श्रद्धा पाती

...जोगीरा सा रा रा रा ............

रचना बजाज-

छोटी छुरी ,करती गहरे घाव
कम शब्दों  में भरती पूरे भाव
मुश्किल है इससे किसी का बचना
ऐसी है छोटी बहन रचना .......(बजाज)...

......जोगीरा सा रा रा रा .......

देव कुमार झा

आदि बाबा की सेवा करते
मनीषा के गुस्से से डरते
थोड़ा रूको ओ देव बाबू
बाबा नचाएंगे हो बेकाबू.......

......जोगीरा सा रा रा रा ........

अजय कुमार झा

कोर्ट कचहरी का हो काम
अज्जू देते उनको अंजाम
गोलू-बुलबुल इनकी जान
ख़ास "ईsssश्टाईल"इनकी पहचान........

.......जोगीरा सा रा रा रा ....

गौतम राजरिशी जी

इनको करते हम प्रणाम ,खुद सर झुकता लेते नाम
बुद्ध नही पर गौतम है ,स्नेह नहीं इनसे कम है
सरहद पर रहते तैनात हर मौसम,दिन हो या रात
ग़ज़लों के ये कारीगर, दिल देता आशीष भर-भर..........

......जोगीरा सा रा रा रा .........

काजल कुमार जी

इनकी कूँची देखके ,होती नहीं हैरानी
इनके आगे पानी भरती ,अच्छे अच्छों की नानी
नियत समय पर सोते उठते अपने काजल भाई
लेट कभी ना होता वो जिसने इनसे घड़ी मिलाई .......

....जोगीरा सा रा रा रा ...........

अविनाशचन्द्र

भोला चेहरा स्फूर्त दिमाग
समय की कमी से रूका है ब्लॉग
कविता इनकी तोड़े तन्द्रा
विनम्र है बाबू अविनाशचन्द्र

.....जोगीरा सा रा रा रा ......

बी.एस.पाबला जी

डिग्री नहीं पर डॉक्टर हैं
अच्छे अच्छों के मास्टर हैं
जैसी काया वैसे धीर-गंभीर
ब्लॉगर सरदार हैं मेरे वीर......

....जोगीरा सा रा रा रा .........

ललित शर्मा जी

पुरातत्व का शौक हैं रखते, जंगल -जंगल छान मारते
नई जगह की सैर कराते तस्वीरें भी हमें दिखाते
बिना शुगर के खाते कंद,रहते हरदम मस्त -मलंग
चार आँखों संग तगड़ी मूंछ, रखते स्वामी ललितानंद

....जोगीरा सा रा रा रा ......

अरविन्द मिश्रा जी

प्रेम भाव से भरे अनोखे करते ये विज्ञान प्रसार
तनी हुई रस्सी पर चलते ले हाथों नंगी तलवार
ब्लॉग जगत में कोई नही,जो यूं ही दे इनको बिसरा
हाँ, हाँ, ठीक तो पहचाना-वही अपने अरविन्द मिश्रा....

......जोगीरा सा रा रा रा रा .............

सतीश सक्सेना जी

हंसते ,रोते और ठुनकते जब देखो तब इनके गीत
तेरे-मेरे ,इसके-उसके सबके प्यारे इनके गीत
सरदी ,गरमी ,बरखा  लाते ,जैसा मौसम  वैसे गीत
बड़े ही नाजुक,कोमल,सुन्दर और संवेदन इनके गीत.....

.......जोगीरा सा रा रा रा रा..........

आशीष राय जी

बगिया इनकी रंग-बिरंगी फूल खिले हर क्यारी-क्यारी
करते लेखन सौन्दर्य वाला ,या फिर लिखते ये बधशाला
बड़े घुमक्कड़ आशीष राय,एक पैर कलकत्ता तो एक दिल्ली टिकाय
कविता इनकी मन को भाय ,पर समझे वही जो डिक्शनरी लाय...

...जोगीरा सा रा रा रा .........

शेफाली पाण्डेय (मास्टरनी)जी

ट्वीटर,फेसबुक,और व्हाट्स एप्प पर ही
खेल ली होली,दे दी बधाई
बिना गुझिया ही "मास्टरनी" जी ने
सबको बुद्धू बना अपनी "दीवाल" रंगाई........

....जोगीरा सा रा रा रा ........

ताऊ (मुद्गल जी)--

इनको कोई जान न पाया
बड़ी अनोखी इनकी माया
प्यार ये अपना देते बाँट
फिर ताई से खाते डांट
देते हैं ये सबको झांसा
बड़े-बड़ों को इन्होंने फांसा
लट्ठ लेकर घूमती ताई
इनको अब तक पकड़ न पाई
स्वभाव से हैं ये बिलकुल काऊ
नही पहचाना?,अरे! हमारे ताऊ............

....जोगीरा सा रा रा रा .............

गिरीश पंकज जी

रचनाओं में इनकी दम
मिलनसार हैं, वजन है कम
नाम गिरीश "पंकज"हैं लिखते
मिलकर पंकज जैसे ही खिलते

.....जोगीरा सा रा रा रा ...........

निवेदिता 

"निवेदिता" को रही शिकायत,नाम "अमित" का नहीं लिया
मस्त लगा तो मस्त कहा था, पर अपना मुंह फुला दिया
जोड़ी तुम्हारी इतनी प्यारी कुछ कहते न बनता है
झूठ कहूं तो पूछो किसी से गवाह सारी जनता है
आज है होली रंगों वाली खेलो चाहे जितना खेल
भूल के गुस्सा रंग लगाओ ,खुश हो जाओ कर लो मेल........

.....जोगीरा सा रा रा रा रा ...........

वाणी गीत

",वाणी " की जो सुन ले बानी
मिलता उसको "ज्ञान" भरपूर
सुबह-सबेरे चाय पर मिलती
नहीं रहती वो मुझसे दूर
घर के काम काज करने
हो जाती फिर झट से फुर्र..........

........जोगीरा सा रा रा रा रा .........

अनुराग शर्मा

सबसे अनुराग रखते हैं ये शर्मा
ब्लॉग जगत के पहुंचे हुए कर्मा 
विषयों के अद्भुत हैं जानकार
रहते हरदम मदद को तैयार
पिट्सबर्ग से देते आवाज
कई ब्लॉगों पर करते काज ......

.....जोगीरा सा रा रा रा रा .........

रमाकांत जी

सीमित साधनों में हैं देते, नन्हें बच्चों को बढ़ावा
ऐसे मंदिर के ये पुजारी, जिसमें आता नही चढ़ावा
नही कोई ये धर्म गुरू पर देते हैं ये दीक्षा
बड़े भैया रमाकांत जी ,कर्म है इनका शिक्षा

.....जोगीरा सा रा रा रा रा ......

सिद्धार्थ जगन्नाथ जोशी

साँस रोक कर रखिये कुछ अद्भुत बताने वाले हैं जन हितार्थ
हाँ,सरकार किसकी बनेगी ?ये बताएंगे हमारे ख्यात जोशी सिद्धार्थ.........

......जोगीरा सा रा रा रा ...........
(संजय अनेजा जी का कमेन्ट पढ़कर प्रेरणा मिली)........:-D

Saturday, March 8, 2014

स्त्री....

नहीं तुम नहीं डरना
अन्धकार से
वही करना जो तुम चाहो
पूर्ण अधिकार से

सम्मान देकर
सम्मान ही पाना
राह के रोड़े
ठोकर से हटाना

उजाला करेंगे
मिलकर के सारे
आत्मविश्वासी जुगनू
बनाकर कतारें

चाँद-सूरज साथ
जब न होंगे तुम्हारे
अँधेरे में रोशन होंगे
तुम्हारे सितारे...............
-अर्चना